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1.

संसार में मजदूरों की खुशी के लिए किसने अपना सारा जीवन दुःखों में बिता दिया ?(क) न्यूटन(ख) लेनिन(ग) कार्ल मार्क्स(घ) सिद्धार्थ

Answer»

सही विकल्प है (ग) कार्ल मार्क्

2.

लेखक के अनुसार कौन से दो शब्द कम समझ में आते हैं ?(क) सभ्यता और साहित्य(ख) सभ्यता और संस्कृति(ग) संस्कृति और असंस्कृति(घ) सभ्यता और असभ्यता

Answer»

(ख) सभ्यता और संस्कृति

3.

‘संस्कृति और सभ्यता’ में क्या अंतर है ? ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

लेखक के अनुसार मनुष्य की बुद्धि या उसका विवेक किसी नयी वस्तु की खोज करें या नये तथ्य का दर्शन कराये तो किसी भी नयी वस्तु की खोज करना ही संस्कृति है और नये आविष्कारों का उपभोग करना ही सभ्यता है। उदाहरण के तौर पर आग की खोज यह आविष्कार है इसे ही संस्कति कहा जाएगा।

आग का उपयोग कर स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सभ्यता है, शीतोष्ण में शरीर को ठंड से बचाने के लिए आग का उपयोग करना सभ्यता है। अत: यह कहा जा सकता है कि संस्कृति का परिणाम सभ्यता है। दोनों वस्तुएं एकदम भिन्न है। लोग गलती से दोनों को एक मानने की भूल कर बैठते हैं।

लेखक के अनुसार जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग का आविष्कार हुआ वह है संस्कृति और संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ, जो चीज उसने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की, उसका नाम है सभ्यता।

4.

लेखक ने किसे रक्षणीय वस्तु नहीं माना है ?

Answer»

संस्कृति के नाम से जिस कूड़े-करकट के ढेर का बोध होता है, किसी पुरानी रूढ़ियों को, जिसमें मानव का अहित छिपा है, उसे पकड़कर बैठे रहना न तो वह संस्कृति है और न ही रक्षणीय वस्तु।

5.

गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने की थी?(क) न्यूटन(ख) बेलहाम।(ग) पाइथागोरस(घ) थोमस अल्वा एडीसन

Answer»

सही विकल्प है (क) न्यूटन

6.

‘संस्कृति’ पाठ में वर्णित महानुभावों के कार्यों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

‘संस्कृति’ पाठ में लेखक आनंद भदंत ने लेनिन, कार्ल मार्क्स व सिद्धार्थ जैसे महानुभावों का उल्लेख किया है। रूस के भाग्यविधाता लेनिन ने अपनी डेस्क में रखे हुए डबल रोटी के सुखे टुकड़े स्वयं न खाकर दूसरों को खिलाया करते थे। कार्ल मार्क्स ने संसार के मनुष्यों को सुखी देखने के लिए स्वयं पूरी जिंदगी दुःख भोगते रहे। उसी प्रकार सिद्धार्थ ने मानव कल्याण की भावना से ओतप्रोत होकर अपना राजसी ठाठ-बाठ त्याग दिया, मानवता के सुख के लिए । अत: इन तीनों महानुभावों ने मानव कल्याण के लिए अपने निजी सुखों का त्याग कर दिया।

7.

लेखक की समझ में किसे संस्कृत कहा जा सकता है?

Answer»

लेखक की समझ के अनुसार मानव संस्कृति की जो योग्यता आग व सुई-धागे का आविष्कार कराती है वह भी संस्कृति है, जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है, वह भी संस्कृति है तथा जो योग्यता किसी महामानव से सर्वस्व त्याग कराती है, वह भी संस्कृति है।

8.

‘संस्कृति’ पाठ का मूल उद्देश्य क्या हैं ? समझाइए।अथवा‘संस्कृति’ पाठ के द्वारा लेखक क्या कहना चाहते हैं, समझाइए।

Answer»

‘संस्कृति’ पाठ के माध्यम से लेखक ने ‘संस्कृति और सभ्यता’ इन दो शब्दों के बीच के भेद को समझाने की चेष्टा की है। प्रायः लोग इन दो शब्दों को एक ही मान लेते हैं। लेखक ने उदाहरण द्वारा इन दो शब्दों को समझाने का प्रयास किया है। संस्कृति और सभ्यता वास्तव में दोनों अलगअलग वस्तुएँ हैं। संस्कृति नए विचार, खोज आविष्कारों की जननी है और इन आविष्कारों का उपयोग करना हमारी सभ्यता मानी गई है। सभ्यता संस्कृति का परिणाम हैं और यह अविभाज्य वस्तु है। इसे बाँटा नहीं जाना चाहिए। लेखक को संस्कृति का बटवारा करनेवाले लोगों पर बड़ा दुःख होता है। मनुष्य की कल्याणकारी भावना से रहित संस्कृति को वे संस्कृति नहीं मानते और न ही रक्षणीय वस्तु ।

9.

