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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

समष्टि ( पॉपुलेशन) की कोई तीन विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।

Answer» समष्टि के तीन महत्वपूर्ण गुण विशेषताएँ-समष्टि के तीन निम्न गुण हैं- लिंग अनुपात, जन्मदर, मृत्युदर एवं अप्रवासन तथा समरष्टि घनत्व आदि।
1, जन्म दर (Natality)- इससे समष्टि (जनसंख्या) घनत्व में वृद्धि होती है यह किसी दी गयी अवधि अथवा काल में जनसंख्या समष्टि में जन्में बच्चों की संख्या बताती है।
2. मृत्यु दर (Mortality)- किसी दी गयी अवधि में होने वाली मौतों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं इससे समष्टि (जनसंख्या) घनत्व घटती है।
3. लिंग अनुपात (Sex Ratio) - नर तथा मादा का अनुपात ही लिंग अनुपात कहलाता है। जैसे 60 नर : 40 मादा आदि आयु वितरण से आयु पिरामिड निर्मित होती है।
2.

शीत निष्क्रियता (hybernation) से उपरति (डायपाज ) किस प्रकार भिन्न है ?

Answer» दोनों ही क्रियाएँ ताप अनुकूलन से संबंधित हैं। प्राणियों में जब जीव प्रवास (Migrate) नहीं कर पाता है। तो वह समय में पलायन करके शीत ताप से बचता है जैसे शीत ऋतुओं में शीत निष्क्रियता (Hibernation) में जाना तथा उस समय पलायन से बचाव का तरीका है। प्रतिकूल परिस्थितियों में झीलों और तालाबों में प्राणी प्लवक (Zoo plankton) की अनेक जातियाँ उपरतिं (Diapause) में आ जाती हैं जो निलंबित (Suspended) परिवर्धन की एक अवस्था है।
दोनों ही क्रियाओं में प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित बचे रहने में सहायता मिलती है। जैसे ही इन्हें उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध होता है ये अपनी सामान्य जीवन व्यतीत करने लगते हैं। इन अवस्थाओं में भोजन ग्रहण, वृद्धि, गतिशीलता तथा प्रजनन क्रियाएँ सुप्त (Dormant) हो जाती हैं।
3.

सहजीविता का एक उदाहरण लिखिए।

Answer» मटर व राइजोबियम जीवाणु सहजीविता का उदाहरण है।
4.

जैव संगठन का सबसे निम्न सजीव स्तर कौन-सा है ?

Answer» कोशिका (Cell) सबसे निम्न स्तर है।
5.

जीवों में प्रवास करने (Migration ) को समझाइये।

Answer» जीव दबावपूर्ण आवास से अस्थायी रूप से अधिक अनुकूलन क्षेत्र में चला जाये और जब बावभरी अवधि बीत जाये तो वापस लौट आये। मानव सादृश्य में, यह नीति ऐसी है जैसे गरमी की अवधि में व्यक्ति दिल्ली से शिमला चला जाए। अनेक प्राणी, विशेषतः पक्षी, शीतऋतु के दौरान लंबी दूरी का प्रवास करके अधिक अतिथि अनुकूली क्षेत्रों में चले जाते हैं। प्रत्येक शीतकाल में राजस्थान स्थित प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान ( भरतपुर) साइबेरिया और अन्य अत्यधिक ठंडे उत्तरी क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों को अतिथि के रूप में स्वागत करता है। इस प्रकार जीवों के क स्थान से अन्य स्थान पर जाने की प्रक्रिया को प्रवास कहते हैं।
6.

बगुले और भैंस में किस प्रकार से पारस्परिक निर्भरता होती है ?

Answer» सहोपकारिता अथवा सहभागिता प्रकार की निर्भरता होती है।.
7.

कीट पीडकों ( पिस्ट / इन्सेक्ट के प्रबंध के लिए जैव नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है ?

