InterviewSolution
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ग्रामीण स्थानीय संस्था ग्राम पंचायत के मुख्य शैक्षणिक कार्यों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ग्राम पंचायत के शैक्षणिक कार्य हमारे देश में पंचायती राज्य संशोधित अधिनियम (1954) के अनुसार, 250 से अधिक आबादी वाले प्रत्येक ग्राम में एक ग्राम सभा की व्यवस्था की गई है। इससे कम आबादी वाले ग्रामों को पास के ग्राम में मिलाने का प्रावधान है। कई गाँवों को मिलाकर जिस कार्यकारिणी का गठन होता है उसे ग्राम पंचायत कहते हैं। वस्तुत: ग्राम पंचायत ग्राम सभा की कार्यकारिणी समिति है जो निजी क्षेत्र की उन्नति हेतु विविध कार्यक्रमों की व्यवस्था करती है। ग्राम पंचायत के शिक्षा सम्बन्धी कार्य संक्षेप में इस प्रकार हैं ⦁ मात्र ग्राम के अन्तर्गत शिक्षा प्रबन्ध तक सीमित रहने वाली ग्राम पंचायत, बालक-बालिकाओं के लिए प्राथमिक विद्यालय स्थापित कर उनका संचालन करती है। |
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किसी क्षेत्र-विशेष की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए गठित संस्थाओं को कहते हैं(क) नगरपालिका(ख) ग्राम पंचायत(ग) नोटीफाइड एरिया(घ) स्थानीय संस्थाएँ |
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Answer» सही विकल्प है (घ) स्थानीय संस्थाएँ |
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निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य⦁ किसी क्षेत्र विशेष की प्रशासन-व्यवस्था के लिए गठित प्रशासनिक संस्था को स्थानीय संस्था कहा जाता है।⦁ स्थानीय संस्थाएँ शैक्षणिक कार्यों में कोई उल्लेखनीय भूमिका नहीं निभातीं।⦁ ग्राम पंचायतों द्वारा प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था के लिए रात्रि पाठशालाओं की व्यवस्था की जाती है।⦁ स्थानीय संस्थाएँ शिक्षा की व्यवस्था मनमाने ढंग से करती हैं।⦁ स्थानीय संस्थाओं के संचालन में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं। |
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Answer» ⦁ सत्य, |
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स्थानीय संस्थाओं से आप क्या समझते हैं? स्थानीय संस्थाओं के महत्त्व को भी स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» आज के युग में किसी भी राष्ट्र की केन्द्रीय या राज्य सरकार के पास स्थानीय (अर्थात् क्षेत्र विशेष की) समस्याओं के समाधान हेतु समय नहीं होता। ग्राम, कस्बे और नगर की स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय संस्थाओं; जैसे—ग्राम पंचायत, टाउन एरिया या नोटीफाइड एरिया कमेटी, जिला परिषद् या नग़रमहापालिका आदि के माध्यम से किया जाता है। स्थानीय संस्थाएँ अन्य मामलों के साथ-साथ अपने क्षेत्र से जुड़े शिक्षा सम्बन्धी मामलों के विषय में स्वविवेकानुसार निर्णय लेने तथा कार्य करने की पूर्ण स्वतन्त्रता रखती हैं। स्थानीय संस्थाओं का अर्थ (Meaning of Local Bodies) स्थानीय संस्थाओं का तात्पर्य ऐसी संस्थाओं से है जिनका सम्बन्ध किसी स्थान (या क्षेत्र) विशेष से हो और जिनका प्रबन्धं उस स्थान विशेष के निवासियों द्वारा ही किया जाए। स्थानीय संस्थाएँ स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government) के अन्तर्गत आती हैं। स्थानीय स्वशासन में स्थानीय जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को क्षेत्र के शासन-प्रबन्ध में भाग लेने का अवसर मिलता है। इस शासन द्वारा नगर, कस्बे या ग्राम में रहने वाले लोगों को अपने स्थानीय मामलों को अपनी आवश्यकता तथा इच्छा के अनुसार प्रबन्ध करने की स्वतन्त्रता होती है। स्थानीय संस्थाओं का महत्त्व (Importance of Local Bodies) स्थानीय संस्थाओं के महत्त्व का वर्णन निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है ⦁ स्थानीय लोगों का शासन से सम्बन्ध-आधुनिक समय में विश्व के अधिकांश देशों में प्रतिनिध्यात्मक लोकतान्त्रिक शासन-पद्धति प्रचलित है। इस पद्धति के अन्तर्गत स्थानीय लोगों का शासन से सीधा सम्बन्ध नहीं होता। वे स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से समस्याओं का कार्यभार हल्का शासन से सम्बन्ध रखते हैं। टॉकविल ने स्थानीय संस्थाओं का महत्त्व बताते हुए लिखा है, “नागरिकों की स्थानीय संस्थाएँ स्वतन्त्र राष्ट्रों की शक्ति का निर्माण करती हैं। जो महत्त्व विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रयोगशालाओं का है वही स्वतन्त्रता का पाठ पढ़ाने के लिए नगर सभाओं का है। एक राष्ट्र स्वतन्त्र सरकार की पद्धति भले ही स्थापित कर ले, किन्तु स्थानीय संस्थाओं के बिना उसमें स्वतन्त्रता की भावना नहीं आ सकती। |
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बड़े नगरों में स्थापित की जाने वाली स्थानीय संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? |
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Answer» बड़े नगरों में स्थापित की जाने वाली स्थानीय संस्थाएँ हैं—नगरपालिका, नगर महापालिका तथा नगर निगम। |
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छोटे उपनगरों अथवा कस्बों में स्थापित की जाने वाली स्थानीय संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? |
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Answer» छोटे उपनगरों अथवा कस्बों में स्थापित की जाने वाली स्थानीय संस्थाएँ हैं-टाउन एरिया कमेटी तथा नोटीफाइड एरिया कमेटी। |
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ग्रामीण क्षेत्र की मुख्य स्थानीय संस्था कौन-सी है? |
