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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

रैदास किस राज्य की कामना करते हैं?

Answer»

रैदास ऐसे राज्य की कामना करते हैं, जहाँ सभी को अन्न मिले।

2.

रैदास किस प्रकार जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते हैं?

Answer»

रैदास श्रम या मेहनत करके जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते हैं।

3.

रैदास ने किस प्रकार के राज्य का वर्णन किया है?

Answer»

संत रैदास ने रामराज्य का वर्णन किया है। वे कहते हैं- ऐसा राज्य होना चाहिए जिसमें सभी प्रजा को अन्न (आहार) मिले, जहाँ छोटे-बड़े, धनी-गरीब, दीन-दलित सभी को समान अधिकार मिले। सभी समान रूप से, सौहार्दता से जिएँ। वे परिश्रम करके खुशहाल रहें।

4.

रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है?

Answer»

कवि संत रैदास जी भक्त और भगवान का अटूट सम्बन्ध बताते हुए कहते हैं कि प्रभुजी आप चंदन हैं तो हम पानी हैं, आप यदि घना वन या जंगल हैं तो हम मोर हैं, आप यदि दीपक हैं तो हम बाती हैं, आप यदि मोती हैं तो हम धागा हैं और यदि आप स्वामी हैं तो हम आपके दास हैं; फिर हमारा संबंध अलग कैसे हो सकता है?

5.

रैदास कब प्रसन्न रहेंगे?

Answer»

जब सभी समान हो जाएंगे तब रैदास प्रसन्न रहेंगे।

6.

परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास के क्या विचार हैं?

Answer»

परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास जी कहते हैं कि संसार के हर मनुष्य को सदा प्रयत्नशील रहना चाहिए। उनके अनुसार श्रम, लगन, निष्ठा व ईमान से किया गया प्रत्येक कार्य श्रेष्ठ व फलदायक होता है। मांगकर खाने की जगह परिश्रम की कमाई पर निर्भर रहना चाहिए। जो मनुष्य मेहनत करेगा, पसीना बहाएगा, उसका परिणाम सदा अच्छा ही होगा। ऐसे नेक कमाई कभी निष्फल नहीं होगी।

7.

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :प्रभु जी तुम दीपक, हम बाती,जाकी जोति बरै दिन राती।प्रभु जी तुम मोती, हम धागा,जैसे सोने मिलत सुहागा ॥

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के रैदासबानी’ से लिया गया है जिसके कवि संत रैदास हैं।

संदर्भ : इसमें रैदास जी भक्त और भगवान के बीच के संबंध का वर्णन करते हैं।

भाव स्पष्टीकरण : भगवान और भक्त के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हुए रैदास जी कहते हैं कि भगवान के बिना भक्त का कोई अस्तित्व नहीं है। प्रभु जी यदि दीप हैं तो भक्त वर्तिका के समान है। दोनों मिलकर प्रकाश फैलाते हैं। प्रभु जी यदि मोती हैं तो भक्त धागा है, दोनों मिलकर सुंदर हार बन जाते हैं। दोनों का मिलन सोने पे सुहागे के समान है।
दास्य भक्ति, शरणागत तत्व भी इसमें दर्शाया गया है। वे (रैदास) प्रभुजी को स्वामी मानते हैं और अपने को उनका दास या सेवक मानते हैं।

विशेष : दास्य भक्ति की पराकाष्ठा इसमें है।

8.

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :रैदास श्रम करि खाइहि,जो लौ पार बसाय।नेक कमाई जउ करइ,कबहुँ न निहफल जाय।।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के रैदासबानी’ नामक कविता से लिया गया है जिसके रचयिता संत रैदास हैं।

स्पष्टीकरणः इस पद्य में रैदास ने श्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला है। उनके अनुसार श्रम, लगन, निष्ठा व ईमान से किया गया प्रत्येक कार्य श्रेष्ठ व फलदायक होता है। रैदास स्वयं कड़ी मेहनत कर कार्य करना चाहते हैं। आजीवन इसी तरह श्रम साध कर अपनी जिन्दगी गुजारना चाहते हैं। ऐसे नेक कमाई कभी निष्फल नहीं होगी, ऐसा विश्वास रैदास को भरपूर है।

विशेष : भाषा – ब्रज। श्रम की महत्ता का महत्व दर्शाया है।

9.

