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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

जाकी ज्योति बरै दिन राती’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer»

ईश्वर रूपी ज्योति ऐसी है जो निरन्तर जलती रहती है, जो कभी बुझती नहीं है। यह निरन्तर प्रज्ज्वलित रहती है। ईश्वर रूपी ज्योति पूरे संसार को आलोकित करती रहती है।

2.

‘प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी’ कविता के आधार पर रैदास की भक्ति पर प्रकाश डालिए।

Answer»

रैदास निर्गुण सन्त थे। उनकी ज्ञान सत्संग एवं लौकिक अनुभव का प्रतिफल था। रैदास एक साधक के रूप में भक्ति भाव के विशेष आग्रही हैं। उनका विश्वास है कि भक्ति से रहित बाहरी आडम्बर निरर्थक है। जो व्यक्ति हृदय से भगवान के प्रति समर्पित नहीं केवल कर्मकाण्ड, तीर्थयात्रा, जप-तप आदि पर ही विश्वास करते हैं, उनकी मुक्ति असम्भव है।

वे मूर्ति पूजा, यज्ञ, पुराण-कथा आदि की भी उपेक्षा करते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर कर्मा है, सर्वव्यापक है, अन्तर्यामी है तथा भक्ति से प्रसन्न होकर दीन-दलितों का उद्धार करने वाला है। ऐसे ईश्वर को प्राप्त करने के लिए भक्ति को छोड़कर वे अन्य कोई साधने उचित नहीं मानते।

3.

‘प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।

Answer»

हे प्रभुजी ! आप चन्दन हैं और मैं पानी, जिसकी सुगन्ध मेरे अंग-अंग में समा गयी है। हे प्रभुजी ! आप इस उपवन के वैभव हैं और मैं मोर। मेरी दृष्टि आपके ऊपर लगी हुई है जैसे-चकोर चन्द्रमा की तरफ देखता रहता है। हे ईश्वर ! आप दीपक हैं और मैं उस दीप की बाती हूँ जिसकी ज्योति निरन्तर जलती रहती है। हे ईश्वर ! आप मोती हैं और मैं उस मोती में पिरोया जाने वाला धागा हूँ। यह स्थिति उसी प्रकार है जैसे सोने और सुहागा के मिलने पर होता है। हे प्रभुजी ! आप स्वामी हैं और मैं आपका दास हूँ। रैदास के मन में ईश्वर के प्रति इसी तरह का भक्तिभाव है।

4.

रैदास किस कवि के समकालीन थे?

Answer»

रैदास कबीर के समकालीन थे।

5.

रैदास की माता का नाम लिखिए।

Answer»

रैदास पुराण में रैदास की माता का नाम भगवती दिया गया है।

6.

रैदास का जीवन परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।अथवारैदास की साहित्यिक सेवाओं एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

Answer»

रैदास
(स्मरणीय तथ्य)

जन्म-                    14वीं शताब्दी के मध्य से 15वीं शताब्दी को उत्तरार्द्ध।
मृत्यु-                    संवत् 1597
माता का नाम-     भगवती
पिता का नाम-     मानदास ।
कृतियाँ-                रैदास की वाणी

जीवन-परिचय- भक्ति कालीन कवियों में सन्त रैदास का महत्त्वपूर्ण स्थान है, किन्तु सटीक साक्ष्यों के अभाव में आज भी इनका जीवन अन्धकारपूर्ण है।

रैदास की अनेक कृतियों में उनके अनेक नाम देखने को मिलते हैं। देश के विभिन्न भागों में उनके ऐसे अनेक नाम प्रचलित हैं जिनमें उच्चारण की दृष्टि से बहुत थोड़ा अन्तर है। रैदास (पंजाब), रविदास (आधुनिक), रयदास, रदास (बीकानेर की प्रतियों में), रयिदास आदि नाम इस उच्चारण की भिन्नता को ही प्रकट करते हैं। इसलिए लोक प्रचलन और सुविधा की दृष्टि से उनका मूल नाम रैदास ही स्वीकार किया जाता है। भक्तमाल में कहा गया है कि रैदास रामानन्द के शिष्य थे। स्वत: रैदास की वाणी में भी ऐसे उद्धरण उपलब्ध हैं, जहाँ उन्होंने स्वामी रामानन्द को अपना गुरु स्वीकार किया है

रामानन्द मोहि गुरु मिल्यो, पायो ब्रह्मविसास।
रस नाम अमीरस पिऔ, रैदास ही भयौ पलास

रामानन्द का समय 14वीं शताब्दी के मध्य से 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक माना जाता है किन्तु इसकी विरोधी धारणा यह भी प्रचलित है कि रैदास मीरा के गुरु थे। मीरा का समय 16वीं शताब्दी के मध्य से 17वीं शताब्दी के आरम्भ तक माना गया है। प्रायः सभी विद्वानों की धारणा है कि रैदास कबीर (जन्म संवत् 1455) के समकालीन थे।

रैदास के माता-पिता के बारे में प्रामाणिक रूप से कुछ कहना कठिन जान पड़ता है। जनश्रुतियों तथा साम्प्रदायिक सूचनाओं के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले गये हैं। भविष्यपुराण में रैदास के पिता का नाम मानदास बताया गया है। रैदास-पुराण में रैदास की माता का नाम ‘भगवती’ दिया गया है।

