InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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निन्दक नियरे राखिये आंगन कुटि छवाय । |
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Answer» मैले कपड़ों को धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग किया जाता है। साबुन मैल को काटकर निकाल देता है और पानी से धुलाई के बाद कपड़े स्वच्छ हो जाते हैं। इसी प्रकार निंदा करनेवाला व्यक्ति हमें हमारे स्वभाव के दोषों से परिचित कराता है। अपने दोषों को जानकर ही हम उन्हें दूर कर सकते हैं। स्वभाव के दोषों को दूर करने के लिए निंदा के कटु शब्द ही साबुन और पानी का काम करते हैं। इसलिए हमें अपनी निंदा सुनकर क्रोध या आवेश में नहीं आना चाहिए, पर निंदा का स्वागत करना चाहिए और अपनी निंदा करनेवालों से दूर नहीं भागना चाहिए। |
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कर्म करना श्रेयस्कर है। |
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Answer» जीवन में कर्म का बड़ा महत्त्व है। सच तो यह है कि कर्म करने के लिए ही हमें यह जीवन मिला है। कर्म करके ही व्यक्ति को आजीविका प्राप्त होती है और वह अपने परिवार का पालन करता है। कर्म करने से समय का सदुपयोग होता है और व्यक्ति जीवन में ऊँचा उठ सकता है। अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार कर्म करके ही कोई उद्योगपति, कोई वैज्ञानिक, कोई नेता, कोई कलाकार या साहित्यकार बनता है। असाधारण कर्म करके राम, कृष्ण, ईसा आदि देवत्व को प्राप्त हुए। महान कर्म करके ही तिलक, गांधी, लिंकन आदि पुरुष महापुरुष बने। कर्मयोगी व्यक्ति ही समाज के लिए आदरणीय बनते हैं। इतिहास के पृष्ठों पर उन्हीं की गौरवगाथा लिखी जाती है। इसलिए जीवन में कर्म करना श्रेयस्कर है। |
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अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत। |
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Answer» हर आदमी के लिए जीवन में सजग रहना जरूरी है। जब खेत में फसल तैयार खड़ी हो, तब उसकी रखवाली करनी चाहिए। रखवाली करने से फसल को पक्षियों से बचाया जा सकता है। उस समय यदि आलस्य के वशीभूत होकर खेत पर नहीं गए, तो पक्षी सारी फसल चुग जाएंगे और फिर पछताना पड़ेगा। लेकिन तब पछताने से कोई लाभ नहीं होगा। इसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्य के प्रति सावधान रहना चाहिए। परीक्षा सिर पर हो और पढ़ाई की तरफ लापरवाही की जाए तो परीक्षा में असफलता ही मिलेगी। तब पछतावा किसी काम न आएगा और एक साल बरबाद हो जाएगा। इसलिए सही वक्त पर सही काम करने में ही बुद्धिमानी है। |
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असफलता सफलता का सोपान है। |
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Answer» सफलता सबको अच्छी लगती है। असफल होना कोई नहीं चाहता। परंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि विश्व के अनेक महान वैज्ञानिकों को अपने प्रारंभिक प्रयोगों में असफलता का मुंह देखना पड़ा था। कई महान लेखकों की आरंभिक रचनाओं को छापने से इन्कार कर दिया गया था। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को अपने कारोबार की शुरूआत में घोर निराशा ही हाथ लगी थी। परंतु वे वैज्ञानिक, लेखक और उद्योगपति अपनी आरंभिक असफलता से हताश नहीं हुए। असफलता से उनका हौसला कम न हुआ। असफलता के आईने में उन्होंने अपनी कमियों और कमजोरियों को देखा और उन्हें दूर किया। दृढ़ संकल्प से वे फिर आगे बढ़े और एक दिन सफलता के शिखर पर पहुंच गए। सच कहा जाए तो उनकी प्रारंभिक असफलता उनकी सफलता के ताले को खोलने की कुंजी बन गई । इस प्रकार यदि असफलता से हताश न हुआ जाए तो वह सफलता की प्रबल प्रेरणा और उसका सोपान बन सकती है। |
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वृक्ष ही जल है, जल ही रोटी है और रोटी ही जीवन है। |
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Answer» वृक्ष, जल और रोटी ये तीनों अलग-अलग वस्तुएं हैं, फिर भी इनमें गहरा सम्बन्ध है। अलग-अलग होकर भी ये परस्पर जुड़े हुए हैं। वृक्ष वन का प्रतीक है। सघन वन बरसाती बादलों को आकर्षित करते हैं। इसलिए वनप्रदेशों में अच्छी वर्षा होती है। वनों में जल संचित रहने से उनमें से बहनेवाली नदियों में भी जल का प्रवाह बराबर बनता रहता है। पानी की सुविधा होने से खेती अच्छी होती है और खाद्यान्नों की आपूर्ति में कमी या रुकावट नहीं आती। भरपूर खाद्यान्न होने से लोगों को भरपेट भोजन मिलता है। वे स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं। वे सुखी और सम्पन्न जीवन बिताते हैं। रेगिस्तानों में वृक्षों के अभाव के कारण वर्षा भी नहीं के बराबर होती है और इसलिए वहाँ अन्न का अभाव रहता है। यही कारण है कि रेगिस्तानों में लोगों का जीवन बड़ा संघर्षपूर्ण होता है। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि वृक्ष ही जल है और जल ही रोटी है और रोटी ही जीवन है। |