आदमी के पहले क्या थे तथा मानव के लिए उनकी क्या उपयोगिता थी ? संस्कृति पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।

Answer»

‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर आदमी के पहले आविष्कार आग और सुई धागा रहे होंगे। प्रारंभिक मानव के लिए इन आविष्कारों की बहुत अधिक उपयोगिता रही होगी। इन्हीं आविष्कारों के परिणामस्वरूप मनुष्य ने भौतिक सुख-समृद्धि तथा विकास की ओर अपने कदम बढ़ाए।

आग ने मनुष्य को पके हुए स्वादिष्ट भोजन का स्वाद चखाया, तो दूसरी ओर सुई-धागे के आविष्कार नै वस्त्रों का निर्माण शरीर को ठंडी, गर्मी से बचाने के लिए वसों की सहायता ली। इन्हीं वस्त्रों से उसने अपने शरीर को सजाया होगा।

धीरे-धीरे इन्हीं आविष्कारों से प्रेरणा पाकर उसने अपने जीवन को और अधिक सुगम और सहुलियतपूर्ण बनाने के लिए नित नये-नये आविष्कार करता गया। वर्तमान समय में मनुष्य जिन भौतिक सुख-साधनों का उपभोग कर रहा है, यह नित-नये आविष्कार का ही परिणाम है।

10.

कौन-सा व्यक्ति संस्कृत नहीं कहला सकता ?

Answer»

जिस व्यक्ति को अपने पूर्वजों से नए आविष्कार, नए तथ्य अनायास अपने पूर्वजों से स्वतः प्राप्त हो गई है वह व्यक्ति सभ्य भले ही बन जाए, ऐसा व्यक्ति संस्कृत व्यक्ति नहीं कहला सकता।

11.

वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है?

Answer»

संस्कृत व्यक्ति होने के लिए कवि ने कई सारे मानदंड बताएँ हैं। उनके अनुसार ऐसा व्यक्ति जो अपनी योग्यता के आधार पर नवीन तथ्यों की खोज करता है, वह व्यक्ति वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। उदाहरण के तौर पर न्यूटन ने अपनी योग्यता के आधार पर गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की।

यह सिद्धांत नया था इसलिए न्यूटन को संस्कृत व्यक्ति कहा जाएगा। जिसने भी अपनी योग्यता के आधार पर सुई-धागा या आग का आविष्कार किया होगा वह व्यक्ति संस्कृत व्यक्ति कहलाएगा। लोक कल्याण की भावना से प्रेरित व्यक्ति यदि लोक कल्याण का कार्य करे तो उसे भी संस्कृत व्यक्ति कहा जाएगा : जैसे सिद्धार्थ ।

12.

वास्तविक संस्कृत व्यक्ति कौन है?

Answer»

जो व्यक्ति किसी नयी चीज की खोज करता है अपनी बुद्धि से, विवेक से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है।

13.

सभ्यता को संस्कृति का परिणाम क्यों कहा गया है?

Answer»

संस्कृति नए विचार, खोज आविष्कारों की जननी है और इन आविष्कारों का उपयोग करना हमारी सभ्यता मानी गई है। इसलिए सभ्यता को संस्कृति का परिणाम कहा गया है।

14.

लेखक को कौन-से दो शब्द कम समझ में आते हैं ? क्यों ?

Answer»

सभ्यता और संस्कृति ये दो शब्द हैं जो लेखक को कम समझ में आते हैं। जब इन शब्दों के आगे अनेक विशेषण लग जाते हैं जैसे भौतिक – सभ्यता, आध्यात्मिक – सभ्यता तो इनका थोड़ा बहुत अर्थ समझ में आता है, वह भी कभी गलत-सलत हो जाता है।

15.

‘संस्कृति’ निबंध में मानव की ज्ञान पाने की इच्छा और भौतिक प्रेरणा को किन उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया गया है?

Answer»

‘संस्कृति’ निबंध में मानव की ज्ञान पाने की इच्छा उसकी उस प्रवृत्ति को माना गया है, जिसके प्रभाव स्वरूप वह निठल्ला नहीं बैठ सकता। इसके लिए लेखक ने रात के तारों को देखकर न सो सकनेवाले मनीषी का उदाहरण दिया है।

16.

किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

Answer»

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। मनुष्य को जब जिस वस्तु को जरूरत महसूस हुई उसने अपनी योग्यता व क्षमता का उपयोग करके उस वस्तु का उत्पादन करना शुरू किया होगा। संभवत: आदि मानव के युग में मनुष्य को अपना तन ढकने के लिए कपड़े को जोड़ने की जरूरत महसूस हुई होगी।

मनुष्य ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करके उसने सुई-धागे का आविष्कार किया होगा। नग्न बदन की अपेक्षा वस्त्रों से ढका हुआ शरीर ज्यादा सुन्दर लगता है तो अपने शरीर को सजाने के लिए उसे कपड़े जोड़ने की आवश्यकता महसूस हुई होगी। इन्हीं कुछ कारणों या जरूरतों से प्रेरित हो मनुष्य ने सुई धागे का आविष्कार किया होगा।

17.

