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51.

दो सेले जिनमें प्रत्येक का विधुत वाहक बल E व आंतरिक प्रतिरोध r है , परस्पर समांतर - क्रम में जुड़ी है । यदि हम इस संयोग से एक बाह्य प्रतिरोध R में धारा ले , तो R के किन मान कि लिए इसमें अधिकतम वैधुत शक्ति प्राप्त होगी ? वः शक्ति कितनी होगी ?

Answer» चूँकि सेले समांतर - क्रम में जुड़ी है , अतः दोनों के संयोजन का विधुत वाहक बल भी E ही होगा । इनके आंतरिक प्रतिरोध r,r समांतर - क्रम में है तथा यह संयोजन प्रतिरोध R में वैधुत धारा भेजना है । अतः परिपथ में कुल प्रतिरोध (r/2)+R है तथा वैधुत धारा
`i=E/(1/2 r+R) = (2 E)/(r + 2 R)`.
प्रतिरोध R में शक्ति - क्षय
`P = i^(2) R = ((2 E)^(2)R)/((r + 2 R)^(2)) = (4 E^(2)R)/((r - 2 R)^(2)+8 r R) `.
p के अधिकतम मान के लिए हर न्यूनतम होना चाहिए , अर्थात
` (r - 2R)^(2) = 0`
अथवा `R = r//2`.
` :. ` अधिकतम वैधुत शक्ति `P_("max") = ((2 E)^(2) r//2)/((r + r)^(2)) = E^(2)/(2 r) `.
52.

समान आंतरिक प्रतिरोध तथा विधुत वाहक बल वाले n सेलों को बाह्य प्रतिरोध R के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ने पर अधिकतम धारा कब प्राप्त होगी ?

Answer» जब सेल का आंतरिक प्रतिरोध , r = R/n.
53.

दिये गये वैधुत परिपथ में सेल से प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए । सेल का आंतरिक प्रतिरोध नगण्य है ।

Answer» Correct Answer - `i=E/R`.
54.

एक बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध `0.5` ओम है , को तीन प्रतिरोधों से चित्र में प्रदर्शित परिपथ की भाँति जोड़ा गया है । परिपथ में 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है । गणना कीजिए : (i) बैटरी का विधुत वाहक बल तथा (ii) 5 ओम प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर ।

Answer» Correct Answer - (i) 21 वोल्ट , (ii) 10 वोल्ट ।
55.

2 वोल्ट विधुत वाहक बल तथा `1.0` ओम आंतरिक प्रतिरोध वाली एक बैटरी 5 ऐम्पियर की धारा से आवेशित की जा रही है । बैटरी के भीतर धारा किस दिशा में प्रवाहित होगी ? बैटरी के दोनों टर्मिनलों के बीच विभवान्तर कितना होगा ?

Answer» बैटरी आवेशित की जा रही है , अतः इसके भीतर धारा धन टर्मिनल से ऋण टर्मिनल की ओर प्रवाहित होगी तथा टर्मिनलों के बीच उपलब्ध विभवान्तर V इसके विधुत वाहक बल E से अधिक होगी । यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध r तथा आवेशन धारा I हो , तब
`V = E + i r = 2 ` वोल्ट + (5 ऐम्पियर `xx 0.1 `ओम ) = 2.5 वोल्ट |
56.

श्रेणीक्रम में जुड़ी दो सेलों में से प्रत्येक का विधुत वाहक बल `1.5` वोल्ट तथा आंतरिक प्रतिरोध `0.5` ओम है । इस संयोजन को 5 ओम परिरोध के चालक तार से जोड़ा गया । परिपथ में प्रवाहित धारा तथा प्रत्येक सेल के सिरों का विभवांतर ज्ञात कीजिए ।

Answer» `0.5` ऐम्पियर , `1.25` वोल्ट ।
57.