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :ऐसा चाहो राज में,जहाँ मिले सबन को अन्न।छोटा-बड़ो सभ सम बसै,रैदास रहै प्रसन्न।।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘रैदासबानी’ नामक कविता से लिया गया है जिसके रचयिता संत रैदास हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत पद में रैदास जी समाज के सभी वर्ग के लोगों के प्रति समान भाव से हितकारी एवं सुखी राज्य की कामना करते हैं।

स्पष्टीकरण : कवि संत रैदास इस पद के माध्यम से समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए चाहें वह छोटा हो या बड़ा एक ऐसे राज्य की कामना करते हैं जहाँ सभी सुखी 

हों, जहाँ सभी को अन्न मिले, जिसमें कोई भूखा-प्यासा न रहे, जहाँ कोई छोटा-बड़ा न होकर एक समान हो। ऐसे राज्य से रैदास को प्रसन्नता होती है।

विशेष : भाषा – ब्रज। भाव – भक्ति भावना, प्रेम भावना से परिपूर्ण।

10.

रैदासबानी कविता का सारांश अँग्रेजी में लिखें।

Answer»

The following is a collection of verses by the saint Raidas.
in the first verse, the poet says that he has been uttering the Lord’s name and now it is becoming impossible for him to stop. The poet compares himself, a devotee, to the Lord. . He says that if the Lord is sandalwood, then I (the poet) am water. If the Lord is a flame, then the poet is a wick. If the Lord is a pearl, then the poet says that he is a thread. Finally, he says that the Lord is the almighty and he is a servant of the Lord.

In the second verse, Raidas explains the importance of hard work. He says that one must always work hard and feed oneself by one’s efforts. Raidas tells the reader that we must become a Karmayogi – One who believes it is one’s duty to put in efforts. When one works hard and earns his livelihood through moral means, his efforts never go unrewarded.

In the third verse, Raidas imagines a kingdom where everyone is happy, and where everyone has enough food to eat. He imagines such a kingdom where no one is left wanting for food or water, and where without discrimination, everyone is equal and lives happily. Imagining such a kingdom makes Raidas happy.

11.

रैदासबानी कवि परिचय :

Answer»

भक्ति काल के निर्गुण संतों में संत रैदास का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। आपका ज्ञान सत्संग एवं लौकिक अनुभव का प्रतिफल था। आप अपने आचरण में संत और साधना में भक्त थे। आपकी भक्ति सरल और सहज है। उसमें न तो योग-मार्ग की जटिलता है और न भक्ति का शास्त्रीय विधान। रैदास वस्तुतः प्रेमा भक्ति से अनुगत थे। आपकी वाणी में भक्ति भावना, समाज का व्यापक हित, मानव प्रेम आदि को स्थान मिला है। आपके भजन एवं उपदेशों से लोग प्रेरित होकर अनुयायी बन जाते थे। आपकी वाणी का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर विद्यमान था। संत रैदास जी ने अपने आचरण और व्यवहार से प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म और व्यवसाय के कारण महान नहीं बनता बल्कि विचारों की श्रेष्ठता और गुण के आधार पर ही श्रेष्ठ बनता है।

12.

रैदासबानी कविता का आशय :

Answer»

प्रस्तुत पदों में संत रैदास ने भगवान के प्रति अपना दास्यभाव प्रकट किया है। प्रभु को चंदन, दीपक, मोती और स्वामी मानते हुए अपने आपको पानी, बाती, धागा और दास माना है। परिश्रम से की गई कमाई को श्रेष्ठ बताया गया है और अन्त में एक सुखी राज्य की कामना की गई है।

13.

रैदास किसकी रट लगाए हुए हैं?

Answer»

रैदास राम की रट लगाए हुए हैं।

14.

अंग-अंग में किसकी सुगंध समा गई है?

Answer»

अंग-अंग में चंदन की/प्रभु की भक्ति का सुगंध समा गई है।

15.

प्रभु जी अगर मोती हैं तो धागा कौन है?

Answer»

प्रभु जी अगर मोती है तो धागा रैदास जी है।

16.

रैदास के अनुसार कभी भी क्या निष्फल नहीं जाता?

Answer»

रैदास के अनुसार कभी भी नेक कमाई निष्फल नहीं जाती।

17.

चकोर पक्षी किसे देखता रहता है?

Answer»

चकोर पक्षी चान्द को देखता रहता है।

18.

प्रभु जी के दीपक बनने पर रैदास क्या बन जाते हैं?

Answer»

प्रभु जी के दीपक बनने पर रैदास जी बाती या बत्ती बन जाते हैं।

19.

रैदास अपने आपको किसका सेवक मानते हैं?

Answer»

रैदास अपने आपको प्रभु राम जी का सेवक मानते हैं।

20.

रैदास अगर मोर हैं तब प्रभु जी क्या हैं?

Answer»

रैदास अगर मोर हैं तब प्रभु जी धन या बादल है।

21.

‘सोने मिलत सुहागा’ मुहावरे का क्या अर्थ है?

Answer»

‘सोने मिलत सुहागा’ मुहावरे का अर्थ है खुशी के मौके पर एक और खुशी का मिलना।

22.

रैदास भगवान से किस प्रकार की भक्ति करते हैं?

Answer»

रैदास भगवान से ‘दास्यभाव’ की भक्ति करते हैं।