InterviewSolution
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                                    गोपियों ने उधव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियों ने उद्धव को कहा है कि वे योग की शिक्षा ऐसे लोगों को दें जिनके मन स्थिर नहीं हैं। जिनके हृदयों में कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है। जिनके मन में भटकाव है, दुविधा है, भ्रम है और चक्कर हैं।  | 
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                                    गोपियाँ अब धैर्य क्यों रखना चाहती हैं? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियों को श्रीकृष्ण की ओर प्रेम के प्रतिदान और शीघ्र आकर दर्शन देने की आशा लगी थी। उन्होंने कृष्ण का प्रेम पाने के लिए सामाजिक मर्यादा की परवाह नहीं की। इसके विपरीत श्रीकृष्ण ने प्रेम की मर्यादा का निर्वाह नहीं किया। इस कारण अब गोपियाँ धैर्य नहीं धारण करना चाहती हैं।  | 
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| 3. | 
                                    गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके।  | 
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                                    उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया? | 
                            
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                                   Answer»  श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ पहले से विरहाग्नि में जल रही थीं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम-संदेश और उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थीं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने उन्हें योग साधना का संदेश भेज दिया जिससे उनकी व्यथा कम होने के बजाय और भी बढ़ गई । इस तरह उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया।  | 
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| 5. | 
                                    गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं । 1. उन्होंने कहा कि उनकी प्रेम-भावना उनके मन में ही रह गई है। वे न तो कृष्ण से अपनी बात कह पाती हैं, न अन्य किसी से। 2. वे कृष्ण के आने की इंतज़ार में ही जी रही थीं, किंतु कृष्ण ने स्वयं न आकर योग-संदेश भिजवा दिया। इससे उनकी विरह-व्यथा और अधिक बढ़ गई है। 3. वे कृष्ण से रक्षा की गुहार लगाना चाह रही थीं, वहाँ से प्रेम का संदेश चाह रही थीं। परंतु वहीं से योग-संदेश की धारा को आया देखकर उनका दिल टूट गया। 4. वे कृष्ण से अपेक्षा करती थीं कि वे उनके प्रेम की मर्यादा को रखेंगे। वे उनके प्रेम का बदला प्रेम से देंगे। किंतु उन्होंने योग-संदेश भेजकर प्रेम की मर्यादा ही तोड़ डाली।  | 
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                                    उद्धव गोपियों के पाए जिस उद्देश्य से आए थे, उसमें सफल नहीं हो सके? | 
                            
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                                   Answer»  उद्धव गोपियों के पास ज्ञान और योग साधना का महत्त्व बताने और उसे अपनाने की सीख देने आए थे, परंतु उद्धव इस उद्देश्य में सफल न हो सके क्योंकि उद्धव को अपने ज्ञान और योग का घमंड सवार था। वे गोपियों के आदर्श प्रेम और उनकी मनोदशा समझ पाने में सर्वथा अनभिज्ञ रहे।  | 
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| 7. | 
                                    ऐसी कौन-सी बात थी जिसे गोपियों को अपने मन में दबाए रखने के लिए विवश होना पड़ा? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियाँ कृष्ण से अनन्य प्रेम करती थीं। अब जब कृष्ण ब्रज से मथुरा चले गए तब भी गोपियाँ उनसे वैसा ही प्रेम करती थीं। गोपियाँ चाहती थीं कि वे कृष्ण के दर्शन करें और अपने प्रेम की अभिव्यक्ति उनसे करें। वे इन बातों को उद्धव से नहीं कर सकती थीं। यही बात उनके मन में दबी रह गई।  | 
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| 8. | 
                                    गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियों को कृष्ण में ऐसे अनेक परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन श्रीकृष्ण से वापस पाना चाहती हैं; जैसे • श्रीकृष्ण ने अब राजनीति पढ़ लिया है जिससे उनके व्यवहार में छल-कपट आ गया है। • श्रीकृष्ण को अब प्रेम की मर्यादा पालन का ध्यान नहीं रह गया है। • श्रीकृष्ण अब राजधर्म भूलते जा रहे हैं। • दूसरों के अत्याचार छुड़ाने वाले श्रीकृष्ण अब स्वयं अनीति पर उतर आए हैं।  | 
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| 9. | 
                                    गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  जब गोपियों ने देखा कि जिस कृष्ण की वे बहुत समय से प्रतीक्षा कर रही थीं, वे नहीं आए। उसकी जगह कृष्ण से दूर ले जाने वाला योग-संदेश आ गया तो उन्हें इसमें कृष्ण की एक चाल नज़र आई। वे इसे अपने साथ छल समझने लगीं। इसीलिए उन्होंने आरोप लगाया कि हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। आज की राजनीति तो सिर से पैर तक छल-कपट से भरी हुई है। किसी को किसी भी राजनेता के वायदों पर विश्वास नहीं रह गया है। नेता बातों से नदियाँ, पुल, सड़कें और न जाने क्या-क्या बनाते हैं किंतु जनता लुटी-पिटी-सी नजर आती है। आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा लग रहा है किंतु तब से लेकर आज तक गरीबों की कुल संख्या में वृद्धि ही हुई है। इसलिए गोपियों का यह कथन समकालीन राजनीति पर खरा उतरता है।  | 
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| 10. | 
                                    संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए? | 
                            
