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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए। पाणी, जो जिवन का आधार हैं ।

Answer» पाणी , जो जीवन का आधार हैं
2.

वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए। ना मरता हैं और ना ही अस्पताल ही छोड़ता हैं ।

Answer» न मरता हैं , और न अस्पताल ही छोड़ता हैं ।
3.

उचित प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा का रुप लिखिए । (1) सुरक्षित (2) चंचल ।

Answer» (1) सुरक्षित - सुरक्षितता
(2) चंचल - चंचलता
4.

"भारतवर्ष में बाबू साहिबी क बीमारी दिनों - दिन बढ़ रही हैं और शोक के साथ कहना पड़ता हैं कि यदि किसी ने इस मर्ज की दवा शीघ्र न निकाली , तो यह बीमारी असाध्य हो जायेगी ।" लेखक किसी बीमारी की दवा शीघ्र निकालने को कहते हैं?

Answer» लेखक बाबू साहिबी की बीमारी की दवा शीघ्र निकालने को कहते हैं ।
5.

"भारतवर्ष में बाबू साहिबी क बीमारी दिनों - दिन बढ़ रही हैं और शोक के साथ कहना पड़ता हैं कि यदि किसी ने इस मर्ज की दवा शीघ्र न निकाली , तो यह बीमारी असाध्य हो जायेगी ।" बाबू साहिबी की बीमारी कहाँ फैल रही हैं ?

Answer» बाबू साहिबी की बीमारी भारतवर्ष में फैल रही हैं ।
6.

" भारतवर्ष में बाबू साहिबी क बीमारी दिनों - दिन बढ़ रही हैं और शोक के साथ कहना पड़ता हैं कि यदि किसी ने इस मर्ज की दवा शीघ्र न निकाली , तो यह बीमारी असाध्य हो जायेगी ।" उपर्युक्त कथन व्दारा लेखक क्या कहना चाहते हैं?

Answer» उपर्युक्त कथन व्दारा लेखक यह कहना चाहते हैं कि जितना महत्वपूर्ण मानसिक तथा मुख का कार्य होता हैं , उतना ही महत्वपूर्ण शारीरिक कार्य होता हैं । शारीरिक श्रम से अपने देश के लिए आदर्श बनते हुए उससे घृणा करें।
7.

बुआ ने अन्नू को पहाड़ पर ले जाते समय कौन - कौन से निर्देश दिए ?

Answer» डॉक्टरों की राय के अनुसार जब बुखार से ग्रस्त अन्नू को पहाड़ी पर जाने की तैयारी शूरु हुई ताकि उसे अधिक प्रसन्न रखा जा सके , तब बुआजी ने भाई साहब को और अन्नू को सख्त हिदायतें दीं ।
पंद्रह वर्ष गृहस्थी जीवन में व्यतीत की हुई बुआ अधिक सतर्क थी । कपड़ो की और अन्य सामान की चीजे रखते समय उन्होनें भाई साहब को हिदायतें दी कि एक चीज खोनी नहीं चाहिए । सात रुपये सिलाई देकर जो फ्रॉक उन्होंने अन्नू के लिए बनवाया था वह खोना नहीं चाहिए । पचास रुपये से खरीदा हुआ प्यालों का सेट भाई साहब तोडें नहीं । पंद्रह
स से जो गिलास बिना खरोंच पहुँचाए हुए प्यार से सम्भाला था , उसे अगर भाई साहब तोड़ दें तो ठीक न होगा ।
भाई साहब को हिदायतें देने के बाद वे अन्नू को भी निर्देश देने लगीं कि अन्नू किस दिन किस समय क्या खायेगी और उसका मेनू (आहारिका ) भी बना दिया । अन्नू कब कितना घूमेगी , क्या पहनेगी यह बूआ जी ने निश्चित कर दिया । सख्त हिदायतों के बाद आर्द्र स्वर में यह भी कहा कि वे अपना ख्याल रखें , दूध , फल

खाने लगें और बिना भूले रोज एक चिट्ठी डाल दें ।
इस प्रकार , बुआ ने भाई साहब और अन्नू को सख्त और नरमाई भरे तरह - तरह के निर्देश दिये ।
8.

