InterviewSolution
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                                    लेखिका प्रयाग से कौन-सा उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी? | 
                            
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                                   Answer»  लेखिका प्रयाग से बारह सूपों का उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी।  | 
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                                    आशय स्पष्ट कीजिए:(क) सत्य में जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़नाघटाना सम्भव नहीं है।(ख) क्या वह सांचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे? | 
                            
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                                   Answer»  (क) भाव यह है कि सत्य अंत तक सत्य ही रहता है। उसमें से कुछ भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता। उसी प्रकार एक सच्चे व्यक्तित्व में कुछ भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता, क्योंकि सच्चा व्यक्ति सदैव एक ही रूप में नज़र आता है। (ख) भाव यह है कि क्या ईश्वर से वह सांचा टूट गया है, जिसके माध्यम से वह राजेंद्र बाबू जैसे कठिन और कोमल चरित्र वाले व्यक्ति बनाता था। अब ईश्वर ने उन जैसे सरल तथा परिश्रमी व्यक्ति बनाना बंद कर दिया है। आज वह वातावरण नष्ट हो गया है जिस वातावरण में नैतिक चरित्रों का निर्माण होता था।  | 
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| 3. | 
                                    ‘राजेंद्र बाबू को मैंने पहले पहल एक सर्वथा गद्यात्मक वातावरण में देखा था।’ लेखिका द्वारा वर्णित ‘गद्यात्मक वातावरण’ का वर्णन करो। | 
                            
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                                   Answer»  लेखिका ने जब पहली बार राजेंद्र बाबू को देखा था, तो वह उनके व्यक्तित्व से पूर्णतः अपरिचित थी। परंतु जैसे-जैसे वह उनके संपर्क में आती गई, वैसे-वैसे उनके जीवन में छिपे हुए गूढ़ रहस्यों को भी जानती गई। इसी ‘गद्यात्मक वातावरण’ का वर्णन लेखिका ने इस पाठ में किया है।  | 
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| 4. | 
                                    राजेंद्र बाबू सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति थे। आप उनके कौन-कौन से गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे? | 
                            
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                                   Answer»  हम राजेंद्र बाबू के जीवन से सादगी, सरलता, विनम्रता, सहजता आदि गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं।  | 
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| 5. | 
                                    निम्नलिखित विग्रह पदों को समस्त पदों में बदलिएराष्ट्र का पतिरसोई के लिए घरकर्म में निष्ठाविद्या की पीठगंगा में स्नानराष्ट्रपति का भवन | 
                            
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                                   Answer»  राष्ट्र का पति = राष्ट्रपति रसोई के लिए घर = रसोईघर कर्म में निष्ठा. = कर्मनिष्ठा विद्या का पीठ = विद्यापीठ गंगा में स्नान = गंगास्नान राष्ट्रपति का भवन = राष्ट्रपति भवन  | 
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| 6. | 
                                    निम्नलिखित शब्दों में संधि विच्छेद कीजिएराजेंद्र, वातावरण, फलाहार, व्यतीत, मिष्ठान्न, प्रत्येक, व्यवस्था, एकासन। | 
                            
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                                   Answer»  राजेंद्र = राजा + इंद्र वातावरण = वात + आवरण फलाहार = फल + आहार व्यतीत = वि + अतीत मिष्ठान्न = मिष्ठा + अन्न प्रत्येक = प्रति + एक व्यवस्था = वि + अवस्था एकासन = एक + आसन।  | 
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| 7. | 
                                    आप किसी महान् व्यक्तित्व से मिले हो अथवा आपने किसी महान् व्यक्तित्व के बारे में पढ़ा हो तो संक्षेप में लिखिए। | 
                            