Answer» प्राकृतिक शत्रुओं, शिकारी या परजीवियों का उपयोग कर कीट पीड़कों की समष्टि वृद्धि में नियंत्रण रखना ही जैव नियंत्रण विधि का सिद्धांत है।
सामान्यत: कृषि में पीड़क नाशियों के नियंत्रण हेतु विभिन्न प्रकार के रसायन उपयोग में लाये जाते हैं। इसके स्थान पर इन पीड़कनाशियों का नियंत्रण जैव विधियों से किया जाता है। परभक्षण में एक जीव समूल रूप से दूसरे जीव का भक्षण कर लेता है अर्थात् एक जीव को लाभ तथा दूसरे जीव को हानि होती है। यदि प्रकृति में परभक्षी नहीं होते तो शिकार जातियों का समष्टि (Population) जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा हो जाता और परितंत्र में अस्थिरता आ जाती। जब भी किसी भौगोलिक क्षेत्र में कुछ विदेशज जातियाँ लाई जाती है तो वे आक्रामक हो जाती हैं व तेजी से फैलने लगती है क्योंकि आक्रांत भूमि में उसके परभक्षी नहीं होते हैं।
8.

आर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। आर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिकक्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे ?

Answer» आम की शाखा पर अधिपादप (Epiphyte) के रूप में उगने वाला आर्किड पौधा एक सहभोजिता (Commensalism) का उदाहरण है। सहभोजिता में एक जाति को लाभ होता है और दूसरे को न हानि और न लाभ होता है। यहाँ आर्किड को फायदा होता है जबकि आम को इससे कोई लाभ नहीं होता है। आर्किड का पौधा आम की शाखा पर उगकर प्रकाश,वायु व वातावरण से नमी का अवशोषण करता है।
9.

पादपों में शाकाहारिता (Herbivory) के विरूद्ध रक्षा करने की महत्वपूर्ण विधियाँ बताइये |

Answer» पादपों के लिये शाकाहारी प्राणी परभक्षी है। लगभग 25 % कीट पादप भक्षी (Phytophagous) हैअर्थात् वे पादप रस एवं पौधों के अन्य भाग खाते हैं। पौधों के लिये यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि वे अपने परभक्षियों से दूर नहीं भाग सकते जैंसा कि अन्य प्राणी करते हैं। इसलिए पादपों ने अपने बचाव के लिये आश्चर्यजनक रूप से आकारिकी एवं रासायनिक रक्षा-विधियाँ विकसित कर ली है।
रक्षा के लिए सबसे सामान्य आकारिकी साधन काँटे ( एकेशिया, कैक्टस) हैं बेर की झाड़ी में भी काँटे होते हैं। अनेक पौधे इस प्रकार रसायन उत्पन्न करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं। खेतों में उगे हुए आँक (Calotropis) खरपतवार अधिक विषैला ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करता है जिसके कारण कोई भी पशु इस पौधे को नहीं खाते हैं। पौधों में अनेक रसायन जैसे-निकोटिन, कैफीन, क्वीनीन, अफीम आदि प्राप्त होते हैं। वस्तुतः ये रसायन चरने वाले प्राणियों से बचने की रक्षा विधियाँ हैं।
10.

ठण्डे वाताबरण में रहने वाले स्तनधारियों के कान व पैर छोटे होते है । यह किस नियम की पूर्ति करते है।

Answer» ऐलन के नियम की पूर्ति करता है।
11.

अगर चरघातांकी रूप से ( एक्पोनेशियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दो गुने आकार की हो जाती है।तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीनिजक दर (r) क्या है ?

Answer» `therefore " " t = log (2)/(r)`
` therefore" " r = log.(2)/(t)`
`" " =(0.7931)/(3)`
` = 0.26436`
अतः इन्टिनसिका दर ` = 0.26436 xx 100`
`= 26.43%`
12.

उन गुणों को बताइये जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।

Answer» जनसंख्या घनत्व, जन्मदर, मृत्युदर, समरष्टि वितरण एवं वृद्धि, लिंग अनुपात तथा आयु वितरण में ऐसे लक्षण हैं जो समष्टियों में होते हैं।
13.

अधिकतर जीवधारी `45^(@)` से.ग्रे. से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते। कुछ सूक्ष्मजीव ( माइक्रोव) ऐसे आवास में जहाँ तापमान `100^(@)C` से अधिक है, कैसे जीवित रहते हैं ?