बदलूराम का परिचय दीजिए ।

Answer» बदलूराम गाँव का एक अनपढ़ चैधरी हैं । उसके पास सौ बीघा खेती हैं । उसका सारा परिवार खेती - बाड़ी करता हैं । उसके बच्चे और उसकी घरवाली भी खेत मे काम करते हैं । उसके पास चार भैसे हैं ।
सरपंच के सामने कसूरवार के तौर पर पूछताछ करने के लिए लाया गया बदलूराम अनपढ़ होने की वजह से शिक्षा का महत्व नहीं जानता था । वह इस बात से बेख
था कि सरकार ने सबके लिए निः शुल्क शिक्षा की व्यवस्था कर रखी हैं और बच्चों क स्कूल ने भेजना कानून अपराध भी हैं और इस अपराध की सजा भी मिलती हैं । वह सरपंच से कहता हैं कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजकर बहुत पढ़ायेगा ।
दूसरे लोगों को अखबार पढ़ते देखकर बदलूराम को पढ़ने की चाह होती हैं । वह खूद भी पढ़ना चाहता हैं । जब सरपंच उसे गाँव में सरकार व्दारा चलाये गये प्रौढ़ शिक्षा केंद्र के बारे में बताते है तब वह उसका लाभ उठाना चाहता हैं ।
इस प्रकार , बदलूराम एक अच्छी आमदनी कमाने वाला परंतु अनपढ़ किसान हैं जो शिक्षा का महत्व नहीं जानता पर शिक्षित होने की चाह रखता हैं ।
9.

शनि ग्रह का वैज्ञानिक परिचय दीजिए ।

Answer» सौरमंडल का दूसरा और सबसे बड़ा ग्रह शनि हैं । इसकी मंद गति ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता हैं । सालभर के भ्रमण के बाद भी इसकी स्थिति में कोई विशेष अंतर दिखाई देना इसका कारण उसकी मंद और धीमी भ्रमण गति हैं ।
विभिन्न प्रकार की गैसें शनि के वायुमण्डल की रचना करती है । इनमे हाइड्रोजम , हीलियम , मीथे तथा अमोनिया मुख्य गैसें हैं । शनि की सतह के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया हैं । दूरबीन के व्दारा इसका बाहरी वायुमण्डल ही देखा जा सकता है । इसका चमकीलापन इसे देखने में विशेष सहायक सिध्द होता हैं । वैज्ञानिकों का मानना है कि शनि का केंद्र गुठली जैसा हैं ।
शनि सूर्य से बहुत दूर हैं , इसलिए सूर्य का बहुत कम तापमान शनि को मिलता हैं परिमाणस्वरुप शनि बहुत ठण्डा ग्रह हैं । वहाँ का तापमान 0 से (शून्य से ) 150 सेण्टिग्रेड के नीचे हैं । इसीलिए शनि के सतह पर मानव के उतरने की सम्भावना नहीं हैं । वैज्ञानिक शनि के बारे में अधिकतर जानने की कोशिश में हैं । अभी तक दो अंतरिक्ष यान ही शनि की थोड़ी बहुत जानकारी ले पाये हैं ।
10.

प्रस्तुत पाठ के आधार पर रवींद्रनाथ जी की स्वभावगत विशेषताएँ लिखिए ।

Answer» रवींद्रनाथ जी जब अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण श्रीनिकेतन रह गये तब लेखक उन्हें मिलने जाया करते थे । शारीरिक अस्वास्थय के बावजूद भी वे हमेशा लेखक व्दिवेदी जी का स्वागत मुस्कुराकर करते थे पर अनुचित समय पर आने वाले दर्शनार्थियों से वे कुछ भिन्न - भिन्न से रहते थे । मिलने आने वाले बच्चेों से बचपने की छेड़छाड़ करते थे । इस तरह से परिचित लोगों के साथ और बच्चों के साथ वे अपनापन और खुशी महसूस करते थे किंतु जो अपरिचित दर्शनार्थी समय - असमय का ध्यान न रखते हुए या उनके स्वास्थय - अस्वास्थ्य का परिचय किये बिना ही उनसे मिलना चाहते थे , उनसे रवींद्रनाथजी डरे - डरे रहते थे । उनसे मिलने से बचना चाहते थे । वह शांत ओर एकांत वातावरण में रहना पसंद करते थे ।
रवींद्रनाथ जी प्राणीमात्र से बहुत आत्मीयता से पेश आते थे । उनका एक पालतू कुत्ता उनसे बहुत स्नेह रखता था । रवींद्रनाथ जी ने उस कुत्ते को इतना स्नेह दिया था कि वह एक दिन रवीद्रनाथ जी को शांतिनिकेतन मे पाकर बहुत व्याकुल हो गया । उसने ने जाने कैसे पता कर लिया कि वे श्रीनिकेतम रहने गये हैं और वह श्रीनिकेतन में गुरुदेव के पास जाकर खड़ा हो गया । आश्चर्यचकित रवींद्रनाथ जी ने जब कुत्ते की पीठ पर हाथ फेरा तब रवींद्रनाथ जी के स्नेहभरे स्पर्श से कुत्ते को अपार संतोष हुआ । उस मूक प्राणी ने भी गुरुदेव रवींद्रनाथ जी के भीतर बैठे सह्रदय और सस्नेह मनुष्य को पहचान लिया था ।