न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं ? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जाननेवाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते ? क्यों ?

Answer»

एक संस्कृत व्यक्ति वह होता है जो किसी नयी चीज की खोज करता है। इसके अनुसार न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त की एक नयी खोज की थी। इसलिए वे संस्कृत मनुष्य थे। न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे यही तर्क है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जाननेवाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत इसलिए नहीं कहला सकते क्योंकि आज के युग के लोग न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त से तो परिचित हैं ही लेकिन इसके साथ उसे अन्य कई बातों का भी ज्ञान है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित होगा। किन्तु वे लोग न्यूटन की तरह नये तथ्यों की खोज नहीं कर सकते इसलिए वे संस्कृत मानव नहीं कहलाएगे।

18.

लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं? लिखिए।

Answer»

मेरे विचार में सभ्यता और संस्कृति का जीवन में बहुत महत्त्व है। संस्कृति एक सूक्ष्म गुण है जो किसी प्रबुद्ध मानव के भीतर पाई जाती है और वह संस्कृत मानव कहलाता है। सभ्यता का रूप मूर्त है। सभ्यता का लाभ संस्कृति मानवों की संताने उठाती हैं। अपनी योग्यता व आवश्यकता के अनुसार सभ्यता के रूप में भी परिवर्तन आता है। सभ्यता से मनुष्य के खान-पान, रहन-सहन, आवागमन के साधनों का, वेशभूषा का परिचय मिलता है। मेरे अनुसार संस्कृति सूक्ष्म गुण है और सभ्यता संस्कृति का मूर्त रूप है।

19.

आशय स्पष्ट कीजिए :मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे संस्कृति कहें या असंस्कृति ?

Answer»

मनुष्य का आविष्कार मानव कल्याण के लिए किया जाय तब तो उस आविष्कार को उत्तम कहा जाएगा। किन्तु मनुष्य अपनी योग्यता से आत्म विनाश का आविष्कार करती है, जिससे मानव जाति का नुकसान हो तो उस नयी खोज को संस्कृति कदापि नहीं माना जाएगा। उसे तो असंस्कृति ही कहेंगे। कोई भी आविष्कार मानव कल्याण के लिए ही होना चाहिए। यदि मनुष्य अपनी योग्यता का दुरुपयोग करके एटमबम आदि का निर्माण करके समस्त मानव जाति के अस्तित्व को खतरे में डाल दे तो उस आविष्कार को असंस्कृति ही कहा जाएगा।

20.

आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्त्रोत क्या रहे होंगे?

Answer»

आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज मानी जाती है क्योंकि आज हम जितने भी स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं, उसके मूल में आग ही है। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। मनुष्य को उस समय अंधकार में प्रकाश की जरूरत पड़ी होगी, ठंड से बचने के लिए भी उसे अग्नि की आवश्यकता पड़ी होगी।

अनायास किसी चीज के घर्षण से उसने अग्नि को प्रकट होते देखा होगा तो इसकी खोज के पीछे यही प्रेरणास्त्रोत होगा। घर्षण से जंगल में आग लगने पर अंधकार दूर हुआ होगा, ठंड से बचाव हुआ होगा। अग्नि की खोज के पीछे यही प्रेरणास्त्रोत माना जा सकता है।

21.

‘संस्कृति’ पाठ में आए दो बड़े अविष्कार के विषय में लेखक क्या कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

‘संस्कृति’ पाठ में लेखक ने दो बड़े आविष्कारों का जिक्र किया है। आग और सुई-धागा। लेखक बताते हैं कि जब मानव समाज का अग्निदेवता से साक्षात् नहीं हुआ था उस समय जिस आदमी ने पहली बार आग का आविष्कार किया होगा वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा। दूसरा उदाहरण लेखक ने सुई-धागा का दिया है।

उस समय जब मानव को सुई-धागे का परिचय न था, जिस मनुष्य के दिमाग में पहले-पहल बात आई होगी कि लोहे के एक टुकड़े को घिसकर उसके एक सिरे को छेदकर और छेद में धागा पिरोकर कपड़े के दो टुकड़े एकसाथ जोड़े जा सकते हैं, वह भी कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा। इस तरह से लेखक ने इन दो बड़े आविष्कारों की बात की है।

22.

लेखक की दृष्टि में सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

Answer»

लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति को सही समझ अब तक नहीं बन पाई है 

इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  1. लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति का अर्थ स्पष्ट किए बिना मनमाने ढंग से दोनों शब्दों का उपयोग किया जाता है।
  2. कई लोग इन शब्दों के आगे थोड़ा विशेषण लगा देते हैं, जैसे – भौतिक सभ्यता, आध्यात्मिक सभ्यता आदि । इनका थोड़ा बहुत अर्थ समझ
    में आता है वह भी गलत-सलत।
  3. लोग इन शब्दों के विषय में अलग-अलग विचार प्रस्तुत करते हैं, अलग-अलग परिभाषित करते हैं। अत: इन दोनों शब्दों में अर्थ की दृष्टि से सही समझ नहीं बन पाई है।