निम्न परिपथ की सहायता से ज्ञात कीजिए : (i) प्रत्येक प्रतिरोध में प्रवाहित धारा (ii) `E_(2)` सेल के सिरों के वोल्टता ।

Answer» Correct Answer - (i) ` 4.5 Omega ` में धारा ` 0.5 A, 3 Omega ` में धारा `1/3 A, 6 Omega ` में धारा `1/6 A`. (ii) 7.5 वोल्ट ।
(i) `i = (E_(2)-E_(1))/(R + r) = (8.0 - 4.0)/(6.5 + 1.5) = 0.5 A.`
(ii) ` V_(2) = E_(2) - i r_(2) = 8.0 - 0.5 xx 1.0 = 7.5` वोल्ट ।
58.

निम्न परिपथ आरेख में , ज्ञात कीजिए : परिपथ का तुल्य - प्रतिरोध तथा `R_(3),R_(4)` प्रतिरोधों में प्रवाहित धाराएँ ।

Answer» 8 ओम ,`R_(3)` में 2 ऐम्पियर ,`R_(4)` में`2/3` ऐम्पियर ।
59.

एक बैटरी जिसका विधुत वाहक बल 5 वोल्ट है तथा आंतरिक प्रतिरोध `2.0` ओम है , एक बहरी प्रतिरोध से जुड़ी है । यदि परिपथ में धारा `0.4` ऐम्पियर हों तो बैटरी की टर्मिनल वोल्टता है :A. 5 वोल्टB. 5.8वोल्टC. 4.6 वोल्टD. 4.2 वोल्ट |

Answer» Correct Answer - D
60.

संलग्न चित्र में प्रदर्शित प्रतिरोधों के संयोजन का तुल्य - प्रतिरोध A व B के बीच तथा `3O` प्रतिरोध में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए ।

Answer» Correct Answer - `12.2 Omega, 4 A`.
61.

किसी कार की संचायक बैटरी का वैधुत वाहक बल 12 वोल्ट है । यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध `0.4 Omega` हो , तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है ?

Answer» E वैधुत वाहक बल वाली बैटरी से ली जाने वाली धारा
` I = E/(R + r) `
जहाँ R बाह्य प्रतिरोध तथा r आंतरिक प्रतिरोध है । अधिकतम धारा के लिए बाह्य प्रतिरोध , R = 0
`:. ` अधिकतम धारा , `i_("max") = E/r = 12/(0.4) = 30` ऐम्पियर
62.

संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ के लिये , ज्ञात कीजिए : (i) बिन्दुओ A तथा C के बीच तुल्य - प्रतिरोध तथा (ii ) धाराओं `i_(1)` व `i_(2)` के मान ।

Answer» (i) 12 ओम , (ii) धारा `i_(1) = 1/3` ऐम्पियर , `i_(2) = 1/6` ऐम्पियर ।
63.

संलग्न परिपथ में बिन्दुओ A व D के बीच तुल्य - प्रतिरोध ज्ञात कीजिए । धारा `i_(3)` का मान तथा सेल का विधुत वाहक बल भी ज्ञात कीजिए ।

Answer» तुल्य - प्रतिरोध `= 1.25 Omega, i_(3) = 0.5` ऐम्पियर , E = 2.5 वोल्ट ।
64.

संलग्न परिपथ में बिन्दुओ A व B के बीच तुल्य - प्रतिरोध ज्ञात कीजिए । वैधुत धारा i का मान तथा वैधुत शक्ति - क्षय भी ज्ञात कीजिए ।

Answer» Correct Answer - `10 Omega, 0.5` ऐम्पियर , `2.5` वाट |
परिपथ एक संतुलित व्हीटस्टोन - सेतु है ।
65.

दो बल्ब जिनकी वाटेज क्रमश : 25 व 100 वाट है तथा प्रत्येक की अनुमत वोल्टता 220 वोल्ट है , 440 वोल्ट की आपूर्ति के साथ श्रेणीक्रम में लगे है । कौन - सा बल्ब फ्यूज होगा ?A. 100 वाट का बल्बB. 25 वाट का बल्बC. इनमे से कोई नहींD. दोनों ही ।

Answer» Correct Answer - B
66.

