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1.

रामकृष्ण परमहंस के व्यक्तित्व की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।

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रामकृष्ण परमहंस बहुत ही सरल इंसान थे। सत्रह वर्ष की आयु में वे अपने गाँव से कोलकाता आ गए। कोलकाता आने के कुछ दिनों बाद वे कोलकाता के नजदीक दक्षिणेश्वर स्थित काली मंदिर के पुजारी बन गए। वहाँ वे दिन रात साधना में लीन रहते थे। इसी समय एक महान संत तोताराम उन्हें गुरु के रूप में मिले, जिनके सानिध्य में इन्हें देवी दर्शन एवं ज्ञान की प्राप्ति हुई। रामकृष्ण जी ने अपनी आध्यात्मिक साधना के बल पर अनेक सिधियों को प्राप्त किया। एक महान विचारक एवं उपदेशक के रूप में उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया। उनके परम शिष्य परम तेजस्वी स्वामी विवेकानंद थे। विवेकानंद जी ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की एवं इनके. उपदेशों की भारत सहित विश्व के अनेक देशों में प्रचारित किया।

2.

रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख उपदेशों का वर्णन कीजिए।

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रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख उपदेश निम्नलिखित हैं-

  • कर्म के लिए भक्ति का आधार होना आवश्यक है।
  • उसका जन्म वृथा है जो दुर्लभ मानव जनम पाकर भी इसी जीवन में भगवान को पाने की चेष्टा नहीं करता।
  • जिसने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर लिया, उस पर काम और लाभ का विष नहीं चढ़ता।
  • जब हवा चलने लगे तो पंखा छोड़ देना चाहिए परन्तु ईश्वर की कृपा जब होने लगे तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए।
  • यदि तुम ईश्वर की दी गई शक्तियों को सदुपयोग नहीं करोगे तो वह अधिक नहीं देगा अर्थात ईश-कृपा के योग्य बनने के लिए भी पुरुषार्थ चाहिए।
  • पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है।
  • मैले शीशे से सूर्य की किरणों का प्रतिबिंब नही पड़ता, उसी प्रकार जिनका अंत:करण मलिन और अपवित्र है उनके हृदय में ईश्वर के प्रकाशं का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता।
  • मैं भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली विद्या नहीं चाहता हूँ। मैं उस विद्या का चाहता हूँ। जिससे हृदय में ज्ञान का उदय होता है।
3.

स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

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स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी, 1836 को बंगाल प्रांत के एक छोटे से गाँव कामारपुकुर में हुआ था।