ामदे में रोज फुदकती हुई लंगड़ी मैना की चाल में रवींद्रनाथ जी को करुणाभाव दिखाी दिया था । उसकी बदली हुई चाल रवींद्रनाथ जी पहचान गये थे । इस तरह रवींद्रनाथ जी को मूक पक्षियों की मनोस्थिति का अनुमान सहज हो जाता था क्योंकि वे मूक पशु - पक्षियों से हृदय से लगाव रखते थे ।
आश्रम के बगीचे में कौओं का अचानक से न होना रवींद्रनाथ जी ने अपने बारीक लक्ष्य से महसूस किया था । लेखक तथा उनके अन्य अध्यापकों ने इस बदलाव पर इतना गौर नहीं किया जितना कि रवींद्रनाथ जी ने । इससे रवींद्रनाथ जी की सूक्ष्म नजर और शांतिनिकेतन में होने वाले हर मूक - अमूक जीवों से आत्मीय लगाव की पहचान होती हैं ।
इस प्रकार , रवींद्रनाथ जी की महानता और अन्य सस्नेह वृत्ती के स्वभाव विशेष इस पाठ में लेखक व्दिवेदी जी ने दर्शाये हैं ।
11.

विकल्प मे से सही विकल्प चुनकर पंक्ति फिर से लिखिए अतल कूप खुद जाते हैं , बच्चों के....... में । (अ) मानस (ब) मन (क) धन

Answer» अतल कूप खूद जाते हैं बच्चों के मन में ।
12.

विकल्प मे से सही विकल्प चुनकर पंक्ति फिर से लिखिए प्रभू जी तुम स्वामी , हम दासा , ऐसी.......... करै रैदासा । (अ) प्रगति (ब) उन्नति (क) भगति

Answer» प्रभु जी तुम स्वामी , हम दासा ऐसी भगति करैं रैदासा ।
13.

मंत्री की राजा को सलाह। टिप्पणी कीजिए ।

Answer» किसी एक देश का राजा संतानहीन था । जब वह बूढ़ा हो गया तो मंत्री ने राजा को सलाह दी कि वह किसी होनहार बालक को गोद ले लें । जब वह नहीं रहेगा , तब उसका खुद का पुत्र या गोद लिया हुआ पुत्र ही सिंहासन का उत्तराधिकारी होता था । राजतंत्र की यह प्रथा संसार के सभी देशों में प्रचलित थी । इसी के अनुसार मंत्री ने राजा को किसी योग्य बाल को गोद लेने की सलाह दी ।
14.

दीर्घायु होने के उपाय पर लेखक के विचार स्पष्ट कीजिए ।

Answer» प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती हैं कि वह दीर्घायु हो । लोगों की इस लालसा को ध्यान में रखकर दीर्घायु होने के उपायों वाली पुस्तकें प्रकाशित होती रहती हैं । इनमें ऐसे उपायों का उल्लेख होता हैं , जिनका पालन करना मुश्किल होता हैं । लेखक लक्ष्मीकांत झा जी के अनुसार , कोई व्यक्ति इन उपायों का अवलम्ब करना चाहें तो भी उसका जीवन स्वंय उसे बोझ जैसा लगेगा अगर इन उपायों का उसे सालभर भी पालन करना पड़े , तो वह आत्महत्या कर लेगा ।
दीर्घायु होने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति भले ही दीर्घायु होने के उपायों के बारे में जान ले पर इन कठिन उपायों का पालन करने की कोशिश वह कभी नहीं करता । इसलिए इन उपदेशों को पढ़कर भी कोई व्यक्ति उन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता ।
दीर्घायु होने के उपाय पर लेखक इस प्रकार अपने विचार व्यक्त करते हैं ।
15.

उद्योगहीन आदमी कैसा होता हैं ?

Answer» राष्टीय संत तुकड़ोजी महाराज के मतानुसार उद्योगहीन व्यक्ति निष्क्रिय और आलसी होता हैं । वह मनुष्य होकर भी शैतान का जीवन जीता हैं । उसका जीवन अशांत होता हैं , जीवन की शांति नष्ट होती हैं । उसे धन या भोजन कुछ भी प्राप्त नहीं होता । कर्म करने में उसकी रुचि नहीं होती । आलसी बनकर जानता और समय को
्बाद करता है । इसलिए ऐसा उद्योगहीन निष्क्रिय आदमी कभी सुखी नहीं होता ।
16.

