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1.

किस विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है(a) निश्चयवाद(b) सम्भववाद(c) नव-निश्चयवाद(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer»

(b) सम्भववाद।  

2.

मानव को एक निष्क्रिय कारक समझता है(a) निश्चयवाद(b) सम्भववाद(c) नव-निश्चयवाद(d) मानवतावाद।

Answer»

(a) निश्चयवाद।    

3.

‘सम्भववाद’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया(a) अलइदरीसी(b) रैटजेल(c) अलमसूदी(d) लूसियन फैब्रे।

Answer»

(d) लूसियन फैब्रे।   

4.

1970 के दशक में मानव भूगोल की कौन-सी विचारधारा का प्रचलन हुआ(a) मानवतावादी विचारधारा(b) आमूलवादी विचारधारा(c) व्यवहारवादी विचारधारा(d) उपर्युक्त सभी।

Answer»

(d) उपर्युक्त सभी।   

5.

सैन्य भूगोल मानव भूगोल की किस शाखा की उपशाखा है(a) राजनीतिक भूगोल(b) आर्थिक भूगोल(c) सामाजिक भूगोल(d) नगरीय भूगोल।

Answer»

(a) राजनीतिक भूगोल।

6.

आर्थिक भूगोल की उपशाखा है(a) संसाधन भूगोल(b) उद्योग भूगोल(c) कृषि भूगोल(d) उपर्युक्त सभी।

Answer»

(d) उपर्युक्त सभी।

7.

ऐतिहासिक भूगोल मानव भूगोल की किस शाखा से सम्बन्धित है(a) सामाजिक भूगोल(b) नगरीय भूगोल(c) जनसंख्या भूगोल(d) आवास भूगोल।

Answer»

(a) सामाजिक भूगोल।

8.

भौतिक पर्यावरण का तत्त्व है.(a) भू-आकृति(b) मृदा(c) जलवायु(d) उपर्युक्त सभी।

Answer»

(d) उपर्युक्त सभी।

9.

नव-नियतिवाद को ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ का नाम किसने दिया(a) ब्लाश ने(b) ब्रून्श ने(c) ग्रिफिथ टेलर ने(d) हंटिंगटन ने।

Answer»

(c) ग्रिफिथ टेलर ने।  

10.

उत्तर उपनिवेशन युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया(a) प्रादेशिक विश्लेषण(b) क्षेत्रीय विभेदन(c) स्थानिक संगठन(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer»

(a) प्रादेशिक विश्लेषण।

11.

‘माता प्रकृति’ किसे कहते हैं(a) सांस्कृतिक पर्यावरण को(b) भौतिक पर्यावरण को(c) (a) व (b) दोनों को(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer»

(b) भौतिक पर्यावरण को।

12.

सांस्कृतिक पर्यावरण का तत्त्व है(a) घर(b) उद्योग(c) सड़कों का जाल(d) ये सभी।

Answer»

सही विकल्प है (d) ये सभी।

13.

ज्ञान की जननी किस विषय को कहा गया है(a) राजनीतिशास्त्र(b) मनोविज्ञान(c) अर्थशास्त्र(d) भूगोल।

Answer»

सही विकल्प है (d) भूगोल।

14.

प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण के घटकों के नाम बताइए।

Answer»

प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण के घटक हैं-जलवायु, धरातलीय उच्चावच, अपवाह प्रणाली, मृदा, खनिज, जल, वन एवं अन्य जीव आदि।

15.

मानवतावाद विचारधारा से आप क्या समझते हैं?

Answer»

मानवतावाद मानव भूगोल में जोड़ी गई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है। इस विचारधारा का केन्द्र बिन्दु मानव है।

16.

प्रत्यक्षवाद विचारधारा से आपका क्या अभिप्राय है?

Answer»

प्रत्यक्षवाद विचारधारा में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग पर बल दिया गया। यह मुख्यत: निरीक्षण तथा अनुभवों पर आधारित है। इसे ‘प्रयोगवाद’ भी कहा जाता है।

17.

नव निश्चयवाद की धारणा किसने प्रस्तुत की?

Answer»

नव निश्चयवाद की धारणा ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत की।

18.

निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है(क) क्षेत्रीय विभिन्नता(ख) मात्रात्मक क्रान्ति(ग) स्थानिक संगठन(घ) अन्वेषण और वर्णना

Answer»

(ख) मात्रात्मक क्रान्ति। 

19.

मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।

Answer»

मानव भूगोल के उपक्षेत्र हैं

1. व्यवहारवादी भूगोल
2. सामाजिक कल्याण का भूगोल
3. अवकाश का भूगोल
4. सांस्कृतिक भूगोल
5. लिंग भूगोल
6. ऐतिहासिक भूगोल
7. चिकित्सा भूगोल
8. निर्वाचन भूगोल
9. सैन्य भूगोल
10. संसाधन भूगोल
11. कृषि भूगोल
12. उद्योग भूगोल
13. विपणन भूगोल
14. पर्यटन भूगोल
15. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।

20.

मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के लक्षण बताइए।

Answer»

मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

⦁    मानवतावादी विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित है।
⦁    मानवतावादी विचारधारा में मानव जागृति, मानव साधन, मानव चेतना आदि के सन्दर्भ में मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया जाता है।
⦁    इस विचारधारा के विन्यास में मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इनके पीछे कार्यरत प्रक्रिया को समझना है।
⦁    यह मानव भूगोल में जोड़ी गई नई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है।

21.

सम्भववाद क्या है?

Answer»

सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।

22.

आर्थिक भूगोल से सम्बन्धित सामाजिक भूगोल की चार प्रमुख उप-शाखाओं के नाम बताइए।

Answer»

(1) संसाधन भूगोल – संसाधन अर्थशास्त्र

(2) कृषि भूगोल – कृषि विज्ञान

(3) उद्योग भूगोल – औद्योगिक अर्थशास्त्र

(4) विपणन भूगोल – व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य।

23.

मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के लक्षणों को समझाइए।

Answer»

मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

⦁    कल्याणपरक विचारधारा में मानव की वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
⦁    इसमें मानव के विकास में प्रादेशिक असमानता का अध्ययन किया जाता है।
⦁    पूँजीवाद के कारण इस विचारधारा का जन्म हुआ।
⦁    कौन, कहाँ, क्या पाता है और कैसे; कल्याणपरक विचारधारा के मूल बिन्दु हैं।

24.

पृथ्वी के कितने घटक हैं? नाम बताइए।

Answer»

पृथ्वी के दो घटक हैं

⦁    प्रकृति (भौतिक पर्यावरण) एवं
⦁    जीवन के रूप (मनुष्य भी शामिल)।

25.

मानव का प्राकृतीकरण का संक्षेप में तीन बिन्दुओं द्वारा वर्णन कीजिए।

Answer»

मानव का प्राकृतीकरण-मानव के प्राकृतीकरण का अभिप्राय है कि प्रकृति ही मनुष्य के क्रियाकलापों पर अपना प्रभाव डालती है अर्थात् मनुष्य प्रकृति का दास बनकर रह जाता है। उसके सभी क्रियाकलाप प्रकृति द्वारा नियन्त्रित होते हैं।

मानव के प्राकृतीकरण के बिन्दु

⦁    मानव के सभी क्रियाकलाप उसके पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं; जैसे-मानव के रहन-सहन एवं कार्य, जलवायु, उच्चावच आदि द्वारा प्रभावित होते हैं।
⦁    प्रकृति या पर्यावरण ही मनुष्य के समाज को एक स्वरूप प्रदान करता है। उसका खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, आवास आदि सभी पर्यावरण के द्वारा निर्धारित होते हैं। यहाँ तक कि मानव की विचारधारा भी उसके पर्यावरण की ही देन है।
⦁    आदिवासी लोग विश्व में सभी जगह अपने पर्यावरण के दास हैं; जैसे—कालाहारी के बुशमैन, टुण्ड्रा के एस्किमो, कांगो के पिग्मी अपने पर्यावरण द्वारा ही नियन्त्रित होते थे।

26.

भूगोल के अध्ययन क्षेत्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए।

Answer»

भूगोल के अध्ययन क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

⦁    यह एक समाकलनात्मक अध्ययन है।
⦁    यह एक आनुभविक अध्ययन है।

27.

निश्चयवाद से आप क्या समझते हैं? अथवा पर्यावरण निश्चयवाद क्या है?

Answer»

निश्चयवाद के अनुसार मानव के प्रत्येक क्रियाकलाप पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं।

28.

ब्लॉश के शब्दों में मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।

Answer»

ब्लॉश के अनुसार, “हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेशित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना।”

29.