संलग्न परिपथ में `3 Omega` प्रतिरोध में धारा का मान तथा बिन्दुओं A व B के बीच विभवांतर ज्ञात कीजिए ।

Answer» Correct Answer - 1ऐम्पियर , 2 वोल्ट ।
67.

खुले परिपथ में एक सेल की प्लेटों के बीच विभवांतर `1.9` वोल्ट है । इस सेल को 3 ओम के प्रतिरोध से जोड़ने पर इसकी प्लेटों के बीच विभवांतर `1.5` वोल्ट हो जाता है । विद्युत परिपथ बनाकर सेल का आंतरिक प्रतिरोध एवं 3 ओम के प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा का मान ज्ञात कीजिए ।

Answer» `0.8 Omega, 0.5 ` ऐम्पियर |
68.

बराबर मान के तीन प्रतिरोध विभिन्न संयोगों में निम्न प्रकार जोड़े गये है । मुख्य धारा i समान मानते हुए इन्हे शक्ति - क्षय के बढ़ते क्रम में लगाएँ : A. `C lt B lt D lt A`B. ` B lt C lt D lt A`C. ` A lt D lt C lt B`D. ` A lt C lt B lt D`.

Answer» Correct Answer - A
समान धारा के लिये , शक्ति - क्षय `propto` तुल्य - प्रतिरोध ।
69.

चित्र में एक विभवमापी दर्शाया गया है , जिससे एक `2.0 V` और आंतरिक प्रतिरोध `0.40 Omega` का कोई सेल , विभवमापी के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए रखना है । कोई मानक सेल जो `1.02` वोल्ट का अचर विधुत वाहक बल बनाए रखता है ( कूछ मिलीऐम्पियर की बहुत सामान्य धाराओं के लिए ) तार की `67.3` सेमी लम्बाई पर संतुलन बिंदु देता है । मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी `600 k Omega` का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ संबद्ध किया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है । इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विधुत वाहक बल E के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु तार की `82.3` सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है । (a) E का मान क्या है ? (b) `600k Omega` के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है ? (c ) क्या इस उच्च प्रतिरोध से संतुलन बिंदु प्रभावित होता है ? (d) उपरोक्त स्थिति में यदि विभवमापी के परिचालक सेल का विधु वाहक बल `2.0` वोल्ट के स्थान पर `1.0` वोल्ट हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी ? (e) क्या यह परिपथ कुछ मिलीवोल्ट की कोटि के अत्यल्प विधुत वाहक बलों ( जैसे कि किसी प्रारूपी तापवैधुत युग्म का विधुत वाहक बल ) के निर्धारण में सफल होगी ? यदि नहीं तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे ?

Answer» (a) विभवमापी के तार की समान विभव - प्रवणता के लिए , दो सेलो के विo वाo बलों की तुलना करने का सूत्र है
`E_(2)/E_(1) = l_(2)/l_(1)` अथवा `E/E_(s) = l/l_(s)`
जहाँ
`E = l/l_(s) E_(s)`
`E_(s)= ` प्रमाणिक सेल का विo वाo बल `=1.02` वोल्ट ,
`l_(s)=` प्रमाणिक सेल से संतुलन की लम्बाई ` = 67.3` सेमी
l = अज्ञात वि वा बल के सेल से संतुलन की लम्बाई = ` 82.3` सेमी
अज्ञात विo वाo बल ,
`E = ((82.3"सेमी "))/((67.3"सेमी")) xx 1.02 ` वोल्ट = 1.25 वोल्ट
(b) उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन धारामापी में धारा को कम करना है , जबकि जौकी संतुलन बिंदु से दूर है । इससे प्रमाणिक सेल नुकसान (damage) से बचा रहता है ।
(c ) संतुलन बिंदु उच्च प्रतिरोध से प्रभावित नहीं होता है , क्योंकि संतुलन की स्थिति में सेल परिपथ (द्वितीयक ) में धारा नहीं बहती ।
(d) नहीं , क्योंकि विभवमापी के कार्य करने के लिए परिचालक सेल का वि वा बल , द्वितीयक परिपथ के सेल के विo वाo बल (E) से अधिक होना चाहिए ।
(e ) क्योंकि संतुलन बिंदु सिरे A के निकट होगा तथा मापन में त्रुटि बहुत अधिक होगी । इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक परिवर्ती प्रतिरोध (R) जोड़ने है तथा इसका मान इस प्रकार व्यवस्थित करते है कि तार AB के सिरों के बीच विभवपात द्वितीयक सेल के विo वाo बल से थोड़ा ही अधिक हो , ताकि संतुलन बिंदु अधिक लम्बाई पर प्राप्त हो , इससे मापने में त्रुटि कम होगी तथा मापन तथार्थता बढ़ेगी ।
70.