Answer» सभी सजीवों में समस्त प्रकार की उपापचयी क्रियाएँ एक निश्चित न्यून तापक्रम पर प्रारम्भ हो जाती है। तापक्रम के बढ़ने के साथ साथ उपापचर्यी क्रिया की दर भी बढ़ जाती है परन्तु और अधिक तापमान के बढ़ने के साथ- साथ उपापचयी क्रियाएँ धीरे-धीरे मंद होना प्रारंभ हो जाती हैं। कुछ प्राणियों में जैविक क्रियाएँ अत्यधिक तापक्रम पर भी होती रहती हैं।
जीवाणुओं, कवकीं व निम्न पादपों में विभिनन प्रकार के मोटी भित्ति वाले बीजाणु बनते हैं, जिससे वे उच्च ताप को सह लेते हैं। बीजाणुओं में जनन के दौरान अन्तः बीजाणु (Endospore) बनता है। अन्तः बीजाणु की भित्ति मोटी होती है। बेसिलस एन्थ्रेसिस व वलास्ट्रीडियम टेटेनी का जीवाणु तो `100^(@)C` तापमान को सहन कर सकता है। ताप के प्रति यह रोधकता भित्ति में उपस्थित कैल्सियम, डाइपिकोलिक अम्ल की अधिकता के कारण होती है।
14.

लक्षण प्रारूपी (फीनोटाइपिक) अनुकूलन की परिभाषा दीजिए। एक उदाहरण दीजिए।

Answer» आकारिकी लक्षण बाहर से दिखते हैं अत: ये लक्षण प्रारूपी(फीनोटाई पिक) अनुकूलन होते हैं। अत: ऐसा बाहरी लक्षण जिसके कारण वह जीव वहाँ के पर्यावरण में जीवित रहने में सक्षम होता है, उन्हें लक्षिण प्रारूप अनुकूलन (Phenotypic adaptation) कहते हैं। उदाहरण- मरुस्थली पादप जैसे नागफनी, कैक्टस में पत्तियों का अभाव होता है क्योंकि वे काँटों में रूपान्तरित होकर वाष्पोत्सर्जन को न्यून (कम) कर देती है। मरु स्थल में जल की कमी होती है अत: ये जल की कम से कम हानि करते हैं। पत्तियों का कार्य हरे चपटे तनों के द्वारा होता है। यहाँ बाहर से देखें तो काँटे पत्तियों का रूपान्तरण है तथा तना चपटा व हरा पत्ती सदृश्य होता है।
15.

शुष्कतारोधी पादपों में पाये जाने वाले चार आकारिकी व शरीर क्रियात्मक अनुकूलन बताइये।

Answer» आकारिकी अनुकूलन-
1. मूलतंत्र सुविकसित, शाखित गहरा तथा प्रसारित, मूल रोम व मूल टोप पूर्ण विकसित होते हैं।
2. तना चपटा त मांसल हो जाता है तथा पर्ण व स्तम्भ दोनों का कार्य करता है, जिसे पर्ांभ स्तम्भ कहते हैं, जैसे नागफनी, कोकोलाबा।
3. पत्तियाँ बहुकोशिकीय रोमों से ढँकी होती हैं जिससे वाष्पोत्सर्जन कम होता है, जिसे रोम पर्ण पादप (Trichophyllous Plants) कहते हैं, जैसे-केलोट्रापिस ।
4. इनमें हाइड्रोकेसी या आर्द्रता स्फुटन का लक्षण पाया जाता हैं।
शारीरिकीय अनुकूलन-
1. पर्ण तथा स्तम्भ की अधिचर्म मोटी क्यूटिकल युक्त होती है।
2. रंध्र गहरे गर्त में अर्थात् गर्ती रंध्र होते हैं, जैसे-कनेर। 3. यांत्रिक व संवहन ऊतक सुविकसित होती है ।
4. अधिचर्म तथा अधश्चर्म में क्यूटीन, लिग्निन, सूबेरिन का निक्षेपण होता है।