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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

‘विकास’ शब्द का क्या अर्थ है? ।

Answer»

‘विकास’ शब्द अपने व्यापकतम अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है। कोई समाज विकास के बारे में अपनी समझे द्वारा यह स्पष्ट करता है कि समाज के लिए समग्र रूप से उसकी दृष्टि क्या है और उसे प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका क्या है? विकास शब्द का प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीकरण जैसे संकीर्ण अर्थों में भी होता रहता है। दुर्भाग्यवश विकास को साधारणतया पूर्व निर्धारित लक्ष्यों का बाँध, उद्योग, अस्पताल जैसी परियोजनाओं को पूरा करने से जोड़कर देखा जाता है। विकास का काम । समाज के व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार नहीं होता है। इस प्रक्रिया में समाज के कुछ हिस्से लाभान्वित होते हैं जबकि शेष लोगों को अपने घर, जमीन, जीवन-शैली को बिना किसी भरपाई के खोना पड़ सकता है।

2.

विकास की सामाजिक अवधारणा क्या है?

Answer»

विकास की सामाजिक अवधारणा का प्रयोग करने का श्रेय एल०टी० हॉबहाउस (L.T. Hobhouse) को दिया जाता है जिन्होंने अपनी पुस्तक सोशल डेवलपमेण्ट (Social Development) में विकास की सामाजिक अवधारणा, विकास की दशाओं तथा विभिन्न प्रकार के विकासों (जैसे कि संस्थाओं का विकास अथवा बौद्धिक विकास) इत्यादि अनेक विषयों पर समुचित प्रकाश डाला है। हॉबहाउस (Hobhouse) के अनुसार, “विकास का अभिप्राय नए प्रकायों के उदय होने के परिणामस्वरूप सामान्य कार्यक्षमता में वृद्धि अथवा पुराने प्रकार्यों की एक-दूसरे के साथ समायोजना के कारण सामान्य उपलब्धि में वृद्धि से है।

हॉबहाउस ने विकास की अवधारणा को समुदायों के विकास के संदर्भ में विकसित किया है। यदि कोई समुदाय अपने स्तर, कुशलता, स्वतन्त्रता तथा पारस्परिकता में आगे बढ़ता है तो हम यह कह सकते हैं। कि वह अमुक समुदाय विकास की ओर अग्रसर है। किसी एक तत्त्व का ही नहीं अपितु सभी तत्त्वों का समन्वय विकास के लिए अनवार्य है।

3.

सामाजिक विकास एक बहु-आयामी अवधारणा है? व्याख्या कीजिए।

Answer»

‘सामाजिक विकास’ को टी०बी० बॉटोमोर ने इस प्रकार परिभाषित किया है, ‘सामाजिक विकास से हमारा तात्पर्य उस स्थिति से है जिसमें समाज के व्यक्तियों में ज्ञान की वृद्धि हो और व्यक्ति प्रौद्यागिक आविष्कारों द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लें साथ ही वे आर्थिक दृष्टि से आत्म-निर्भर हो जाएँ।” सामाजिक विकास की प्रक्रिया के अंतर्गत औद्योगीकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आर्थिक व राजनीतिक संगठनों की कार्यक्षमता में वृद्धि हुई है तथा इसके आधार पर समाजों को विकसित तथा अविकसित या विकासशील जैसी श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।

सामाजिक विकास का अभिप्राय जैवकीय विकास न होकर मानवीय ज्ञान में वृद्धि तथा प्राकृतिक पर्यावरण पर मानवीय नियंत्रण में अधिकाधिक वृद्धि है। मानवीय ज्ञान में वृद्धि की दृष्टि से अगर समाज में व्यक्ति अपने पूर्वजों की अपेक्षा ज्ञान में अभिवृद्धि कर चुके हैं तो उसे हम विकसित समाज कह सकते हैं। प्राकृतिक पर्यावरण पर मानवीय नियन्त्रण की वृद्धि भी विकास का एक सूचक है तथा जिन समाजों ने इस नियन्त्रण में सफलता प्राप्त कर ली है वे विकसित समाज हैं। वास्तव में, सामाजिक विकास को केवल आर्थिक विकास तक ही सीमित करना उचित नहीं है। विकासशील देशों के लिए ‘सामाजिक विकास’ एक बहु-आयामी अवधारणा है।

4.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?

