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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट कौन है?

Answer»

एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट युधिष्ठिर हैं।

2.

जड़ किसका प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता?

Answer»

जड़ चेतन का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।

3.

शिलालेख पर क्या लिखा जाता है?

Answer»

शिलालेख पर झूठा इतिहास लिखा जाता है।

4.

महाप्रस्थान’ खण्ड-काव्य का विषय क्या है?

Answer»

महाप्रस्थान’ काव्य पांडवों के ‘स्वर्गारोहण’ विषय पर आधारित है। प्रस्तुत काव्य में कवि युधिष्ठिर के माध्यम से अर्जुन को सत्य की प्राप्ति, राज्य परित्याग का कारण, राज्य-व्यवस्था की अखुट शक्ति से उत्पन्न संकट, व्यक्तित्व की रक्षा, युद्ध के परिणाम से उत्पन्न होनेवाली समस्याओं तथा अन्य बातों का बोध कराते हैं।

5.

“जड़, जड़ का ही प्रतिनिधित्व कर सकता है चेतन का नहीं” – विमर्श समझाइए ।

Answer»

जड़ और चेतन में जमीन आसमान का अंतर है। जड़ किसी का प्रतीक हो सकता है, पर वह चेतन कभी नहीं हो सकता। उदाहरण के लिए कोई आदमी और उसका सुंदर चित्र लें। आदमी चेतन है और आदमी का चित्र जड़ है। चित्र कितना भी सुंदर क्यों न हो, उससे उस व्यक्ति का कितना भी लगाव क्यों न हो, पर वह चित्र आदमी नहीं हो सकता। वह केवल जड़ का ही प्रतिनिधित्व करेगा, चेतन का नहीं। इसी तरह राज्य, साम्राज्य, संपदा, दुर्ग, प्रासाद, स्मृति भवन आदि भी जड़ हैं। ये चेतन नहीं हो सकते। अत: जड़ का अभिमान व्यर्थ है।

6.

युद्ध के परिणाम से जन्म लेनेवाली स्थिति पर अपने विचार स्पष्ट करें।

Answer»

किसी समस्या के समाधान के लिए युद्ध अंतिम अस्त्र माना जाता है। युद्ध से किसी समस्या का समाधान हो या न हो, पर उसका परिणाम भयानक होता है। युद्ध में अनेक सैनिक और नागरिक मारे जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप अनेक स्त्रियाँ विधवा हो जाती हैं। परिवार के परिवार उजड़ जाते हैं। अनेक बच्चे अनाथ हो जाते हैं। समाज में तरह-तरह की बुराइयां प्रवेश कर जाती हैं। उनका भयानक परिणाम होता है। इसके अलावा जीवनावश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ता है। युद्ध से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है।

7.

निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :जानने की इच्छासंपूर्ण त्यागवह व्यवस्था जिसमें मनुष्य के वन में जाकर रहने का विधान हैपत्थर पर खुदा हुआ प्राचीन लेख जिसका अपमान किया गया हो जिनकी भावनाओं का कोई महत्त्व न होबलपूर्वक हरण करना या ले जाना युद्ध में स्थिर रहनेवालाजिसका कोई उद्देश्य न हो जो दायें और बाएँ दोनों हाथों से बाण चलाने में समर्थ हो दो भिन्न जातियों के स्त्री-पुरुष द्वारा संतान होने की स्थिति भवन आदि बनाने से पहले नींव में पत्थर रखने की क्रिया

Answer»
  1. जानने की इच्छा – जिज्ञासा
  2. संपूर्ण त्याग – परित्याग
  3. वह व्यवस्था जिसमें मनुष्य के वन में जाकर रहने का विधान है – वानप्रस्थ
  4. पत्थर पर खुदा हुआ प्राचीन लेख – शिलालेख
  5. जिसका अपमान किया गया हो – अपमानित
  6. जिनकी भावनाओं का कोई महत्त्व न हो – विचारहारा
  7. बलपूर्वक हरण करना या ले जाना – अपहरण
  8. युद्ध में स्थिर रहनेवाला – युधिष्ठिर
  9. जिसका कोई उद्देश्य न हो – निरुद्देश्य, दिशाहीन
  10. जो दायें और बाएँ दोनों हाथों से बाण चलाने में समर्थ हो – सव्यसाची
  11. दो भिन्न जातियों के स्त्री-पुरुष द्वारा संतान होने की स्थिति – वर्णसंकरता
  12. भवन आदि बनाने से पहले नींव में पत्थर रखने की क्रिया – शिलान्यास
8.