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                                   Answer»  मैं स्वामी विवेकानंद जी के विषय में पढ़ रहा था तो मुझे उनसे संबंधित यह प्रसंग बहुत प्रेरणादायक लगा भारत के प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंज़ में भाग लेने के लिए अमेरिका जाने वाले थे। आपके गुरु ठाकुर रामकृष्ण परम-हंस ब्रह्मलीन हो चुके थे। आप गुरु माँ शारदा देवी जी का आशीर्वाद लेने उनके पास पहुँचे। माँ शारदा रसोई घर में आटा मल रही थीं। उन्होंने विवेकानंद जी से चाकू मांगा। विवेकानंद जी ने चाकू का फल तो अपने हाथ में पकड़ा और चाकू की मूठ माँ की ओर बढ़ा दी। माँ ने प्रसन्न होकर आटे से सने हाथ से विवेकानंद को आशीर्वाद देते हुए विजयीभव कह दिया और कहा, “बेटा, चाकू पकड़ाने की छोटी-सी घटना ने आपकी महानता का परिचय दे दिया। आप दूसरों के कष्टों को अपने ऊपर झेलते हुए और अपना सुख दूसरों को बाँटते हुए पूरे विश्व में ठाकुर जी की शिक्षा का प्रचार करोगे।” इस प्रसंग से मैंने यह सीखा कि समस्त कष्ट अपने लिए होते हैं तथा सुख दूसरों के लिए होते हैं।  | 
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| 8. | 
                                    पाठ के आधार पर राजेंद्र बाबू की पत्नी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें। | 
                            
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                                   Answer»  राजेंद्र बाबू की पत्नी एक सच्ची भारतीय नारी थीं। वह धरती के समान सहनशील, क्षमामयी, ममतालु तथा सरल थीं। बचपन में ही उनका विवाह हो गया था। बिहार के ज़मीदार परिवार की वधू तथा स्वतंत्रता संग्राम के सुप्रसिद्ध सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति की पत्नी होने का भी उन्हें अहंकार नहीं था। राष्ट्रपति भवन में वे स्वयं भोजन पकाती थी तथा पति, परिवार, परिजनों आदि को खिला कर ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। लेखिका के छात्रावास में अपनी पौत्रियों से मिलने आने पर वे छात्रावास की अन्य छात्राओं, सेवकों आदि को भी मिठाई बांट देती थीं। गंगा स्नान के समय वे खूब दान करती थीं।  | 
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| 9. | 
                                    निम्नलिखित में संधि कीजिएशीत + अवकाश, विद्या + अर्थी, मुख + आकृति, छात्र + आवास, प्रति + ईक्षा, प्रति + अक्ष। | 
                            
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                                   Answer»  शीत + अवकाश = शीतावकाश विद्या + अर्थी = विद्यार्थी मुख + आकृति = मुखाकृति छात्र + आवास = छात्रावास प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष।  | 
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| 10. | 
                                    लेखिका राष्ट्रपति भवन जाते समय अपने साथ क्या उपहार ले गई?(क) कुशासन(ख) शीतलपाटी(ग) सूप(घ) चटाई। | 
                            
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                                   Answer»  सही विकल्प है (ग) सूप  | 
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| 11. | 
                                    राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआउदाहरण देकर स्पष्ट करें। | 
                            
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                                   Answer»  राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू तथा उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ था। अपनी पौत्रियों के संबंध में राजेंद्र बाबू ने लेखिका से कहा था कि उनकी पौत्रियाँ जैसी रहती आई हैं, अब भी वैसी ही रहेंगी। इसी प्रकार से उनकी पत्नी स्वयं भोजन बना कर पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के बाद ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। उपवारर का णयण फल, मेवों, मिठाइयों आदि के स्थान पर वे उबले हुए आलू खाकर करते थे।  | 
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| 12. | 
                                    डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की वेशभूषा की क्या विशेषता दृष्टि को और भी उलझा देती थी? | 
                            
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                                   Answer»  उनकी वेशभूषा की ग्रामीणता दृष्टि को और भी उलझा लेती थी।  | 
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| 13. | 
                                    लेखिका प्रयाग में कौन-सी कक्षा में पढ़ती थी तथा शीतावकाश में कहाँ जा रही थी? | 
                            