रैदास का निर्वाण (तिथि तथा स्थल)- रैदास के निर्वाण की तिथि तथा स्थल के विषय में कोई प्रामाणिक सूचना नहीं मिलती। चित्तौड़ के रविदासी भक्तों का कथन है कि चित्तौड़ में कुम्भनश्याम के मन्दिर के निकट जो रविदास की छतरी बनी हुई है, वही उनके निर्वाण का स्थल है। उस छतरी में रैदास जी के निर्वाण की स्मृतिस्वरूप रैदास जी के चरण-चिह्न भी बने हुए हैं।

रैदास-रामायण के रचयिता ने लिखा है कि रैदास गंगा तट पर तपस्या करते हुए जीवन-मुक्त हुए। दोनों ही विचारधारा वाले लोग रैदास का ‘सदेह गुप्त’ होना मानते हैं। श्रद्धालु भक्त महापुरुषों का ‘सदेह गुप्त’ होना ही मान सकते हैं किन्तु इस सदेह गुप्त होने से एक संशय उत्पन्न होता है। वस्तुत: रैदास के निर्वाण को किसी ने देखा नहीं और इसीलिए उनकी मृत्यु को श्रद्धापूर्वक सन्देह गुप्त’ अथवा ‘सदेह गुप्त’ कह दिया गया। वस्तुत: रैदास जी अचानक किसी स्थल पर अनायास स्वर्गवासी हो गये होंगे और भक्तों को ज्ञात नहीं हो सका होगा इसीलिए उनके विषय में श्रद्धापूर्वक सदेह गुप्त होने की बात चल पड़ी। रैदास के मृत्यु-स्थल का किसी को भी पता नहीं है।

जहाँ तक रैदास की निर्वाण-तिथि का प्रश्न है, रविदासी सम्प्रदाय तथा भक्तों में रैदास की निर्वाण-तिथि चैत बदी चतुर्दशी मानी जाती है। किसी अन्य प्रमाण के अभाव में हम भी इसी तिथि को रैदास की निर्वाण-तिथि मान सकते हैं। जहाँ तक रैदास के निर्वाण के वर्ष का प्रश्न है, कुछ विद्वानों ने रैदास का मृत्यु-वर्ष संवत् 1597 माना है।’मीरा-स्मृति-ग्रंथ’ में उनका मृत्यु-वर्ष संवत् 1576 माना गया है।
रैदास की जन्मतिथि को देखते हुए इनमें से कोई भी वर्ष असंगत ज्ञात नहीं होता। हाँ, यह बात अवश्य है। कि रैदास के निर्वाण के सम्बन्ध में इन वर्षों को मानने वाले श्रद्धालु भक्तों ने उनकी आयु 130 वर्ष तक मानकर उनको कबीर से भी ज्येष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा अवश्य की है।

कृतियाँ-

1.आदि ग्रन्थ में उपलब्ध रैदास की वाणी,

2.रैदास की वाणी, वेलवेडियर प्रेस। |

हिन्दी साहित्य से जुड़े अनेक विद्वानों ने रैदास जी पर आधारित अनेक रचनाएँ की हैं, जो निम्नलिखित हैं

1.सन्त रैदास और उनका काव्य (सम्पादक : रामानन्द शास्त्री तथा वीरेन्द्र पाण्डेय),

2.सन्त सुधासार (सम्पादक : वियोगी हरि),

3.सन्त-काव्य (परशुराम चतुर्वेदी),

4.सन्त रैदास : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (संगमलाल पाण्डेय),

5.सन्त रैदास (डॉ० जोगिन्दर सिंह),

6.रैदास दर्शन (सम्पादक : आचार्य पृथ्वीसिंह आजाद),

7.सन्त रविदास (श्री रत्नचन्द),

8.सन्त रविदास : विचारक और कवि (डॉ० पद्म गुरुचरण सिंह) और

9.सन्त गुरु रविदास वाणी (डॉ० वेणीप्रसाद शर्मा)।

भाषा-शैली- रैदास की भाषा वस्तुत: तत्कालीन उत्तर भारत की सामान्य जनता के प्रति ग्राह्य भाषा बनकर राष्ट्रीय एकसूत्रता की भाषा बन गयी थी। इनकी भाषा में अवधी एवं ब्रज के शब्दों का सर्वाधिक प्रयोग हुआ है। इनकी शैली भी प्रसाद गुण सम्पन्न और मुख्यतः अभिधात्मक ही रही है। रैदास के काव्य में भावातिरेक की मात्रा अधिक थी। अतः उनकी रचनाओं में उस अतिरेक को प्रकट करने के लिए प्रतीकात्मक लाक्षणिक शैली अनेक स्थलों पर सहायक सिद्ध हुई है।

7.

भक्ति कालीन कवियों को सूचीबद्ध कीजिए।

Answer»
  1. कबीर
  2. मलिक मोहम्मद जायसी
  3. रैदास
  4. मीरा बाई
  5. सूरदास
  6. तुलसीदास
8.

रैदास किस काल के कवि थे?

Answer»

रैदास भक्तिकाल के कवि थे।

9.

‘जैसे चितवत चन्द चकोरा’ में कौन-सा अलंकार है?

Answer»

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है।

10.

निम्नलिखित के तत्सम रूप लिखिए – राती, सोनहिं, मोती।

Answer»

रात्रि, सुवर्ण, मुक्ता।

11.

रैदास की रचनाओं के नाम लिखिए।

Answer»

रैदास की वाणी।

12.

रैदास के पिता का क्या नाम था?

Answer»

भविष्य पुराण में रैदास के पिता का नाम मानदास बताया गया है।