रैटजेल के शब्दों में मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।

Answer»

रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल, मानव समाजों और धरातल के मध्य सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”

30.

भूगोल को समस्त विज्ञानों की जननी क्यों कहा जाता है? 

Answer»

भूगोल वास्तव में विश्वव्यापी प्रकृति का विज्ञान है। इसमें सभी प्राकृतिक तथा मानवीय लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। यह एक अन्तर्विषयक विज्ञान है। इसलिए इसे समस्त विज्ञानों की जननी कहा जाता है।

31.

जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध आप किस सामाजिकशास्त्र से जोड़ेंगे?

Answer»

जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध हम जनांकिकी से जोड़ेंगे।

32.

भूगोल की कितनी शाखाएँ हैं? नाम लिखिए।

Answer»

भूगोल की दो शाखाएँ हैं

⦁    भौतिक भूगोल, एवं
⦁    मानव भूगोल।

33.

निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है(क) यात्रियों के विवरण(ख) प्राचीन मानचित्र(ग) चन्द्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने(घ) प्राचीन महाकाव्य

Answer»

(घ) प्राचीन महाकाव्य।

34.

क्रमबद्ध भूगोल से आपका क्या आशय है?

Answer»

क्रमबद्ध भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भागौलिक तत्त्व का अध्ययन होता है।

35.

प्रादेशिक भूगोल से आप क्या समझते हैं?

Answer»

प्रादेशिक भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है।

36.

मानव भूगोल की प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है?

Answer»

जब भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बाँटकर समूचा अध्ययन करते हैं तो इस विवरणात्मक अध्ययन को ‘प्रादेशिक विश्लेषण विधि’ कहते हैं।

37.

मानव भूगोल का उद्देश्य क्या है?

Answer»

मानव भूगोल का उद्देश्य मानव, वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध का विज्ञान है।

38.

सामाजिक भूगोल के चार प्रमुख उपक्षेत्रों के नाम लिखिए।

Answer»

सामाजिक भूगोल के उपक्षेत्र हैं

⦁    व्यवहारवादी भूगोल
⦁    सामाजिक कल्याण का भूगोल
⦁    सांस्कृतिक भूगोल
⦁    चिकित्सा भूगोल।

39.

मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।

Answer»

मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसमें मनुष्य और उनके भौतिक पर्यावरण के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”

40.

मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्धित है?

Answer»

मानव भूगोल अन्तर-विषयक विषय है, क्योंकि यह मानव और पर्यावरण के अन्तर-सम्बन्धों का अध्ययन करता है। अत: इसका अन्य सामाजिक विज्ञानों से गहरा सम्बन्ध है, जिनमें सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, जनांकिकी आदि मुख्य हैं।

41.

निश्चयवाद के लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।

Answer»

निश्चयवाद के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं

⦁    निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण सर्वप्रमुख है जो मानव के सारे क्रियाकलापों को नियन्त्रित करता है।
⦁    इस विचारधारा के अनुसार विभिन्न सामाजिक समूह, समाज अथवा देश का इतिहास, संस्कृति, मानव जीवन-शैली तथा विकास की अवस्था आदि सभी पर्यावरण के भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
⦁    इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य प्रकृति का दास है और उसके सभी कार्य प्रकृति द्वारा प्रभावित होते हैं।
⦁    निश्चयवाद में विश्वास करने वाले मानव को निष्क्रिय समझा जाता है।

42.

प्रत्यक्षवाद के लक्षणों का वर्णन कीजिए।

Answer»

प्रत्यक्षवाद के लक्षण निम्नलिखित हैं

⦁    प्रत्यक्षवाद में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग पर अधिक बल दिया गया ताकि विभिन्न कारकों के भौगोलिक प्रतिरूपों के अध्ययन के समय विश्लेषण को अधिक वस्तुनिष्ठ बनाया जा सके।

⦁    यह विचारधारा मुख्यत: निरीक्षण एवं अनुभवों पर आधारित है। इसी कारण इसे ‘प्रयोगवाद’ भी कहते हैं।

⦁    इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं-वी० जे० एलवेरी, डेविड हाइँ तथा विलियम वंग आदि हैं।

43.

मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय है। व्याख्या कीजिए।

Answer»

मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय है जिस तरह तकनीक के विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण का सम्बन्ध बदलता जा रहा है, उसी प्रकार मानव भूगोल की विषय-वस्तु में समय के साथ वृद्धि और विस्तार होता जा रहा है। उदाहरणत: बीसवीं सदी के आरम्भ में मानव भूगोल में सांस्कृतिक एवं आर्थिक पक्षों पर विशेष ध्यान दिया जाता था किन्तु बाद में नई समस्याओं और चुनौतियों के आने पर उन्हें भी विषय-वस्तु का अंग बना लिया गया। इसीलिए मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में अग्रोन्मुख परिवर्तन होना स्वाभाविक है। वर्तमान में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में जिन नए प्रकरणों को शामिल किया गया है, वे हैं

राजनीतिक आयाम (Political Dimensions), सामाजिक सम्बद्धता (Social Reference), लिंग असमानता (Sex Inequality), जननीति (Public Policy), नगरीकरण तथा नगर-प्रणाली (Urbanization and Urban System), स्वास्थ्य तथा सामाजिक सुविधाएँ (Health and Social well-being) इत्यादि। अध्ययन क्षेत्र में समसामयिक विषयों को शामिल करते समय मानव भूगोल न केवल समन्वयकारी (Integrating) तथा अन्तर्विषयक (Inter-disciplinary) गुणों से परिपूर्ण हुआ है बल्कि इसके अध्ययन में कई नई विधियाँ भी जुड़ गई हैं।

44.

मानव भूगोल के चार क्षेत्रों के नाम लिखिए।

Answer»

मानव भूगोल के क्षेत्र हैं

⦁    सामाजिक भूगोल
⦁    नगरीय भूगोल
⦁    राजनीतिक भूगोल एवं
⦁    जनसंख्या भूगोल।

45.

कु० सैम्पल की मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए।

Answer»

कु० सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”

46.

निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है(क) मानव बुद्धिमत्ता(ख) प्रौद्योगिकी(ग) लोगों के अनुभव(घ) मानवीय भाईचारा।

Answer»

(ख) प्रौद्योगिकी।  

47.

प्रकृति और मानव किस तरह एक-दूसरे से जटिलता से जुड़े हुए हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।

Answer»

मानव और भौतिक पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हैं। मानव के पास तकनीकी ज्ञान है। वह अपने तकनीकी ज्ञान द्वारा प्रकृति से पदार्थ प्राप्त करता है। प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओं का मानव अपने ज्ञान के द्वारा उपयोग करता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है। वह प्रकृति के अनुसार ही अपने आपको पर्यावरण में ढालता है। वह कठोर पर्यावरण में भी अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर रहता है। कम अथवा अधिक तापमान को नियन्त्रित करता है। आज मानव ने डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों को समझकर अनेक गम्भीर रोगों पर विजय प्राप्त की है। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्तियों को ‘पर्यावरणीय नियतिवाद’ कहते हैं। इस तरह मानव और प्रकृति एक-दूसरे से जुड़े हैं।

48.

मानव भूगोल को परिभाषित करते हुए इसकी प्रकृति को समझाइए।

Answer»

मानव भूगोल की परिभाषाएँ विद्वानों द्वारा मानव भूगोल को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है

⦁    फ्रेडरिक रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”
⦁    कु० एलेन चर्चिल सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
⦁    पॉल विडाल डी-ला ब्लाश के अनुसार, “हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना को मानव भूगोल कहते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के अनुसार, मानव भूगोल में यह अध्ययन किया जाता है कि भिन्न-भिन्न भौतिक दशाओं में मनुष्य का प्रत्युत्तर (Response) कैसा होता है? अथवा वह किस प्रकार प्रकृति से समायोजन या संघर्ष करके अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है और उसे अपने लिए उपयोगी बनाता है। यह तभी सम्भव है जब थोड़ा मानव का प्राकृतीकरण हो और कुछ प्रकृति का मानवीकरण हो।

