InterviewSolution
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निम्नलिखित पंक्तियों में रस को पहचानिएबुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी।खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी ॥ |
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Answer» बुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी। वीर रस |
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इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी ।।जल कर जिसने स्वतन्त्रता की, दिव्य आरती फेरी ॥यह समाधि यह लधु समाधि है, झाँसी की रानी की ।अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की ॥यहीं कहीं पर बिखर गयी वह, भग्न विजय-माला-सी।उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति-शाला-सी ॥सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी ।आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी ॥ |
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Answer» [दिव्य = अलौकिक। लीलास्थली = कर्मस्थली। मरदानी = पौरुषयुक्त आचरण करने वाली। भग्न = टूटी हुई। फूल = अस्थियाँ संचित = एकत्रित। स्मृतिशाली = स्मारक, स्मृति-भवन। वार = आघात। ] सन्दर्भ-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड’ में संकलित श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ शीर्षक से अवतरित हैं। यह कविता उनके ‘त्रिधारा’ नामक काव्य-संग्रह से ली गयी है। प्रसंग-इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उनके प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है। व्याख्या-यह रानी लक्ष्मीबाई की समाधि है। इसमें रानी के शरीर की राख है। रानी ने अपने शरीर का बलिदान देकर यहीं पर स्वतन्त्रता की आरती उतारी थी। यह छोटी-सी समाधि लक्ष्मीबाई के महान् त्याग और देशभक्ति की निशानी है। यही स्थान रानी की जीवन-लीला का अन्तिम स्थल है, जहाँ रानी ने पुरुषों जैसी वीरता का प्रदर्शन कर स्वयं का बलिदान कर दिया था। काव्यगत सौन्दर्य- |
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इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते ।उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते ॥पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।स्नेह और श्रद्धा से गाती, है, वीरों की बानी ॥बुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी ।खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी ॥यह समाधि, यह चिर समाधि-है, झाँसी की रानी की।अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की ॥ |
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Answer» [ निशीथ = रात्रि। क्षुद्र = तुच्छ, छोटे-छोटे। जन्तु = प्राणी, कीड़े। गिरा = वाणी। अमिट = कभी न मिटने वाली। बानी = वाणी।] प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को अन्य समाधियों से अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। व्याख्या-कवयित्री कहती हैं कि संसार में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि से भी सुन्दर अनेक समाधियाँ बनी हुई हैं, परन्तु उनका महत्त्व इस समाधि से कम ही है। उन समाधियों पर रात्रि में गीदड़, झींगुर, छिपकली आदि क्षुद्र जन्तु गाते रहते हैं अर्थात् वे समाधियाँ अत्यन्त उपेक्षित हैं, जिन पर तुच्छ जन्तु निवास करते हैं, परन्तु कवियों की अमर वाणी में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की कभी न समाप्त होने वाली कहानी गायी जाती है; क्योंकि रानी की समाधि के प्रति उनमें श्रद्धाभाव है पर अन्य समाधियाँ ऐसी नहीं हैं। इस समाधि की कहानी को वीरों की वाणी बड़े प्रेम और श्रद्धा के साथ गाती है। अतः यह समाधि अन्य समाधियों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण और पूज्य है। काव्यगत सौन्दर्य- यह किसने कहा कला कविता सब बाँझ हुई ? |
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निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखकर उनका लक्षण भी लिखिए-(क) बढ़ जाता है मान वीर का रण में बलि होने से।मूल्यवती होती सोने की भस्म यथा सोने से ।रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी,यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी॥(ख) यहीं कहीं पर बिखर गयी वह, भग्न विजयमाला-सी। |
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Answer» (क) अनुप्रास, रूपक और पुनरुक्तिप्रकाश। (ख) उपमा। अनुप्रास का लक्षण-एक ही वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है। रूपकका लक्षण–उपमेय में उपमान का निषेधरहित आरोप होता है; जैसे—आशा की चिनगारी। पुनरुक्तिप्रकाश का लक्षण–एक ही शब्द की पुनः-पुनः आवृत्ति होती है; जैसे—सोने। उपमा का लक्षण-उपमेय की उपमान से सुन्दर और स्पष्ट समता दिखाई जाती है; जैसेविजयमाला-सी।। काव्य-पंक्तियों में जब उदाहरण रूप में कुछ कहा जाता है; जैसे-सोने की भस्म यथा सोने से। |
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बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से ।मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से ॥रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी ।यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी ॥ |
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Answer» [ मान = सम्मान। रण = युद्ध। मूल्यवती = मूल्यवान। निहित = रखी है।] प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि देश के गौरव की रक्षा के लिए अपना बलिदान करने से रानी का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। व्याख्या-कवयित्री कहती हैं कि स्वतन्त्रता पर बलि होने से वीर का सम्मान बढ़ जाता है। रानी लक्ष्मीबाई भी युद्ध में बलिदान हुईं; अत: उनका सम्मान उसी प्रकार और भी अधिक बढ़ गया, जैसे कि सोने की अपेक्षा स्वर्णभस्म अधिक मूल्यवान होती है। यही कारण है कि रानी लक्ष्मीबाई की यह समाधि हमें रानी लक्ष्मीबाई से भी अधिक प्रिय है; क्योंकि इस समाधि में स्वतन्त्रता-प्राप्ति की आशा की एक चिंगारी छिपी हुई है, जो आग के रूप में फैलकर पराधीनता से मुक्त होने के लिए देशवासियों को सदैव प्रेरणा प्रदान करती रहेगी। काव्यगत सौन्दर्य- |
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