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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

गंगा की धारा को बताया गया है(क) कामधेनु के थनों से निकलती दूध की धारा के समान(ख) हिमालय की पिघली बर्फ के समान(ग) जड़ी-बूटियों की स्वास्थ्यवर्धक दवा के समान(घ) चन्द्रमा के उज्ज्वल प्रकाश के समान।

Answer»

(क) कामधेनु के थनों से निकलती दूध की धारा के समान

2.

तत्काल अघहर है’ ये गंगा की किस विशेषता का वर्णन है?(क) तत्काल लाभ देना(ख) स्वच्छ जल(ग) पवित्रता(घ) पापों को तुरन्त हरने वाली।

Answer»

(घ) पापों को तुरन्त हरने वाली।

3.

राजा भगीरथ के नाम पर गंगा को किस नाम से पुकारा जाता है?

Answer»

गंगा को राजा भगीरथ के नाम पर ‘भागीरथी’ नाम से पुकारा जाता है।

4.

'जमजाल को जहर है’ कहने से गंगा की क्या विशेषता प्रकट होती है?

Answer»

'जमजाल को जहर है’ कहने से प्रकट होता है कि गंगा में यमराज के पाश को काटने की शक्ति है।

5.

‘‘जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं’.-पंक्ति में कौन-सा अलंकार है।

Answer»

इस पंक्ति में यमक अलंकार है।

6.

त्यों फन पै फबी है भूमि-इस पंक्ति में कवि ने किस मान्यता की ओर संकेत किया है?

Answer»

“त्यों फन पै फबी है भूमि” में कवि ने पौराणिक मान्यता की ओर संकेत किया है, जिसमें कहा गया है धरती शेषनाग के फन पर टिकी है।

7.

‘राजमूल केवल प्रजा को भौन भरिबो-के अनुसार राजा का क्या कर्तव्य बताया गया है?

Answer»

राजा का कर्तव्य प्रजा का पालन करना तथा उसका हित करना बताया गया है।

8.

गंगा की धारा कहाँ से निकलती है?

Answer»

गंगा की धारा ब्रह्माजी के कमण्डल से निकली है।

9.

पद्माकर का देहावसान कहाँ हुआ ?

Answer»

पद्माकर का देहावसान कानपुर में हुआ।

10.

पद्माकर के पिता का नाम क्या था ?

Answer»

पद्माकर के पिता का नाम मोहन लाल भट्ट थी।

11.

पद्माकर का वास्तविक नाम क्या था ?(क) नटवर लाल(ख) प्यारे लाल(ग) लल्लूलाल(घ) मोहन लाल।

Answer»

(ख) प्यारे लाल

12.

‘पद्माकर ने जगद्विनोद ग्रंथ की रचना की थी(क) जयपुर के राजा जगत सिंह के कहने पर।(ख) उदयपुर के राजा भीमसेन के आदेश पर(ग) राजा दौलतराव के आदेश पर(घ) अपनी इच्छा के अनुसार।

Answer»

(क) जयपुर के राजा जगत सिंह के कहने पर।

13.

पद्माकर की कृतियों के नाम लिखिए।

Answer»

पद्माकर की निम्नलिखित कृतियाँ हैं-जगद्विनोद, हिम्मत बहादुर विरुदावलि, प्रबोध पचासा, पद्माभरण, गंगा लहरी, प्रताप सिंह विरुदावलि, कलि पचीसी, राम रसायन इत्यादि।

14.

‘पद्माकर’ की भाषा है|(क) खड़ी बोली(ख) ब्रज(ग) अवधी(घ) भोजपुरी

Answer»

‘पद्माकर’ की भाषा है ब्रज।

15.

गंगाजल पीने से क्या लाभ होता है?

Answer»

गंगाजल पीने से धर्म-लाभ होता है।

16.

पद्माकर किस काल के कवि थे?

Answer»

पद्माकर रीतिकाल के कवि थे।

17.

पद्माकर की दो विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

पद्माकर प्रतिभाशाली तथा स्वच्छन्द प्रकृति के थे।

18.

पद्माकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में एक लेख लिखिए।

Answer»

पद्माकर एक प्रतिभाशाली कवि थे। ये अत्यन्त स्वच्छ प्रवृत्ति के थे। वह जयुपर में कई वर्षों तक अत्यन्त ठाठ-बाट के साथ रहे। जब वह यात्रा पर जाते थे तो पूरा लाव-लश्कर उनके साथ रहता था। एक बार वह कहीं जा रहे थे। यह देखकर किसी राजा को भ्रम हो गया कि कोई अन्य राजा उसके ऊपर हमला करने आ रहा है। पद्माकर का स्वभाव ही ऐसा था कि उनको अनेक राजाओं के आश्रय में रहना पड़ा। जयपुर निवास के समय इनका किसी सुनार स्त्री से सम्बन्ध हो गया था। उनको कुष्ठ रोग भी हो गया था। जब वह चरखारी नरेश से मिलने गए तो उनके बारे में यह जानकर उन्होंने इनसे मिलना स्वीकार नहीं किया था।

पद्माकर कवि तथा लक्षण ग्रंथकार थे। आप ब्रजभाषा में सुन्दर कविता लिखते थे। आपकी कविता पर प्रसन्न होकर अनेक राजाओं ने आपको धन तथा जागीरें प्रदान की थीं। बताते हैं कि 56 गाँव, इतने ही लाख रुपये तथा इतने ही हाथी पद्माकर को विभिन्न राजाओं से प्राप्त हुए थे। पद्माकर ने सब मिलाकर नौ पुस्तकें लिखी थीं। राम रसायन, हिम्मत बहादुर विरुदावलि, जगद्विनोद, पद्माभरण इत्यादि उनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं।

19.

‘पद्माकर’ की ‘गंगा लहरी’ की विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

पद्माकर की ‘गंगा लहरी’ ब्रजभाषा में लिखित काव्य है। भाषा अनुप्रासमय तथा चित्रात्मक है। पदावली अत्यन्त मधुर है। यह पद्माकर की अन्तिम अवस्था में रचा गया काव्य है। वैराग्य तथा भक्ति भावना से ओतप्रोत रचना है। कवि ने गंगा की पतितों का उद्धार करने की अनुपम शक्ति का वर्णन किया है तथा गंगा माता की स्तुति की गई है।

20.

पद्माकर की काव्य-प्रतिभा का परिचय दीजिए।

Answer»

रीतिकाल के कवियों में पद्माकर की प्रतिभा अनुपम थी। आपने नौ पुस्तकों की रचना की थी। पद्माकर ब्रजभाषा में रचना करते थे। आपकी भाषा अनुप्रासमय तथा चित्रात्मक है, आपकी पदावली में मधुरता है। आपने कोमलकान्त पदावली का प्रयोग किया है। आपकी रचनाओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है। ‘गंगा लहरी’ तथा ‘प्रबोध पचासा’ उनके अन्तिम समय की रचनाएँ हैं। वैराग्य तथा भक्तिभाव की प्रधानता है।