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                                   Answer»  सूरदास के पदों के आधार पर भ्रमरगीत की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 1. सूरदास के भ्रमरगीत में विरह व्यथा का मार्मिक वर्णन है। 2. इस गीत में सगुण ब्रह्म की सराहना है। 3. इसमें गोपियों के माध्यम से उपालंभ, वाक्पटुता, व्यंग्यात्मकता का भाव मुखरित हुआ है। 4. गोपियों का कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम का प्रदर्शन है। 5. उद्धव के ज्ञान पर गोपियों के वाक्चातुर्य और प्रेम की विजय का चित्रण है। 6. पदों में गेयता और संगीतात्मकता का गुण है।  | 
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| 11. | 
                                    उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी? | 
                            
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                                   Answer»  उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे परंतु उन्हें व्यावहारिकता का अनुभव नहीं था। गोपियों ने यह जान लिया था कि उद्धव को श्रीकृष्ण से अनुराग नहीं हो सका, इसलिए उन्होंने कहा था, ‘प्रीति नदी में पाउँ न बोरयो’। उद्धव के पास इसका कोई जवाब न था। इससे गोपियों का वाक्चातुर्य मुखरित हो उठा। गोपियाँ कृष्ण के प्रति असीम, अथाह लगाव रखती थी। जबकि उद्धव को प्रेम जैसी भावना से कोई मतलब न था। उद्धव को इस स्थिति में चुप देखकर उनकी वाक्चातुर्य और भी मुखर हो उठी।  | 
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| 12. | 
                                    गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए? | 
                            
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                                   Answer»  गोपियाँ वाक्चतुर हैं। वे बात बनाने में किसी को भी पछाड़ देती हैं। यहाँ तक कि ज्ञानी उद्धव उनके सामने गैंगे होकर खड़े रह जाते हैं। कारण यह है कि गोपियों के हृदय में कृष्ण-प्रेम का सच्चा ज्वार है। यही उमड़ाव, यही जबरदस्त आवेग उद्धव की बोलती बंद कर देता है। सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति है कि बड़े-से-बड़ा ज्ञानी भी उसके सामने घुटने टेक देता है।  | 
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| 13. | 
                                    श्रीकृष्ण ने गजराज की मदद किस तरह की थी ? | 
                            
