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1.

क्लोन किसे कहते है? जीन एवं पादप क्लोन किस प्रकार तैयार किए जाते है? समझाइए।

Answer» आनुवंशिक रूप से समान कोशिकाओं अथवा जीवो के समूह को क्लोन कहते है। क्लोन बनने की विधि को क्लोनिंग कहते है।
जीन क्लोनिंग विशिष्ट जीन के समान जीन प्राप्त करना जीन क्लोनिंग कहलाता है। जीन क्लोन प्राप्त करने वाले DNA खंड को पहले वाहक DNA में प्रवेश कराया जाता है, उसजे बाद यह वाहक DNA पोषक कोशिका में डाला जाता है, जहाँ पर इनके जीन क्लोन प्राप्त होते है, जीन क्लोनिंग में निम्न चरण होते है-
1 जीन का निर्माण - जीन क्लोनिंग के लिए जीवाणु का प्रयोग किया जाता है। जीवाणु द्वारा जीन क्लोनिंग के लिए DNA के प्रकिण्व एंडोन्यूक्लियेज की सहायता से छोटे-छोटे टुकड़ो में बदल लेते है प्रत्येक खंड येखरा शीर्षयुक्त होता है।
2 वाहक में प्रवेश कराना- वाहक का प्रयोग DNA को पोषक जीवाणु कोशिका के प्लाज्मिड तक पहुंचने के लिए किया जाता है। वाहक DNA को प्रकिण्व की सहायता से खोलते है, DNA लाइपेज एंजाइम की सहायता से DNA खंड वेक्टर के प्लाज्मिड को जोड़ देते है। इस DNA खंडयुक्त प्लाज्मिड को पुनरस्योंजित प्लाज्मिड कहते है।
3 पोषक कोशिका का पुर्ननिमार्ण - संयुक्त प्लाज्मिड को पोषक जीवाणु कोशिका के अंदर प्रवेश कृते है, जहाँ पर जीवाणु कोशिका द्वारा प्लाज्मिड का निर्माण किया जाता है। इन जीवाणुओं को `CaCl_(2)` के तनु विलयन में रखते है।
पादप क्लोन- पौधे के क्लोन प्राप्त करने के लिए ऊतक संवर्धन विधि का प्रयोग किया जाता है। संवर्धन माध्यम में पौधे का चयन (एक्सप्लांट) करके उसे इसमें उगाया जाता है, जिससे इस माध्यम में कोशिकाओं का समूह बनता है जिसे कैलस कहते है। इस कैलस को हॉर्मोन युक्त दूसरे संवर्धन माँध्यम में उगाया जाता है जिससे छोटे-छोटे पौधे बनते है। इसे अन्य जगह रोपित किया जाता है।
2.

आनुवंशिक रूपांतरित फसलो की तीन हानियां लिखिए।

Answer» आनुवंशिक रूपांतरित फसलो के उत्पादन के लाभ (Advantages of Production of Genetically Modified (GM) crops) जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके कई पादपों में लाभप्रद गुणों का निवेश किया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी से विकसित आनुवंशिकता रूपांतरित फसलो के लाभप्रद गुण निम्नलिखित है-
1 इस प्रकार के फसलो में पोषण गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Nutritional Quality) हुआ है, जैसे- अधिक उत्पादन, अच्छे प्रोटोन घटक तथा अच्छे आवश्यक गुणों जैसे- गेहूँ की अच्छी बेकिंग गुणवत्ता तथा जौ की अच्छी माल्टिंग गुणवत्ता आदि का विकास इस प्रकार की फसलो में हुआ है।
2 लवण एवं सूखा सहिष्णुता- इस प्रकार की फसले अजैव प्रतिबलो (Abiotic stresses) जैसे- ठंडा, सूखा, लवण, ताप आदि के प्रति अधिक सहिष्णु (Tolerant) होती है।
3 इस प्रकार की फसले रासायनिक पीड़कनाशको पर कम निर्भर करती है।
4 इस प्रकार की फसले कटाई के पश्चात होने वाले नुकसान को कम करती है।
5 इस प्रकार की फसले ऐसे पादपों के विकास में सहायक है जिनसे वैकल्पिक संसाधनों के रूप में औधोगिक इकाइयो में वसा, ईधन, औषधीय पदार्थो (Pharmaceutical) की आपूर्ति भी की जाती है।
आनुवंशिक रूपांतरित फसलो के उत्पादन से हानि (Disadvantages of Production of Genetically Modified crops) आनुवंशिक रूपांतरित फसलो से कुछ हानियां भी होती है, जो निम्न है-
1 इस प्रकार की कुछ फसलो में बीज उत्पन्न करने की शक्ति नहीं होती, जिससे प्रत्येक वर्ष किसान को नए बीज खरीदने पड़ते है।
2 छोटे किसान प्रत्येक बार इन फसलो को नहीं ऊगा सकते क्योकि ये फसले बहुत महँगी पड़ती है।
3 इस प्रकार की फसलो से लोगो में एलर्जी उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
3.