मानव भूगोल की प्रकृति

मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव-जनित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है। उल्लेखनीय है कि भू-आकृतियाँ, मृदाएँ, जल, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, विविध प्राणिजात (Fauna), वनस्पतिजात (Flora), चट्टानें और खनिज भौतिक पर्यावरण के तत्त्व हैं। भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त मंच पर मनुष्य अपने कार्यकलापों के द्वारा अपनी सुख-सुविधाओं और विकास के लिए कुछ लक्षणों को उत्पन्न करता है। घर, गाँव, खेत, नगर, नहरें, पुल, सड़कें, रेलमार्ग, कारखाने, बाँध, स्कूल, पत्तन और दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ ऐसे ही मानवीय लक्षण हैं। मानव निर्मित परिस्थितियों से ही मानव के सांस्कृतिक विकास की झलक मिलती है। मानव की सभी विकासात्मक गतिविधियों पर भौतिक वातावरण का भारी प्रभाव पड़ता है। इसीलिए मानव भौतिक परिवेश से व्यापक अनुकूलन करके ही सांस्कृतिक अथवा मानवीय परिवेश की रचना करता है। इसी तरह भौतिक पर्यावरण भी मानव द्वारा वृहत् स्तर पर परिवर्तित किया गया है।

49.

मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाओं का वर्णन कीजिए।

Answer»

मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं के फलस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं; जैसे-गाँव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग, भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल में आता है। मानव भूगोल की शाखाएँ मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाएँ निम्नलिखित हैं

1. आर्थिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन, वितरण तथा विनिमय का अध्ययन किया जाता है।

2. सांस्कृतिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में स्थान और समय के सन्दर्भ में मनुष्य के सांस्कृतिक पक्षों, धर्म और दृष्टिकोणों का अध्ययन किया जाता है।

3. सामाजिक भूगोल – सामाजिक भूगोल में विभिन्न मानव समूहों और उनके पर्यावरण के बीच सम्बन्धों की समीक्षा की जाती है।

4. जनसंख्या भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में जनसंख्या, उसके वितरण, घनत्व, जन्म-दर एवं मृत्यु-दर, साक्षरता, आयु, लिंगानुपात, प्रवास तथा जनसंख्या वृद्धि जैसी जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

5. ऐतिहासिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण क्षेत्रीय अथवा भौगोलिक सन्दर्भ में किया जाता है।

6. राजनीतिक भूगोल – राजनीतिक भूगोल में राष्ट्रों अथवा राज्यों की सीमा, विस्तार, उनके विभिन्न घटकों तथा शासित भू-भागों का अध्ययन किया जाता है।

7.सैन्य भूगोल – सैन्य भूगोल का उद्देश्य स्थल तथा समुद्र के भौगोलिक चरित्र का युद्ध की घटनाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट करना है।

8. कृषि भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में विश्व के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले पर्यावरण के सन्दर्भ में कृषि सम्बन्धी तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

9. मानव भूगोल की अन्य उप – शाखाएँ-मानव भूगोल की अन्य उप-शाखाएँ अधिवास भूगोल, नगरीय भूगोल, चिकित्सा भूगोल, संसाधन भूगोल, परिवहन भूगोल, वाणिज्य भूगोल, औद्योगिक भूगोल तथा व्यावहारिक भूगोल इत्यादि हैं।

50.

मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।

Answer»

मानव का प्राकृतीकरण-मानव ने जब से पृथ्वी पर जन्म लिया है, तब से वह निरन्तर भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता आया है। मानव प्रौद्योगिकी का विकास करता है और उसकी सहायता से भौतिक पर्यावरण के साथ अन्तक्रिया करता है। मानव सभ्यता के प्रारम्भिक काल में प्रौद्योगिकी निम्न स्तर पर विकसित थी और मानवीय क्रियाकलापों पर प्राकृतिक पर्यावरण के तत्त्वों का प्रभाव अधिक था। प्राकृतिक शक्तियाँ मानवीय क्रियाओं का मार्गदर्शन करती थीं। मानव, प्रकृति की सुनता और उसकी आज्ञा का पालन करता था।

मानव, प्रकृति की प्रचण्डता से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था। इस तरह आदिमानव लगभग पूर्णतया प्राकृतिक पर्यावरण की शक्तियों द्वारा नियन्त्रित था। ऐसी दशाएँ जिसमें आदिमानव की तुलना में पर्यावरण की शक्तियाँ अधिक प्रबल होती हैं, उसे ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ कहते हैं

पर्यावरण, निश्चयवाद की दशा को भारत के अनेक क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जहाँ पर आदिवासी निवास करते हैं। इन क्षेत्रों में मानव सतत पोषण हेतु प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर करता है। ऐसे समाज में पर्यावरण ‘माता-प्रकृति’ का रूप धारण करता है। वह दशा जिसमें मानव पर प्रकृति का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है ‘मानव का प्राकृतीकरण’ कहलाती है।