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                                   Answer»  एक बार गजराज किसी बड़े जलाशय में नहाने गया। वह नहाने में व्यस्त था, तभी उसके पैर को एक मगरमच्छ ने मुँह में दबाया और उसे गहराई में खींचने लगा। असहाय हाथी गहरे पानी में सरकने लगा। अपनी मृत्यु निकट देखकर गजराज ने कमल पुष्प कँड़ में उठाया और प्रभु को मदद के लिए पुकारा। उसकी पुकार सुनकर प्रभु नंगे पाँव दौड़े आए। उन्होंने मगरमच्छ को मारकर गजराज को बचाया।  | 
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| 14. | 
                                    निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-हरि आप हरो जन री भीर।द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।भगत कारण रूप नरहरि, धर्योो आप सरीर। | 
                            
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                                   Answer»  काव्य-सौंदर्य- भाव-सौंदर्य – हे कृष्ण! आप अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करो। जिस प्रकार आपने चीर बढ़ाकर द्रोपदी की लाज रखी, व नरसिंह रूप धारण कर भक्त प्रहलाद की पीड़ा (दर्द) को दूर किया, उसी प्रकार आप हमारी परेशानी को भी दूर करो। आप पर पीड़ा को दूर करने वाले हो। शिल्प-सौंदर्य- 1. भाषा – गुजराती मिश्रित राजस्थानी भाषा 2. अलंकार – उदाहरण अलंकार 3. छंद – “पद” 4. रस – भक्ति रस  | 
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| 15. | 
                                    भगवान को नरहरि का रूप क्यों धारण करना पड़ा? | 
                            
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                                   Answer»  हिरण्यकश्यप नामक एक अत्याचारी एवं अभिमानी राजा था। वह स्वयं को ही ईश्वर मानता था; परंतु उसका पुत्र ईश्वर का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को तरह-तरह से समझाया कि वह प्रभु भक्ति छोड़कर उसे (हिरण्यकश्यप) ही भगवान माने पर प्रहलाद तैयार न हुआ। उसके पिता उसे तरह-तरह की यातना दी पर प्रहलाद का विश्वास प्रभु में बढ़ता ही गया। एक बार जब उसने प्रहलाद की जान लेनी चाही तो भगवान ने नरसिंह का रूप धारण कर प्रहलाद की रक्षा की और हिरण्यकश्यप को मार दिया।  | 
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| 16. | 
                                    वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं? | 
                            
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                                   Answer»  मीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए उनकी चाकर (नौकर) बनकर चाकरी करना चाहती हैं अर्थात् उनकी सेवा करना चाहती हैं। वे उनके लिए बाग लगाकर माली बनने तथा अर्धरात्रि में यमुना-तट पर कृष्ण से मिलने व वृंदावन की कुंज-गलियों में घूम-घूमकर गोविंद की लीला का गुणगान करने को तैयार हैं।  | 
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| 17. | 
                                    मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए। | 
                            
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                                   Answer»  मीराबाई ने अपने पदों में ब्रज, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं का प्रयोग किया गया है। भाषा अत्यंत सहज और सुबोध है। शब्द चयन भावानुकूल है। भाषा में कोमलता, मधुरता और सरसता के गुण विद्यमान हैं। अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भक्ति भाव के कारण शांत रस प्रमुख है तथा प्रसाद गुण की भावाभिव्यक्ति हुई है। मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। वे अपने आराध्य देव से अपनी पीड़ा का हरण करने की विनती कर रही हैं। इसमें कृष्ण के प्रति श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के भाव की अभिव्यंजना हुई है। मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों जैसे अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, उदाहरण आदि अलंकारों का सफल प्रयोग हुआ है।  | 
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| 18. | 
                                    मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है? | 
                            
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                                   Answer»  मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का अलौकिक वर्णन किया है कि उन्होंने पीतांबर (पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी शोभा को बढ़ा रहे हैं। मुकुट में मोर पंख पहने हुए हैं तथा गले में वैजयंती माला पहनी हुई है, जो उनके सौंदर्य में चार चाँद लगा रही है। वे ग्वाल-बालों के साथ गाय चराते हुए मुरली बजा रहे हैं।  | 
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| 19. | 
                                    ‘तीनू बाताँ सरसी’ के माध्यम से कवयित्री क्या कहना चाहती है? उसकी यह मनोकामना कैसे पूरी हुई ? | 
                            