आनुवंशिक रूपांतरित फसलो के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद कीजिए।

Answer» आनुवंशिक रूपांतरित फसलो के उत्पादन के लाभ (Advantages of Production of Genetically Modified (GM) crops) जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके कई पादपों में लाभप्रद गुणों का निवेश किया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी से विकसित आनुवंशिकता रूपांतरित फसलो के लाभप्रद गुण निम्नलिखित है-
1 इस प्रकार के फसलो में पोषण गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Nutritional Quality) हुआ है, जैसे- अधिक उत्पादन, अच्छे प्रोटोन घटक तथा अच्छे आवश्यक गुणों जैसे- गेहूँ की अच्छी बेकिंग गुणवत्ता तथा जौ की अच्छी माल्टिंग गुणवत्ता आदि का विकास इस प्रकार की फसलो में हुआ है।
2 लवण एवं सूखा सहिष्णुता- इस प्रकार की फसले अजैव प्रतिबलो (Abiotic stresses) जैसे- ठंडा, सूखा, लवण, ताप आदि के प्रति अधिक सहिष्णु (Tolerant) होती है।
3 इस प्रकार की फसले रासायनिक पीड़कनाशको पर कम निर्भर करती है।
4 इस प्रकार की फसले कटाई के पश्चात होने वाले नुकसान को कम करती है।
5 इस प्रकार की फसले ऐसे पादपों के विकास में सहायक है जिनसे वैकल्पिक संसाधनों के रूप में औधोगिक इकाइयो में वसा, ईधन, औषधीय पदार्थो (Pharmaceutical) की आपूर्ति भी की जाती है।
आनुवंशिक रूपांतरित फसलो के उत्पादन से हानि (Disadvantages of Production of Genetically Modified crops) आनुवंशिक रूपांतरित फसलो से कुछ हानियां भी होती है, जो निम्न है-
1 इस प्रकार की कुछ फसलो में बीज उत्पन्न करने की शक्ति नहीं होती, जिससे प्रत्येक वर्ष किसान को नए बीज खरीदने पड़ते है।
2 छोटे किसान प्रत्येक बार इन फसलो को नहीं ऊगा सकते क्योकि ये फसले बहुत महँगी पड़ती है।
3 इस प्रकार की फसलो से लोगो में एलर्जी उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
4.

जीन चिकित्सा क्या है? एडिनोसिन डीएमीनेज (ए० डी० ए०) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन करें।

