InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
आवाज़ से राख जैसा गिरता हुआ’ से क्या तात्पर्य है ? |
|
Answer» मुख्य गायक की आवाज़ तारसप्तक तक पहुंचकर क्षीण होने लगती है। आवाज़ के क्षीण होने की प्रक्रिया को कवि ने ‘राख जैसा कुछ गिरता हुआ’ कहा है। |
|
| 2. |
संगतकार’ की आवाज़ में कौन-सी हिचक स्पष्ट सुनाई देती है ? |
|
Answer» संगतकार की आवाज़ में अपनी आवाज़ को मुख्य गायक/गायिका की आवाज़ से ऊंचा न उठाने की हिचक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। |
|
| 3. |
संगतकार की क्या भूमिका होती है ? इसके द्वारा कवि समाज के किस तरह के व्यक्तियों की तरफ इशारा कर रहा है ? |
|
Answer» संगतकार मुख्य गायक/गायिका के साथ सहयोग में गाने या बजानेवाला वह व्यक्ति है जो मुख्य गायक के पीछे-पीछे टेक की पंक्ति स्थायी गाता है और अपनी उपस्थिति का अहसास कराते हुए उसका साथ देने के लिए उसके समीप रहता है। इस कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि समाज के हर क्षेत्र में संगतकार जैसे व्यक्ति होते हैं, जो मुख्य व्यक्ति की सफलता और प्रसिद्धि में चुपचाप योगदान देने को सदैव तत्पर रहते हैं और उसे ही अपना कर्तव्य मानते हैं। |
|
| 4. |
संगतकार कविता में कवि क्या संदेश देना चाहता है ? |
|
Answer» ‘संगतकार’ कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि मुख्य गायक की गायकी को सफल बनाने के दायित्व बोध से संगतकार कभी भी मुख्य गायक से अपनी आवाज़ को ऊंची नहीं करता, इसका यह तात्पर्य कदापि नहीं है कि वह कमजोर है या असफल है। कवि आगे कहता है कि यह संगतकार की विफलता नहीं अपितु मानवता है जो अपने अस्तित्व को छिपाए रखकर मुख्य गायक के लिए पथ प्रशस्त करता है। |
|
| 5. |
कठिन परिस्थिति में संगतकार मुख्य गायक को क्या अहसास दिलाता है ? कैसे ? |
|
Answer» कठिन परिस्थिति में संगतकार मुख्य गायक को यह अहसास दिलाता है कि आप अकेले नहीं है। बिगड़ते हुए राग को अपना स्वर देकर उसे संवार देता है, इस तरह वह गायन को संभाल लेता है, बिगड़ने से बचा लेता है। |
|
| 6. |
संगतकार चाहकर भी अपना स्वर मुख्य गायक से कभी ऊँचा नहीं करता है। क्या यह उसका दायित्वबोध है या और कुछ ? |
|
Answer» संगीत के आयोजन में संगतकार कभी भी चाहकर भी अपना स्वर मुख्य गायक से ऊंचा नहीं करता, वास्तव में यह संगतकार का दायित्व बोध ही है। क्योंकि यदि संगतकार का स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊंचा हो जाएगा तो संगीत आयोजन का उद्देश्य और सफलता प्रभावित होगी। यदि संगतकार को ऐसा लगने लगा कि मेरा स्वर मुख्य गायक से श्रेष्ठ है, उत्तम है तो मख्य गायक की प्रतिभा क्षीण होगी जो परे आयोजन को प्रभावित करे बिना न रहेगा। इसलिए उत्तम संगतकार सदैव सहयोगी की भूमिका में ही रहना उचित तथा श्रेयस्कर मानता है। |
|
| 7. |
‘संगतकार’ कविता में संगतकार त्यागमूर्ति है, कैसे ? |
|
Answer» ‘संगतकार’ त्याग की मूर्ति है, क्योंकि उसका संपूर्ण जीवन मुख्य गायक के लिए अर्पित हो जाता है। उसकी सामर्थ्य तथा योग्यता मुख्य गायक की सफलता को अर्पित हो जाती है। संगतकार कभी भी मुख्य गायक को पछाड़कर उससे आगे निकलने का प्रयास नहीं करता । यह संभव है कि संगतकार के मन में उससे आगे निकलने की भावना हो, तब वह या तो उसे कुचल देता है अथवा मुख्य गायक से अलग होकर अपनी अलग टीम बना सकता है। दोनों ही स्थितियों में त्याग अनिवार्य बन जाता है। |
|