InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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नदी जो इस समय नहीं है इस घर मेंपर होगी जरूर कहीं न कहींकिसी चटाई या फूलदान के नीचेचुपचाप बहती हुई |
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Answer» प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नदी की सर्वव्यापकता की ओर संकेत कर रहा है। व्याख्या-नदी की सर्वव्यापकता की ओर संकेत करता हुआ कवि कहता है कि जो नदी विभिन्न स्थलों के मध्य से अनवरत प्रवाहित होती रहती है वह किसी-न-किसी रूप में हमारे घरों में भी प्रवाहित होती हुई हमें सुख और आनन्द की अनुभूति देती है। इसके बहने की ध्वनि हमें किसी चटाई या फूलदान से भी सुनाई पड़ सकती है और इसको हम मन-ही-मन अनुभव भी कर लेते हैं। आशय यह है कि नदी और व्यक्ति का गहरा और अटूट सम्बन्ध पहले से ही रहा है और आगे भी रहेगा। काव्यगत सौन्दर्य- |
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निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?(क) अगर ले लो साथ वह चलती चली जाएगी कहीं भी,यहाँ तक कि कबाड़ी की दुकान तक भी।(ख) वह चुपके से रच लेगी।एक समूची दुनियाएक छोटे से घोंघे में |
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Answer» (क) ल, च, क की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार। (ख) ‘ए, क, च’ की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार। |
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कभी सुननाजब सारा शहर सो जायतो किवाड़ों पर कान लगाधीरे-धीरे सुननाकहीं आसपासएक मादा घड़ियाल की कराह की तरहसुनाई देगी नदी। |
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Answer» प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि नदी प्रत्येक समय हमारे बीच उपस्थित रहती है। व्याख्या-कवि कहता है कि यदि आप इस बात से सन्तुष्ट नहीं है कि नदी हमारे-आपके बीच हमेशा विद्यमान रहती है तो अपनी सन्तुष्टि के लिए; जब मनुष्यों के सभी क्रिया-कलाप बन्द हो जाएँ और समस्त चराचर प्रकृति शान्त रूप में हो; अर्थात् सारा शहर गहरी निद्रा में सो रहा हो; उस समय आप घरों के दरवाजों से कान लगाकर, एकाग्रचित्त होकर नदी की आवाज को सुनने का प्रयास कीजिए। आपको अनुभव होगा कि नदी की प्रवाहित होने वाली मधुर ध्वनि एक मादा मगरमच्छ की दर्दयुक्त कराह जैसी आती प्रतीत होगी। स्पष्ट है कि नदी किसी-न-किसी रूप में सदैव हमारे साथ रहती है। काव्यगत सौन्दर्य– |
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छोड़ दोतो वहीं अँधेरे मेंकरोड़ों तारों की आँख बचाकरवह चुपके से रच लेगीएक समूची दुनियाएक छोटे-से घोंघे मेंसंचाई यह हैकि तुम कहीं भी रहो।तुम्हें वर्ष के सबसे कठिन दिनों में भीप्यार करती है एक नदी |
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Answer» प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि नदी पृथ्वी पर ही नहीं आकाश में भी विचरण करती है. अर्थात् सभी स्थानों पर हमारे साथ रहती है। व्याख्या-कवि कहता है कि यदि हम सदा साथ रहने वाली नदी को किसी अनुचित स्थान पर छोड़ दें तो वह वहाँ रुकी नहीं रहेगी वरन् अनगिनत लोगों की आँखों से बचकर वह वहाँ भी अपनी एक नवीन दुनिया उसी प्रकार बसा लेगी जिस प्रकार एक छोटा-सा घोंघा अपने आस-पास सीप की रचना कर लेता है। आशय यह है कि नदी की यह दुनिया अत्यधिक लघु रूप में भी सीमित हो सकती है। कवि का कहना है कि हम कहीं पर भी रहें, वर्ष के सबसे कठिन माने जाने वाले ग्रीष्म के दिनों में भी यह हमें अपने स्नेहरूपी जल से सिक्त करती है और अतिशय प्रेम प्रदान करती है। काव्यगत सौन्दर्य- |
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अगर धीरे चलोवह तुम्हें छू लेगीदौड़ो तो छूट जायेगी नदीअगर ले लो साथवह चलती चली जायेगी कहीं भीयहाँ तक-कि कबाड़ी की दुकान तक भी। |
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Answer» सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड में संकलित ‘नदी’ शीर्षक कविता से उधृत हैं। इन पंक्तियों के रचयिता श्री केदारनाथ सिंह जी हैं। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि नदी का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यह जीवन में प्रत्येक क्षण हमारा साथ देती है। व्याख्या-कवि कहता है कि यदि हम नदी के बारे में, उसके गुणों के बारे में, उसके महत्त्व के बारे में सोचते हैं तो वह हमारे अन्तस्तल को स्पर्श करती प्रतीत होती है। नदी हमारा पालन-पोषण उसी प्रकार करती है, जिस प्रकार हमारी माँ। जिस प्रकार अपनी माँ से हम अपने-आपको अलग नहीं कर सकते, उसी प्रकार हम नदी से भी अपने को अलग नहीं कर सकते। यदि हम सामान्य गति से चलते रहते हैं तो यह हमें स्पर्श करती प्रतीत होती है लेकिन जब हम सांसारिकता में पड़कर भाग-दौड़ में पड़ जाते हैं तो यह हमारा साथ छोड़ देती है। यदि हम इसे साथ लेकर चलें तो यह प्रत्येक परिस्थिति में किसी-न-किसी रूप में हमारे साथ रहती है; क्योंकि यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। न तो वह हमसे अलग हो सकती है और न हम उससे। काव्यगत-सौन्दर्य- |
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