Answer»

नर्मदा बचाओ आंदोलन’ नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना के अंतर्गत बनने वाले बाँधों के निर्माण के विरुद्ध एक मिशन है। बड़े बाँधों के समर्थकों का तर्क है कि इनसे बिजली उत्पन्न होगी, काफी बड़े क्षेत्र में जमीन की सिंचाई में सहायता मिलेगी। सौराष्ट्र और कच्छ के रेगिस्तानी क्षेत्र को पेयजल भी उपलब्ध होगा। बड़े बाँधों के विरोधी (नर्मदा बचाओ आंदोलन) इन दावों का खण्डन करते हैं। इसके अतिरिक्त अपनी जमीन के डूबने और उसके कारण अपनी आजीविका के छिनने से दस लाख से अधिक लोगों के विस्थापन की समसया उत्पन्न हो गई है। इनमें से अधिकांश लोग जनजाति या दलित समुदायों के हैं और देश के अति वंचित समूहों में आते हैं।

5.

जावा कपि मानव की कपाल गुहा का आयतन बताइये|

Answer» Correct Answer - 900 C.C.
6.

जीवाश्म की परिभाषा दीजिये|

Answer» पूर्व जीवों के चट्टानों से प्राप्त अवशेष जीवाश्म कहलाते है|
7.

बेहतर जीवन की कामना से संबंधित है(क) विकास(ख) पर्यावरण(ग) तानाशाही(घ) योजना

Answer»

सही विकल्प है (क) विकास।

8.

चिपको आन्दोलन किससे सम्बद्ध है?(क) पर्यावरण(ख) विधि(ग) योजना(घ) नर्मदा बाँध

Answer»

सही विकल्प है (क) पर्यावरण।

9.

संयजो कड़ी क्या हैं?

Answer» जीवों की वर्गीकरण में समान गुणों वाले जीवों को एक ही वर्ग में रखा गया हैं| कुछ जंतु ऐसे भी हैं जिनमे दो वर्गों के गुण पाए जाते हैं| इन जंतुओं को योजक कड़ियाँ कहते हैं|
संयोजक कड़ियों के उदाहरण-
आकर्कयोटेरिक्स - जर्मनी के बवेरिया प्रदेश में आर्कियोप्टैरिक्स नामक जंतु के जीवश्म मिले हैं| इस जंतु के कुछ लक्षण जैसे- चोच, पंख , पैरों की आकृति वीज वर्ग (पक्षी वर्ग) के कुछ लक्षण जैसे-दाँत, पूँछ तथा शरीर के शल्कों का होना रेप्टीलिया वर्ग के हैं| अतः इस जंतु को एविज तथा रेप्टीलिया वर्ग के मध्य योजक कड़ी कहते हैं| इससे प्रमाणित होता हैं की पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ हैं|
जैव विकास में संयोजक कड़ियों का महत्व- संयोजक कड़ियाँ जैव विकास को प्रमाणित करने के लिए महत्वपूर्ण आधार हैं| इनके माध्यम से विभिन्न जातियों और वर्गों की निशिचत वनशालवी एवं पूर्वजों का ज्ञान उपलब्ध होता हैं इनमे जैव विकास का क्रम और दिशा भी निर्धारित होती हैं|
10.

प्रथम जीव की उत्पत्ती कहाँ हुई?

Answer» प्रथम जीव की उत्पत्ती समुद्री जल में हुई|
11.

उत्परिवर्तन को परिभाषित कीजिये|

Answer» जीवों के अनुवांशिक संघठन में अचानक वंशागत होने वाले उत्परिवर्तन (Mutation) कहलाते है|
12.

मानव विकास प्रतिवेदन क्या है?

