InterviewSolution
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Kanyadaan kya he |
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Answer» कन्यादानकितना प्रामाणिक था उसका दुखलड़की को दान में देते वक्तजैसे वही उसकी अंतिम पूँजी होइस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। बेटियाँ ब्याह के बाद पराई हो जाती हैं। जिस बेटी को कोई भी माता पिता बड़े जतन से पाल पोसकर बड़ी करते हैं, वह शादी के बाद दूसरे घर की सदस्य हो जाती है। इसके बाद बेटी अपने माँ बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है। इसलिए लड़की के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जाहिर है कि जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी आखिरी जमा पूँजी किसी और को सौंप रही हो। लड़की अभी सयानी नहीं थीअभी इतनी भोली सरल थीकि उसे सुख का आभास तो होता थालेकिन दुख बाँचना नहीं आता थापाठिका थी वह धुँधले प्रकाश कीकुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों कीलड़की अभी सयानी नहीं हुई थी; इसका मतलब है कि हालाँकि वह बड़ी हो गई थी लेकिन उसमें अभी भी दुनियादारी की पूरी समझ नहीं थी। वह इतनी भोली थी कि खुशियाँ मनाने तो उसे आता था लेकिन यह नहीं पता था कि दुख का सामना कैसे किया जाए। उसके लिए बाहरी दुनिया किसी धुँधले तसवीर की तरह थी या फिर किसी गीत के टुकड़े की तरह थी। ऐसा अक्सर होता है कि जब तक कोई अपने माता पिता के घर को छोड़कर कहीं और नहीं रहना शुरु कर देता है तब तक उसका समुचित विकास नहीं हो पाता है। माँ ने कहा पानी में झाँककरअपने चेहरे पर मत रीझनाआग रोटियाँ सेंकने के लिए हैजलने के लिए नहींवस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरहबंधन हैं स्त्री जीवन केमाँ ने कहा लड़की होनापर लड़की जैसी दिखाई मत देना। जाते-जाते माँ अपनी बेटी को कई नसीहतें दे रही है। माँ कहती हैं कि कभी भी अपनी सुंदरता पर इतराना नहीं चाहिए क्योंकि असली सुंदरता तो मन की सुंदरता होती है। वह कहती हैं कि आग का काम तो चूल्हा जलाकर घरों को जोड़ने का है ना कि अपने आप को और अन्य लोगों को दुख में जलाने का। माँ कहती है कि अच्छे वस्त्र और महँगे आभूषण बंधन की तरह होते हैं इसलिए उनके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। आखिर में माँ कहती है कि लड़की जैसी दिखाई मत देना। इसके कई मतलब हो सकते हैं। एक मतलब हो सकता है कि माँ उसे अब एक जिम्मेदार औरत की भूमिका में देखना चाहती है और चाहती है कि वह अपना लड़कपन छोड़ दे। दूसरा मतलब हो सकता है कि उसे हर संभव यह कोशिश करनी होगी कि लोगों की बुरी नजर से बचे। हमारे समाज में लड़कियों की कमजोर स्थिति के कारण उनपर यौन अत्याचार का खतरा हमेशा बना रहता है। ऐसे में कई माँएं अपनी लड़कियों को ये नसीहत देती हैं कि वे अपने यौवन को जितना हो सके दूसरों से छुपाकर रखें।\xa0भावार्थइस कविता में कवि ने माँ के उस पीड़ा को व्यक्त किया है जब वह अपने बेटी को विदा करती है। उस समय मान को लगता है जैसे उसने अपने जीवन भर की पूंजी गँवा दी। माँ के हृदय में आशंका बनी रहती\xa0है कि कहीं ससुराल में उसे कष्ट तो नही\xa0होगा,\xa0अभी वो भोली है।\xa0विवाह के बाद वह केवल सुखी जीवन की कल्पना कर सकती है किन्तु जिसने कभी दुःख देखा नही वह भला दुःख का सामना कैसे करेगी। कवि कहते हैं कि सुख सौभाग्य को वह अबोध बेटी पढ़ सकती है परन्तु अनचाहे दुखों को वह पढ़ और समझ नही सकती।माँ अपनी बेटी को सीख\xa0देते हुए कहतीं हैं कि प्रतिबिम्ब\xa0देखकर अपने रूप-सौंदर्य पर मत रीझना। यह स्थायी नही है। माँ दूसरी सीख\xa0देते हुए कहती हैं कि आग का उपयोग खाना बनाने के लिए होता इसका उपयोग जलने जलाने के लिए मत करना। यह सीख उन मानसिकता वाले लोगों पर कटाक्ष है जो दहेज़ के लालच में अपनी दुल्हन को जला देते हैं। तीसरी सीख देते हुए माँ कहतीं हैं कि वस्त्र आभूषणों को ज्यादा महत्व मत देना, ये स्त्री जीवन के बंधन हैं। इनसे ज्यादा लगाव अच्छा नही है। माँ कहतीं हैं लड़की होना कोई बुराई नही है परन्तु लड़की जैसी कमजोर असहाय मत दिखना। जरुरत पड़ने पर कोमलता, लज्जा आदि को परे\xa0हटाकर अत्याचार के प्रति आवाज़ उठाना। Shaadi me pita ke dwara ladki ko dusre ghar bhejna |
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