चित्र में एक विभवमापी दर्शाया गया है , जिससे एक `2.0 V` और आंतरिक प्रतिरोध `0.40 Omega` का कोई सेल , विभवमापी के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए रखना है । कोई मानक सेल जो `1.02` वोल्ट का अचर विधुत वाहक बल बनाए रखता है ( कूछ मिलीऐम्पियर की बहुत सामान्य धाराओं के लिए ) तार की `67.3` सेमी लम्बाई पर संतुलन बिंदु देता है । मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी `600 k Omega` का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ संबद्ध किया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है । इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विधुत वाहक बल E के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु तार की `82.3` सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है । (a) E का मान क्या है ? (b) `600k Omega` के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है ? (c ) क्या इस उच्च प्रतिरोध से संतुलन बिंदु प्रभावित होता है ? (d) उपरोक्त स्थिति में यदि विभवमापी के परिचालक सेल का विधु वाहक बल `2.0` वोल्ट के स्थान पर `1.0` वोल्ट हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी ? (e) क्या यह परिपथ कुछ मिलीवोल्ट की कोटि के अत्यल्प विधुत वाहक बलों ( जैसे कि किसी प्रारूपी तापवैधुत युग्म का विधुत वाहक बल ) के निर्धारण में सफल होगी ? यदि नहीं तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे ?

Answer» (a) विभवमापी के तार की समान विभव - प्रवणता के लिए , दो सेलो के विo वाo बलों की तुलना करने का सूत्र है
`E_(2)/E_(1) = l_(2)/l_(1)` अथवा `E/E_(s) = l/l_(s)`
जहाँ
`E = l/l_(s) E_(s)`
`E_(s)= ` प्रमाणिक सेल का विo वाo बल `=1.02` वोल्ट ,
`l_(s)=` प्रमाणिक सेल से संतुलन की लम्बाई ` = 67.3` सेमी
l = अज्ञात वि वा बल के सेल से संतुलन की लम्बाई = ` 82.3` सेमी
अज्ञात विo वाo बल ,
`E = ((82.3"सेमी "))/((67.3"सेमी")) xx 1.02 ` वोल्ट = 1.25 वोल्ट
(b) उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन धारामापी में धारा को कम करना है , जबकि जौकी संतुलन बिंदु से दूर है । इससे प्रमाणिक सेल नुकसान (damage) से बचा रहता है ।
(c ) संतुलन बिंदु उच्च प्रतिरोध से प्रभावित नहीं होता है , क्योंकि संतुलन की स्थिति में सेल परिपथ (द्वितीयक ) में धारा नहीं बहती ।
(d) नहीं , क्योंकि विभवमापी के कार्य करने के लिए परिचालक सेल का वि वा बल , द्वितीयक परिपथ के सेल के विo वाo बल (E) से अधिक होना चाहिए ।
(e ) क्योंकि संतुलन बिंदु सिरे A के निकट होगा तथा मापन में त्रुटि बहुत अधिक होगी । इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक परिवर्ती प्रतिरोध (R) जोड़ने है तथा इसका मान इस प्रकार व्यवस्थित करते है कि तार AB के सिरों के बीच विभवपात द्वितीयक सेल के विo वाo बल से थोड़ा ही अधिक हो , ताकि संतुलन बिंदु अधिक लम्बाई पर प्राप्त हो , इससे मापने में त्रुटि कम होगी तथा मापन तथार्थता बढ़ेगी ।
71.