‘महाप्रस्थान’ काव्य का प्रकार कौन-सा है?A. खण्ड-काव्यांशB. महाकाव्यC. मुक्तक काव्यD. संवेदना काव्य

Answer»

सही विकल्प है A. खण्ड-काव्यांश

9.

वस्तुओं से हीन होते जाने का अर्थ है …..A. व्यक्तित्व से सम्पन्न होते जानाB. युद्ध और आतंकC. समाज में संकीर्णता बढ़ जानाD. अमानवीय हो जाना

Answer»

सही विकल्प है A. व्यक्तित्व से सम्पन्न होते जाना 

10.

कविता का सरल अर्थ :(1) युधिष्ठिर : प्रश्न और …… कैसा निष्कर्ष।।(2) अर्जुन पूछते हैं – कौन-सा निर्णय!युधिष्ठिर : वस्तुओं …… संकल्प कहते हो?(3) ये दुर्ग, प्रासाद …… पर पार्थ!(4) कभी उन ……… बाध्य हो जाते हैं।(5) सव्यसाची ……. कौन उत्तरदायी होगा?(6) आज, नहीं तो कल ……… राजकोष बढ़ाया।(7) पार्थ, हमारे …….. अधिक गहरा है।

Answer»

(1) युधिष्ठिर : प्रश्न और …… कैसा निष्कर्ष।।

युधिष्ठिर अर्जुन से कहते हैं – प्रश्न और किसी चीज के बारे में जानने की इच्छा यानी जिज्ञासा का अंतर तुम समझते हो पार्थं? फिर वे स्वयं बताते हैं कि सत्य की जानकारी दूसरे से प्रश्न करके नहीं की जा सकती। खुद से इसे जानने की कोशिश करनी चाहिए। वे कहते हैं, चाहे सुख का समय रहा हो या दुःख का, मुझे सदा जिज्ञासा हुई है। मैंने राज्य का त्याग कर दिया, इससे तुम लोगों को बुरा अवश्य लगा होगा। वे कहते हैं कि मैंने राज्य को त्यागकर केवल शास्त्र-व्यवस्था के कारण ही वानप्रस्थ आश्रम स्वीकार नहीं किया था। बल्कि यह निर्णय मैंने बहुत सोच-विचारकर लिया था।

(2) अर्जुन पूछते हैं – कौन-सा निर्णय!

युधिष्ठिर : वस्तुओं …… संकल्प कहते हो?

युधिष्ठिर कहते हैं कि वस्तुओं से रहित होना ही व्यक्तित्व से सम्पन्न होने की निशानी है। हे पार्थ! युद्ध, राज्य, सामाज्य, सम्पत्ति, सम्बन्ध आदि सबकी सीमाएं हैं। ये सारी चीजें षड़यंत्र हैं। इन्हें कोई व्यक्ति अपने चारों ओर गूंथ लेता है। इसके बाद वह फिर कभी इस सफलता रूपी घेरे से बाहर नहीं निकलना चाहता। इसके बाद एक दिन ऐसा आता है, जब वह इन वस्तुओं और सफलताओं के नाम से हो जाना जाने लगता है। और पार्थ! वस्तुओं और सफलताओं के बल पर अमर हो जाने को ही तो तुम पुरुषार्थ और पक्का इरादा कहते हो!

(3) ये दुर्ग, प्रासाद …… पर पार्थ!