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                                   Answer»  कवयित्री मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वह श्रीकृष्ण की चाकरी करके उनका सामीप्य पाना चाहती थी। इस चाकरी से उन्हें अपने प्रभु के दर्शन मिल जाते। उनका नाम स्मरण करने से स्मरण रूपी जेब खर्च मिल जाता और भक्तिभाव रूपी जागीर उन्हें मिल जाती। उन्होंने अपनी इस मनोकामना की पूर्ति कृष्ण की अनन्य और भक्ति के माध्यम से पूरी की।  | 
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| 20. | 
                                    कवयित्री मीरा अपने प्रभु के सौंदर्य पर क्यों रीझी हुई हैं? स्पष्ट कीजिए। | 
                            
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                                   Answer»  कवयित्री मीरा के प्रभु का रूप-सौंदर्य अत्यंत सुंदर है। उनके प्रभु के सिर पर मोर मुकुट है। उनके गले में बैजंती के फूलों की सुंदर माला सुशोभित है। वे मधुर धुन में मुरली बजाते हुए वृंदावन में गाएँ चराते हैं। इसी अद्वितीय सौंदर्य के कारण मीरा अपने प्रभु पर रीझी हैं।  | 
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| 21. | 
                                    पाठ में संकलित पदों के आधार पर मीरा की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए। | 
                            
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                                   Answer»  मीरा कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति में दास्य भाव अधिक दिखाई देता है। इस पाठ में संकलित पदों को पढ़ने से उनकी भक्ति का दो रूप उभरकर सामने आता है- • दास्य रूप • रसिक रूप। प्रथम पद में कवयित्री अपने प्रभु से पहले लोगों का दुख दूर करने की प्रार्थना करती है। वह अपने प्रभु का गुणगान करती हुई उनकी क्षमताओं का स्मरण कराती है। इसी क्रम में वह अपने प्रभु को द्रौपदी, गजराज और प्रहलाद के प्रति किए गए कार्यों का दृष्टांत प्रस्तुत करती हुई अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती है। दूसरे पद में मीरा अपने प्रभु के रूप सौंदर्य पर मोहित होती हैं। वे उनका सान्निध्य पाने का प्रयास करती हैं और उनकी सेवा करते हुए उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव उपाय करती है।  | 
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| 22. | 
                                    मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण का दर्शन और सामीप्य पाने के लिए क्या-क्या उपाय करती हैं? | 
                            
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                                   Answer»  कवयित्री मीरा अपने प्रभु की भक्ति में डूबकर उनका सामीप्य और दर्शन पाना चाहती हैं। इसके लिए वे चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उन्हें अपनी चाकरी में रख लें। मीरा बाग लगाना चाहती हैं ताकि श्रीकृष्ण वहाँ घूमने आएँ और उन्हें दर्शन मिल सके। वे श्रीकृष्ण का गुणगान ब्रज की गलियों में करती हुई घूमना-फिरना चाहती हैं। मीरा विशाल भवन में भी बगीचा बनाना चाहती हैं ताकि उस बगीचे में घूमते श्रीकृष्ण के दर्शन कर सके। वे श्रीकृष्ण का सामीप्य पाने के लिए लाल रंग की साड़ी पहनती हैं और अपने प्रभु से प्रार्थना करती हैं कि वे आधी रात में यमुना के किनारे मिलने की कृपा करें क्योंकि इस मिलन के लिए उनका मन बेचैन हो रहा है  | 
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| 23. | 
                                    कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु से क्या प्रार्थना की है? प्रथम पद के आधार पर लिखिए। | 
                            
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                                   Answer»  कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। उनके प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी, प्रहलाद और गजराज की जिस तरह सहायता की थी और उन्हें विपदा से मुक्ति दिलाई उसी तरह मीरा अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना अपने प्रभु से की है।  | 
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