Answer»

मानव विकास प्रतिवेदन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) प्रकाशित करता है। यह उसका वार्षिक प्रकाशन है। इस प्रतिवेदन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु सम्भावित और मातृ-मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है।

13.

मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित करता है(क) योजना आयोग(ख) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)(ग) भारतीय संसद(घ) मानवाधिकार आयोग

Answer»

सही विकल्प है (ख) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)।

14.

सबसे पहला ग्रागैतिहासिक मानव का नाम बताइये|

Answer» Correct Answer - होमो हैबिलिस|
15.

उत्परिवर्तन किसे कहते हैं? उत्परिवर्तन सिद्धांत के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये|

Answer» डी-व्रीज (1901) ने इवनिंग प्रिमरोज जाती के पौधों पर परीक्षणों के पस्चात ज्ञात किया की कुछ पौधे अकस्मात अपनी जाती से बिलकुल भिन्न हो जाते हैं| यही नहीं, विभिन्न लक्षण वंशागत होकर एक-पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते रहते हैं और नयी जाती का परिवर्तनों की क्रिया को डी-व्रीज ने उत्परिवर्तन की संज्ञा दी एवं उत्परिवर्तनवाद का सिद्धांत दिया|
आधुनिक से यह भी पात चल चूका हैं की जीवों में उत्परिवर्तन उनकी जनन कोशिकाओं में स्थित गुणसूत्रों एवं जीन्स की व्यवस्था में परिवर्तन के कारण होता हैं|
डी-व्रीज के उत्परिवर्तन सिद्धांत के तथ्य निम्नलिखित हैं-
1. प्रकृतिक रूप से जनन करने वाली जातियों या समष्टियों में समय -समय पर उत्परिवर्तन विकसित होते हैं| उत्परिवर्ती जीव (Mutant organism) जनक जीवों से भिन्न होते हैं|
2. उत्परिवर्तन वंशगत होते हैं तथा इनसे नयी जातीयों का विकास होता हैं|
3. उत्परिवर्तन दीर्घ एवं आकस्मित होते हैं|
4. ये किसी भी दिशा में हो सकते हैं| अतः ये लाभप्रद भी हो सकते हैं और हानिकारक भी|
5.उत्परिवर्तनों पर प्राकृतिक वरन का प्रभाव पड़ता हैं| लाभप्रद उत्परिवर्तन जीवों के अंदर संचित होते हैं|
16.

ब्रम्हांड की उत्पत्ती में कौन-सा महाविस्फोट का सिद्धांत बताने का प्रयास करता है?

Answer» बिंग-बैंग नामक महाविस्फोट|
17.

हार्डी -वेनवर्ग सिद्धांत क्या हैं? इसका महत्व लिखिए|

Answer» हार्डी-वेनबर्ग (Hardy weinberg) ने एक सिद्धांत दिया इसके अनुसार एक जीव संख्या में युग्म विकालयी (Allele) आवृतियाँ और उसके विस्थल (Locus) सुस्थिर होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक निरंतर रहते हैं|
महत्व- इस सिद्धांत के द्वारा ज्ञात हुआ की जीन कोष (Genepool) सदैव अपरिवर्तित रहते हैं| इसे अनुवांशिक संतुलन कहते हैं| जिन प्रवाह, अनुवांशिक विचलन, उत्परिवर्तन, आनुवंशिक पुंयोर्ग व प्राकृतिक वरण हार्डी- वेनबर्ग साम्यता को प्रभावित करते हैं|
18.

क्या हम मानव विकास को अनुकूलनि विकिरण कह सकते हैं?

Answer» नहीं मानव विकास एक अनुकूलनि विकिरण नहीं हैं| लगभग 2.4 करोड़ वर्ष पूर्व (मायोसीन युग) होमिनिड (Hominid) अर्थात कापियों और मानवों के पूर्वज अस्तित्व में आए| मानव का विकास कपि समान पूर्वजों (आदि कपि) से हुआ होगा| मायोसीन युग में अफ्रीका, चीन व भारत में आदि कपि सफल रूप से अस्तित्व में आए| इन्ही आदि कापियों केविकास के फलस्वरूप तीन शाखाएँ निकली-
1. एक शाखा से वर्तमान गिब्बन का विकास हुआ|
2. दूसरी शाखा से वर्तमान चिम्पैंजी, गोरिल्ला तथा ओरंगट्टा अर्थात पोंगिडी कुल का विकास हुआ|
(iii ) तीसरी शाखा से मानव (हेमो सेपियंस)
19.

डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेश्य में जीवणुओं में देखे गए प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टी कारण कीजिये|

Answer» डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार, प्राणी अपने को वातावरण के अनुकूल बनाकर ही जीवित रहते हैं तथा संतान उत्पन्न करते हैं इसके विपरीत, जो जीव अपने को वातावरण के अनुकूल बनाने में असमर्थ होते हैं नष्ट हो जाते हैं|
संक्रामक रोगों के उपचार के लिए ऐसी ओशोदियों का प्रयोग किया जाता हैं जो रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि रोक दे अथवा उन्हें मार डालें| इन औषिधियों में प्रतिजैविकों (antibiotics) का काफी प्रयोग किया जाता हैं| पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, ओरियोमैकिन आदि कुछ प्रमुख जैविकों के उदाहरण हैं|
काफी समय तह यह समझा जाता रहा की प्रतिजैविकों कुछ समय पूर्व किसी रोगजनक पर नियंतरण कर सकते थे, वे अब निर्थक हो गए हैं| इन प्रतिजैविकों का रोजनक जीवाणुओं पर कोई विशेष पराभव नहीं पड़ता| दूसरे शब्दों में, ये जीवाणु प्रतिजैविकों के लिए प्रतिरोधी हो गए हैं|
20.

समाचार पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों के विकास सबंधी नए जीवाश्मों और मतभेदों की जानकारी प्राप्त कीजिये|

Answer» जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन को जीवाश्म विज्ञानं कहते हैं| लाखों करोड़ों वर्षों पूर्व के जीव-जंतु एवं पौधों के अवशेष या चिन्ह जो चट्टानों में दबे हुए हैं, जीवाश्म कहलाते हैं| जीवशामों के अध्ययनसे जीवों के विकास क्रम या जाती वंश का ज्ञान होता हैं| हजारों जीवाश्मों का अध्ययन अब वैज्ञानिकों द्वारा हो चूका हैं| जीवाश्म अभिलेखों की सहायता से जीव वैज्ञानिक को जैविक विकास के इतिहास का पता लगाने से काफी सहायता प्राप्त हुई| सन 1952 में निओपिलना के जीवाश्म कोस्टारिका के पेसिफिक तर से 3500 मीटर की गहराई से प्राप्त किये गए| इसमें मोलस्का व अनिलिडा संघ दोनों के लक्षण पाए जाते हैं| जीवाश्मों में सबसे परिचित उदाहरण- आर्किओप्टेरिक्स तथा डायनासोर हैं| डायनासोर विशालकाय सरीसृप थे| इथोपिया तथा तंजानिया से कुछ मानव जैसी अस्थियों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं| इस शाताब्दी के तीसरे व चौथे दशकों में चीन में चाक्रकाउटीन नामक स्थान के समीप मानव की भाँती अनेक जीवाश्म प्राप्त हुए हैं, जिन्हे बाद में पेंकिग मानव के नाम से जाना गया| मिस्त्र मानव के नाम से जाना गया| मिस्त्र देश में कैरों (Cairo) के पास सन 1961 में एक पुरानी दुनिया का एक जीवाश्म मिस्त्र के फैयुम प्रान्त से प्राप्त हुए| प्रोपलियोपेथिक्स के जीवाश्म मिस्त्र के फैयुम प्रान्त से प्राप्त हुए| एजिप्टोपिथिक्स के जीवाश्म सन 1980 में काहिरी में खोजे गए| सन `1958` में ओरियोपितिकास का जीवाश्म इटली में एक कोयले की खान में इसका पूरा कंकाल प्राप्त हुआ| इस प्रकार जीवाश्मों से जैव विकास प्रमाणित होता हैं|