पार्थ! ये किले, ये विशाल भवन, किसी की याद में बनाए गए ये महल, चारणों द्वारा किए गए स्तुतिगान और झूठे इतिहासवाले शिलालेख क्या व्यक्ति को अमर बना सकते हैं? हे पार्थ! जो जड़ है, जिसमें चेतना नहीं है, वह जड़ का ही प्रतिनिधित्व कर सकता है। वह प्राणयुक्त अर्थात् चेतन का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। पार्थ! तुम्हें बार-बार यह सोचकर कष्ट होता है कि तुम्हें अपमान सहना पड़ा है। तुम्हारे अपनेपन पर प्रहार किया गया है। न्याय पाने के लिए तुम्हें संघर्ष करना पड़ा है। इन चीजों से तुम्हें कष्ट होता है। पर हे पार्थ!

(4) कभी उन ……… बाध्य हो जाते हैं।

हे अर्जुन, तुम उन सामान्य लोगों के बारे में तो सोचो, जिन्हें विचार करने लायक ही नहीं छोड़ा गया है, जिन्हें सदा अपमान सहते रहना पड़ता है, जिनके अपनेपन को छीन लेनेवाले हमारे जगमगाते हुए साम्राज्य हैं। ये साधारण लोग अन्याय सहने के अभ्यस्त हो गए हैं। इन्हें यह पता नहीं है कि न्याय नाम की भी कोई चीज होती है। प्रत्येक युद्ध के पश्चात एक राज्य का निर्माण होता है, पर इस युद्ध में अनेक लोग मारे जाते हैं, जिससे अनेक स्त्रियाँ विधवा हो जाती हैं और अनेक बच्चे अनाथ हो जाते हैं। वे बेचारे जीवन के संघर्ष में दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश हो जाते हैं।

(5) सव्यसाची ……. कौन उत्तरदायी होगा?

युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि हे सव्यसाची ! तुम्हारे कृष्ण ने ही यह बात कही थी कि जब कोई युद्ध होता है, तो उसके बाद समाज में विकृति आती है, वर्णसंकरता की वृद्धि होती है। हे अर्जुन! क्या तुम उस दिन की कल्पना कर सकते हो, जब युद्ध के परिणाम स्वरूप इस धरती पर चारों ओर कुल-गोत्र का नामोनिशान मिट जाएगा और सर्वत्र वर्णसंकरता का बोलबाला होगा। हे पार्थ, सोचो, उस समय इस ऐतिहासिक विद्रूपता का जिम्मेदार कौन होगा? कौन होगा इस स्थिति का जिम्मेदार!

(6) आज, नहीं तो कल ……… राजकोष बढ़ाया।

हे अर्जुन, आनेवाले दिनों में ये राज्य राजा से भी ज्यादा निष्ठुर हो जाएंगे। और ज्यों-ज्यों समय बीतता जाएगा दूर भविष्य में राज्य की व्यवस्थाएं राज्य से भी ज्यादा अमानवीय हो जाएंगी (अत्याचार बढ़ जाएगा)। युद्ध और आतंक राज्य-व्यवस्थाओं के मूलभूत स्तंभ हैं। इनका जन्म मनुष्य की प्राचीन प्रवृत्तियों से हुआ है। एक दिन ऐसा आएगा, जब युद्ध और आतंक को ही सामाजिकता माना जाने लगेगा। अर्जुन, हमने कौरवों से युद्ध करके उन्हें हराया और तुमने आतंक के द्वारा पांडवों के साम्राज्य के खजाने में वृद्धि की।

(7) पार्थ, हमारे …….. अधिक गहरा है।

युधिष्ठिर अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन! हमने जो अमानुषिक कार्य किए, उनके ऐतिहासिक निचोड़ ये निकले कि अर्जुन से श्रेष्ठ कोई वीर नहीं है और युधिष्ठिर ही एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट हैं। हे अर्जुन, मनुष्यता अंधकार के गर्त में जा रही है। अर्जुन, तुम्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि संकट और गहरा हो गया है।

11.

निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :अर्जुन श्रेष्ठ योद्धा है।युधिष्ठिर भारत का चक्रवर्ती सम्राट था।ताजमहल ऐतिहासिक इमारत है।

Answer»
  1. श्रेष्ठ
  2. चक्रवर्ती
  3. ऐतिहासिक