विकल्प मे से सही विकल्प चुनकर पंक्ति फिर से लिखिए बचाना हैं नदियों को ........... हो जाने से । (अ) गंदा (ब) नाला (क) मैला

Answer» बचाना हैं नदियों को नाला जो जाने से ।
17.

विकल्प मे से सही विकल्प चुनकर पंक्ति फिर से लिखिए बुलडोजर की ........ में चिरनिद्रा में सो गया । (अ) चरमराहट (ब) घरघराहट (क) खड़खड़ाहट

Answer» बुलडोजर की खड़खड़ाहट में चिरनिद्रा में सो गया ।
18.

अपठित गद्य खंड पढ़कर उस पर आकलन करके प्रश्न तैयार कीजिए हिंदी हमारी राजभाषा हैं । यह हमारी अस्मिता की पहचान हैं । हिंदी हमारे विचारों के आदान - प्रदान का सरल माध्यम हैं । हम यह झूठा वहम पाले हुए हैं कि बिना अंग्रेजी सीखे हम नहीं समझ पायेंगे । सभी देश अपनी भाषा का प्रयोग कर गौरव का अनुभव करते हैं । अंग्रेजी को ज्ञान - विज्ञान का वातायन कहना भी निरी मूर्खता हैं - रुस , जापान , चीन आदि देश अपनी - अपनी भाषा का प्रयोग कर आगे बढ़े हैं । अंग्रेजी का प्रयोग करने वालों से वे कम नहीं हैं । अब हिंदी भाषा में प्रत्येक विषय पर अच्छी पुस्तकें उपलब्ध हैं । अब तो बस पक्के इरादों की आवश्यकता हैं । हमें हिंदी के प्रयोग का आदर रखना चाहिए , इसी से हमारी एकता मजबूत होगी और राष्ट्र का विकास होगा ।

Answer» लेखक के अनुसार निरी मूर्खता कौन - सी हैं ?
19.

किसान की आत्मकथा विषय पर निबंध लिखिए ।

Answer» मैं एक किसान हूँ । किसान हर देश का आधार स्तम्भ होते हैं । मुझ पर ही देश की आर्थिक व्यवस्ता टिकी हुई हैं । विश्व का समस्त आनन्द , ऐश्वर्य और वैभव हमारे कारण ही लोग उठा पाते हैं । देश के प्रत्येक व्यक्ति का जीवन मुझ पर निर्भर होता हैं । मेरे व्दारा किया गया अथक परिश्रम अन्न के रुप प्रत्येक घर तक पहुँचता हैं । इंसान को शक्तिशाली बनाने मे हमारा ही अनुदान हैं क्योंकि हमारे व्दारा मेहनत से उगाये गये अन्न को खाकर उसे ऊर्जा मिलती हैं । मेरे कारण ही सबके घर में चूल्हें जलते हैं । यदि मैं अन्न उगाना बंद कर दूँ और अन्य काम करने का प्रयास करुँ तो इंसान भूख से मारा जायेगा इस धरती पर मेरा महत्व भगवान के समान हैं , लेकिन आज के दिन हमें इंसानियत तक भी हासिल नहीं होती । दूसरों के घर के चूल्हें जलाते - जलाते हमारे घर के चूल्हे जलाते - जलाते हमारे घर के चूल्हे बुझ चुके हैं । हमारा परिवार कर्ज मे डूब चुका हैं । हमारी जमीन हमारे अनपढ़ होने का फायदा उठाकर साहूकार जमात ने हड़प कर ली हैं । हमें अपने ही खेतों में उनके लिए मजदूरी करनी पड़ती हैं । दो वक्त की रोटी तक हमें आसानी से हासिल नहीं होती । बहुत मेहनत करने के पश्चात् भी हमारा जीवन अनेक प्रकार के अभावों से घिरा रहता है । गर्मी हो , सर्दी हो या
सात हो खुद को भुलाकर हम अन्न उगाते हैं और हमारे हिस्से में आती हैं मौत । हमारे परिवार की दुर्दशा हमसे देखी नही जाती । सरकार हमारी पुकार नहीं सुनती । साहूकार हमारे कर्जे कम नहीं करता । ऐसे में हमें मुक्ति के लिए सिर्फ मौत ही सहायता करती हैं । अब तो हमारी मौत सस्ती हो गयी हैं । हमारी पुकार भी बेआवाज हो गयी हैं । अगर आप में कुछ इंसानियत बची हैं तो हम निवेदन करते हैं कि जिस जमीन के टुकड़ो में हमने अपनी मेहनत बोयी हैं , बस हमें वही दफना दो ।