मिश्रातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक पर लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ?

Answer» प्रतिरोध `R = V/i` कि गणना करने पर , सभी प्रेक्षणों से मैंगनिन का प्रतिरोध `19.7 Omega` आता है । इससे यह स्पष्ट है कि मैंगनिन ओम के नियम का पालन करता है एवं इसकी प्रतिरोधकता ताप से लगभग स्वतंत्र है । [ धारा बढ़ने से , तार का ताप बढ़ता है परन्तु प्रतिरोध , धारा पर निर्भर नहीं करता ।]
72.

एक वोल्टमीटर जिसका प्रतिरोध `1000 Omega` है , 20 वोल्ट तक नाप सकता है । क्या किया जाये की इससे 200 वोल्ट तक नापा जा सके ?

Answer» श्रेणीक्रम में 9000 ओम ।
73.

दर्शाये गये परिपथ में ` 2 Omega` प्रतिरोध में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए जबकि स्विच S बंद हो ।

Answer» Correct Answer - `5 A`.
74.

संलग्न परिपथ में , `P ne R`, स्विच S के खुले अथवा बंद होने पर धारामापी का पाठ्यांक समान है । तब : A. `i_(R) = i_(G)`B. `i_(P) = i_(G)`C. `i_(Q) = i_(G)`D. `i_(Q) = i_(R)`.

Answer» Correct Answer - A
S वाली भुजा में कोई धारा नहीं है । यह तभी होगा , जब `i_(P) = i_(Q)` तथा `i_(R) = i_(G)`.
75.

संग्लन परिपथ में अमीटर का पाठ्यांक 2 ऐम्पियर , वोल्टमीटर का पाठ्यांक 120 वोल्ट तथा R का मान 75 `Omega` है । वोल्टमीटर का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए ।

Answer» Correct Answer - 300 ओम |
76.

संलग्न परिपथ में आदर्श अमीटर A तथा आदर्श वोल्टमीटर V के पाठ्यांक ज्ञात कीजिए : जब स्विच S (i ) स्थिति 1 में हो , (ii ) स्थिति 2 में हो तथा (iii ) स्थिति 3 में हो ।

Answer» (i) स्विच S स्थिति 1 में होने पर परिपथ में बाह्य प्रतिरोध R = 199 ओम है । अतः परिपथ में वैधुत धारा ( अमीटर A का पाठ्यांक )
` I = E/(R + r) = (10 "वोल्ट ")/((199+1.0)"ओम ")`
` = 0.05` ऐम्पियर |
वोल्टमीटर का पाठ्यांक `V = E - I r`
` = 10 - (0.05 xx 1.0) = 9.95` वोल्ट |
(ii) स्विच S स्थिति 2 में होने पर परिपथ में वैधुत धारा नहीं बहेगी ।
अतः अमीटर का पाठ्यांक शून्य होगा तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक
` V = E = 10` वोल्ट |
(iii) स्विच S स्थिति 3 में होने पर परिपथ में बाह्य प्रतिरोध R शून्य होगा । अतः परिपथ में वैधुत धारा ( अमीटर का पाठ्यांक )
`i = E/r =(10" वोल्ट ")/(1.0 "ओम ") = 10` ऐम्पियर |
वोल्टमीटर का पाठ्यांक `V = E - i r`
` = 10`वोल्ट `- (10 xx 1.0 )` वोल्ट
` = 0 ` (शून्य )|
77.

संलग्न चित्र में `E_(1)` व `E_(2)` वोल्ट की दो सेले है तथा प्रतिरोध `R_(1)` व `R_(2)` इस प्रकार चुने गए है कि अमीटर A का पाठ्यांक शून्य है । वोल्टमीटर v का पाठ्यांक क्या है ?

Answer» सेल `E_(2)` से कोई सहारा नहीं बह रही है । अतः वोल्टमीटर का पाठ्यांक इस सेल के विधुत वाहक बल `E_(1)` वोल्ट के बराबर होगा ।