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                                   Answer»  लेखिका प्रयाग में बी०ए० में पढ़ती थी और शीतावकाश में भागलपुर जा रही थी।  | 
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| 14. | 
                                    राजेन्द्र बाबू के निकट संपर्क में आने का अवसर लेखिका को कब मिला?(क) 1935 में(ख) 1937 में(ग) 1939 में(घ) 1941 में। | 
                            
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                                   Answer»  सही विकल्प है (ख) 1937  | 
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| 15. | 
                                    फलाहार के साथ किन खाद्य पदार्थों की कल्पना लेखिका ने की थी? | 
                            
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                                   Answer»  फलाहार के साथ उत्तम खाद्य पदार्थों की कल्पना लेखिका ने की थी।  | 
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| 16. | 
                                    डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की व्यवस्था कैसी थी? | 
                            
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                                   Answer»  डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की सारी व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता की पर्याय थी।  | 
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| 17. | 
                                    लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री क्यों कहा है? | 
                            
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                                   Answer»  लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री इसलिए कहा है क्योंकि वे धरती के समान सरल, क्षमामयी, सबके प्रति ममतालु तथा त्यागमयी थीं। बिहार के ज़मींदार परिवार की वधू होकर भी उन्हें अहंकार नहीं था। वे सबका बहुत ध्यान रखती थीं। वे अत्यंत विनम्र स्वभाव की थीं।  | 
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| 18. | 
                                    भाव स्पष्ट कीजिए ‘व्यापकता ही सामान्यता की शपथ है, परंतु व्यापकता संवेदना की गहराई में स्थित रहती है।’ | 
                            
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                                   Answer»  भाव यह है कि संवेदनशीलता एक व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों से जोड़ती है, जिससे वह अपनी विशिष्टता के रहते हुए भी एक सामान्य व्यक्ति बन जाता है।  | 
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| 19. | 
                                    पाठ के किन वाक्यों से पता चलता है कि राजेंद्र बाबू अपनी वेश-भूषा के प्रति सचेष्ट नहीं रहते थे? ऐसा क्यों? | 
                            
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                                   Answer»  लेखिका ने जब पहली बार राजेंद्र बाबू को देखा तो उसे उनकी वेश भूषा बहुत अस्त-व्यस्त लगी। उनके कोट के ऊपर के भाग का बटन टूट जाने के कारण खुला था। उनका एक मोज़ा जूते पर उतर आया था और दूसरा टखने पर घेरा बना रहा था। जूतों पर मिट्टी की पर्त चढ़ी हुई थी। उनके सिर पर पहनी हुई गांधी टोपी भौंहों पर खिसक आई थी। उनकी वेश-भूषा देखकर लगता था मानो वे किसी हड़बड़ी में चलते-चलते कपड़े पहनते आए हैं, जो जिस स्थिति में अटक गया, वह उसी स्थिति में अटका रह गया।  | 
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| 20. | 
                                    राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को क्यों हो आया? | 
                            
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                                   Answer»  राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को इसलिए हो आया क्योंकि यह एक सच्चे शिष्य की भाँति राजेंद्र बाबू के पुराने वस्त्रों को पहन कर स्वयं को धन्य अनुभव करते थे।  | 
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| 21. | 
                                    राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को क्यों हो आया ? | 
                            
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                                   Answer»  राजेंद्र बाबू की वेशभूषा तथा अस्त-व्यस्तता से लेखिका को उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण हो गया था। चक्रधर बाबू तब तक अपने मोज़े तथा जूते नहीं बदलते थे जब तक मोज़ों से पाँचों उँगलियाँ बाहर नहीं निकलने लगती थीं तथा जूतों के तलों में सुराख नहीं हो जाते थे। वे अपने वस्त्र भी उनके जीर्ण-शीर्ण हो जाने तक नहीं बदलते थे। वे राजेंद्र बाबू के पुराने वस्त्रों को पहन कर ही वर्षों उनकी सेवा करते रहे थे।  | 
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