Answer» जीन चिकित्सा (Gene Therapy) रोग के निदान से ज्ञात होता है की बच्चे में दोषी जीन (Defection-gene) है जिसके कारण वह असमर्थ हो गया है, तो ऐसे दोषी जीन का विस्थापन सामान्य तथा स्वस्थ जीन द्वारा करते है, इसे ही जीन चिकित्सा कहते है। इसका उद्देश्य है जीन विस्थापन चिकित्सा (Gene replacement therapy)। यह 4 प्रकार की होती है-
(i) सोमेटिक जीन चिकित्सा/रोगी थेरेपी (Somatic gene therapy /patient therapy): शरीर की कायिक (Body) कोशिकाओं के आनुवंशिक विकार दूर करते है।
(ii) जर्मलाइन जीन चिकित्सा/जनन लाइन थेरेपी/भ्रूण थेरेपी (Gene line therapy /embryo therapy): कायिक जींस को रोगी की जनन कोशिकाओं में प्रविष्ट कराया जाता है।
(iii) एन्हेंसमेंट जेनेटिक इंजीनियरिंग (Enhancement Genetic Engineering) लक्षण या ट्रेंट को सही करने हेतु इसका उपयोग करते है जैसे -मानव में ऊंचाई।
(iv) यूजेनिक जेनेटिक इंजीनियरिंग (Eugenic Genetic Engineering)- कुछ लक्षणों को सुधारने हेतु जैसे पर्सनालिटी (Personality) एवं बुद्धि (Intelligence) हेतु श्रेष्ठ जीन को प्रविष्ट कराते है।
5.

आनुवंशिक इंजीनियरिंग की अनुप्रयोज्यता का वर्णन कीजिए।

Answer» अनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इंजीनियरिंग हमे निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है-
(A) लाभदायक प्रभाव -
1 औधोगिक उपयोग - उच्च वर्गो के जीवो के विटामिन प्रतिजैविक या हॉर्मोन के जीन को कोड करके तथा इनके संश्लेषित DNA को जीवाणुओं में पुन: स्थापित करके विटामिन्स, हॉर्मोन्स आदि यौगिकों का औधोगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना संभव हुआ है। इस विधि से इंसुलिन का Humulin नाम से जैव-संश्लेषण किया गया है।
2 चिकित्सीय उपयोग- नई दवाइयों का जैव स्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हिमोफिलिया, फिनाइल कीटोंयूरिया आदि वंशगत रोगो का उपचार किया जाना सम्भव हुआ है।
3 कृषि क्षेत्र में उपयोग- जीवाणु अथवा नील-हरे शैवाल से नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले जींस का अनाज वाली फसलो में स्थानांतरण करने हेतु प्रयोग जारी है, जिससे हमारी फसले, पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेगी और हमे कृषि में कृत्रिम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।
4 जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन- इस तकनीक द्वारा इच्छानुसार नए-नए प्रकार के जीवो तथा वनस्पतियो का निर्माण संभव हो सकेगा।
(B) हानिकारक प्रभाव-
(i) रोगाणु एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो सकते है।
(ii) आँत में पाए जाने वाले जीवाणु कैंसर कारक हो सकते है।
(iii) सामान्य वायरस से अत्यधिक खतरनाक वायरस का निर्माण हो सकता है।
6.

क्राई प्रोटीन्स क्या है? उस जीव का नाम बताइये जो इसे पैदा करता है? मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाते है?

Answer» जीव विष जिस जीन द्वारा कूटबद्ध होते है। उसे क्राई (Cry) कहते है। क्राई प्रोटीन क्रिस्टलीय प्रोटीन्स (Crystalline proteins) का एक वर्ग है। बैसिलस थुरीजिएन्सिस जीवाणु की कुछ प्रजातियां क्राई प्रोटीन्स का निर्माण करती है। यह प्रोटीन फसल पादपों को कीट पीड़कों (Insect pests) के प्रति प्रतिरोधी बनती है। ये कई प्रकार की होती है। उदाहरण के लिए, जो प्रोटीन्स जीन क्राई I ए० सी (Cry I AC) व क्राई II ए बी (Cry II AB) द्वारा कूटबद्ध होते है, वे कपास के मुकुल कर्मी (Bud worm) को नियंत्रित करते है। जबकि क्राई I ए बी (Cry I AB) मक्का छेदक (Maize borer) को नियंत्रित करता है। ये प्रोटीन कई प्रकार के कीटो की प्रजातियों के लिए विष (Toxic) है, लेकिन मनुष्य के लिए हानिकारक नहीं है।