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पराधीन सपनेहूँ सुख नाहीं। |
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Answer» पराधीनता का अर्थ है अपनी इच्छाएं मारकर दूसरे की इच्छा के अनुसार काम करना। पिंजरे में बंद तोता क्या आकाश में उड़ने की चाहत पूरी कर सकता है? चिड़ियाघर में पिंजड़ों में बंद प्राणी क्या जंगल के अपने स्वाभाविक जीवन का आनंद लूट सकते हैं? पराधीनता की यह पीड़ा ही गुलाम देशों को आज़ादी के लिए तड़पाती थी। पराधीनता की पीड़ा से छटकारा पाने के लिए ही महात्मा गांधी. पं. नेहरू, सरदार पटेल जैसे नेताओं ने आंदोलन किये, लाठियां खाई और जेल गए। अपनी मातृभूमि को पराधीनता के नरक से मुक्त करके स्वतंत्रता के स्वर्ग में ले जाने के लिए ही भगतसिंह, बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद जैसे व्यक्ति फांसी के फंदे पर लटक गए। व्यक्ति का विकास स्वतंत्रता में ही होता है। स्वतंत्र राष्ट्र ही गौरवपूर्ण ढंग से जी सकता है। इसलिए पराधीनता में सुख पाने की आशा करना व्यर्थ है। |
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खाली दिमाग शैतान की दुकान । |
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Answer» समय का सदुपयोग व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण है, सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता है। व्यक्ति को हमेशा किसी-न-किसी उपयोगी काम में लगा रहना चाहिए। व्यस्तता से समय का सदुपयोग तो होता ही है, मन की प्रक्रिया भी सही दिशा में कार्यरत रहती है। व्यक्ति काम में लगा है तो उसका मन भी काम में लगा है। काम न होने पर व्यक्ति का मन विचलित रहता है। वह यहाँ-वहां की व्यर्थ कल्पनाओं में रहता है। उसे तरह-तरह की खुराफातें सूझती रहती हैं। जब बच्चों के पास कोई काम नहीं होता, तो तरह-तरह की शरारतें उनके दिमाग में आती हैं। वे उत्पात मचाते हैं। इसी प्रकार निकम्मे युवकों के मन में गलत योजनाएं बनती रहती हैं। काम के अभाव में वे गलत रास्तों पर चल पड़ते हैं। आजकल जितने अपराध हो रहे हैं, उनमें अधिकतर बेरोजगार युवक ही शामिल रहते हैं। यदि ये काम में लगे होते तो ये ऐसे गलत चक्करों में क्यों पड़ते? |
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बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। |
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Answer» बड़प्पन वही है जिसमें उदारता हो, परोपकार की भावना हो। केवल अधिक धन-दौलत से ही कोई बड़ा नहीं हो जाता। खजूर का पेड़ बहुत ऊंचा होता है। भूखे पथिक को न उसके फल खाने को मिलते हैं और न थके राही को वह पर्याप्त शीतल छाया दे पाता है। उसके ऊँचा होने से किसी को कोई लाभ नहीं होता। कवि बड़ा उसी को कहते हैं जो दूसरों का भला करे और परोपकार में ही अपने जीवन की सार्थकता अनुभव करे। |
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सच्चा मित्र जीवन की औषधि है। |
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Answer» औषधि शरीर को रोगों से मुक्त करती है। तरह-तरह की बीमारियां भी औषधियों से दूर होती है। इसी प्रकार सच्चा मित्र व्यक्ति के जीवन के रोग दूर करता है। वह उसकी बुरी आदतें छुड़ाता है । जब व्यक्ति निराश होकर धैर्य खो बेठता है, तब सच्चा मित्र उसे आशा बंधाता है और जीने का साहस देता है । कर्तव्य-पथ से भटके हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर लानेवाला उसका सच्चा मित्र ही होता है। सच्चा मित्र संकट में व्यक्ति की रक्षा करता है । इस प्रकार सच्चा मित्र हर तरह से व्यक्ति के जीवन को स्वस्थ और सुखी रखने का प्रयत्न करता है, इसलिए उसे जीवन की औषधि कहा गया है। |
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जो बीत गई सो बात गई। |
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Answer» इसमें संदेह नहीं कि बीता हुआ समय मनुष्य के मन पर अपनी गहरी छाप छोड़ जाता है, परंतु उस छाप का क्या महत्त्व है ! भूतकाल की बीती बातों की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं होता। बीती बातों पर अधिक सोचने से हमारी मानसिक शक्तियाँ क्षीण हो जाती हैं। हम अपनी क्रियाशक्ति खो देते हैं। पुरानी असफलताओं को याद करने से भविष्य भी अंधकारमय दिखने लगता है। सामने कर्तव्य पड़े होते हैं, पर उन्हें करने का उत्साह नहीं रहता । इसलिए बीती बातों को भूल जाने में ही भलाई है। पुरानी शत्रता, परानी कड़वाहटे दिमाग से निकाल दें और वर्तमान में चैन से जीने की कोशिश करें । हम आशा का आँचल थामकर मन में नया उत्साह लाएँ । इससे हम एक नए जीवन का अनुभव करेंगे । इसलिए ‘जो बीत गई सो बात गई’ उक्ति का यही आशय है कि हम विगत के सूखे-मुरझाए फूलों को फेंककर अनागत के पुष्पों की सुगंध का आनंद लें। |
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