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Answer» ग्रामीण क्षेत्र की मुख्य स्थानीय संस्था ग्राम पंचायत है। |
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“स्थानीय संस्थाएँ सरकार की दूसरे अंगों से बढ़कर जनता को लोकतन्त्र की शिक्षा देती हैं। वे जातियों को शिक्षित बनाती हैं, नागरिक के गुणों के लिए प्रारम्भिक पाठशालाओं का काम लेती हैं तथा जनता को वास्तविक स्वतन्त्रता का अनुभव कराती हैं।”-यह कथन किसका है? |
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Answer» प्रस्तुत कथन लॉस्की का है। |
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स्थानीय संस्थाओं के गठन का एक मुख्य उद्देश्य लिखिए। |
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Answer» स्थानीय संस्थाओं के गठन का एक मुख्य उद्देश्य है–सत्ता का विकेन्द्रीकरण। |
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स्थानीय संस्थाओं से क्या अभिप्राय है? |
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Answer» किसी क्षेत्र विशेष की प्रशासनिक व्यवस्था तथा समस्याओं के समाधान के लिए गठित की गई प्रशासनिक संस्थाओं को स्थानीय संस्था कहा जाता है। |
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शिक्षा के प्रसार में स्थानीय संस्थाओं का क्या योगदान है? |
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Answer» स्थानीय संस्थाओं का एक मुख्य कार्य अपने क्षेत्र में शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना है। इसके लिए स्थानीय संस्थाएँ अपने उपलब्ध साधनों एवं सुविधाओं के अनुसार शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करती हैं। तथा उनका संचालन करती हैं। इसके अतिरिक्त ये स्थानीय संस्थाएँ अपने क्षेत्र में रहने वाले समस्त परिवारों को अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित भी करती हैं। इसके लिए प्रचार-कार्य तथा कुछ प्रलोभन भी दिए जाते हैं, जैसे कि बच्चों को मुफ्त पुस्तकें या वर्दी देना। बच्चों की शिक्षा के अतिरिक्त प्रौढ़ शिक्षा के प्रसार एवं प्रचार में भी स्थानीय संस्थाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। |
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नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय संस्थाओं के शैक्षणिक कार्यों का सामान्य विवरण दीजिए। |
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Answer» नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय संस्थाओं के शैक्षणिक कार्य। नगरीय क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए बड़े नगरों में नगरपालिका, नगर महापालिका या नगर निगम बनाए गए हैं। उपनगरों या कस्बों के लिए टाउन एरिया कमेटी एवं नोटीफाइड एरिया कमेटी हैं। इन प्रशासनिक इकाइयों की शासन-व्यवस्था हेतु अधीक्षक के अन्तर्गत विशेष विभागों को संगठन बनाया गया है। इन संस्थाओं के शैक्षणिक कार्य निम्न प्रकार हैं ⦁ नगरों की स्थानीय संस्थाएँ प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना करती हैं। ये शासन की शिक्षा नीति के अन्तर्गत बालक-बालिकाओं के लिए माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा का प्रबन्ध भी करती हैं। |
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ग्रामीण क्षेत्र में जिला-परिषद के मुख्य शैक्षणिक कार्यों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» जिला-परिषद के शैक्षणिक कार्य नगरीय क्षेत्रों की भाँति ग्रामीण क्षेत्रों में जिला- परिषदें शिक्षा की व्यवस्था करती हैं। प्रत्येक जिले में शिक्षा के सुप्रबन्ध तथा विकास हेतु एक शिक्षा विभाग स्थापित किया गया है जो जिला विद्यालय निरीक्षक तथा उपविद्यालय निरीक्षक की सहायता से शिक्षा का प्रबन्ध करता है। जिला परिषद् के शैक्षणिक कार्य इस प्रकार हैं| ⦁ जिला-परिषद् अपने क्षेत्र के अन्तर्गत ग्रामों में आवश्यकतानुसार प्राथमिक तथा जूनियर हाईस्कूल खोलने की व्यवस्था करती है। |
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स्थानीय संस्थाओं का व्यवस्थित वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» किसी क्षेत्र-विशेष की शासन- व्यवस्था के लिए गठित की गई प्रशासनिक संस्था को स्थानीय संस्था (Local Body) कहा जाता है। स्थानीय संस्थाओं के वर्गीकरण का मुख्य आधार नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र है। प्रथम वर्ग में हम उन स्थानीय संस्थाओं को सम्मिलित करते हैं जिनका गठन नगरीय क्षेत्र की व्यवस्था एवं समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। इस वर्ग की स्थानीय संस्थाओं को पुनः दो वर्गों में बाँटा गया है। प्रथम वर्ग में उन स्थानीय संस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है जो बड़े नगरों में गठित की जाती हैं। इस वर्ग की मुख्य स्थानीय संस्थाएँ हैं–नगरपालिका नगर महापालिका तथा नगर निगम नगरीय |
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ग्राम पंचायत का निर्धारित शैक्षिक दायित्व नहीं है(क) प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था करना(ख) प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करना(ग) ग्रामीण जनता को आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करना(घ) उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना |
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Answer» सही विकल्प है (घ) उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना |
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