InterviewSolution
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                                    किन्हीं दो अलिंगी सूत्री आनुवंशिक विकारों का उनके लक्षणों सहित उल्लेख करो । | 
                            
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                                   Answer» दाब कोशिका - अरक्तता ( सिकल सेल एनीमिया ) - यह अलिंग क्रोमोसोम लग्न अप्रभावी लक्षण है जो जनकों से संतति में तभी प्रवेश करता है जबकि दोनों जनक जीन के वाहक होते है ( विषमयुग्मजी ) । इस रोग का नियंत्रण एलील का एकल जोड़ा `Hb^(A) " और " Hb^(s)`करता है । रोग का लक्षण ( फीनोटाइप ) तीन सम्भव जीनोटाइपों में से केवल `Hb^(s)(Hb^(s)Hb^(s))` वाले समयुग्मकी व्यक्तियों में दर्शित होता है । विषमयुग्मकी `(Hb^(A)Hb^(s))` व्यक्ति रोगमुक्त होते है लेकिन वे रोग के वाहक होते है । इस विकार का कारण हीमोग्लोबिन अणु की बीटा ग्लोबिन श्रृंखला की छठी स्थिति में एक अमीनो अम्ल ग्लूटैमिक अम्ल (Glutamic acid) का वैलीन द्वारा प्रतिस्थापन है । ग्लोबिन प्रोटीन में अमीनो अम्ल का यह प्रतिस्थापन यह । ग्लोबिन प्रोटीन में अमीनो अम्ल का यह प्रतिस्थापन बीटा ग्लोबिन जीन के छठे कोडान में GAG का GUG द्वारा प्रतिस्थापन के कारण होता है । निम्न ऑक्सीजन तनाव में उत्परिवर्तित हीमोग्लोबिन दात्राकार ( हँसिए के आहार का ) हो जाता है । 2. फिनाइल कीटोनूरिया - यह जन्मजात उपापचयी दोष भी अलिंग क्रोमोसोम अप्रभावी लक्षण की भाँति ही वंशागति प्रदर्शित करती है । रोगी व्यक्ति में फिनाइल ऐलेनीन अमीनो अम्ल को टाइरोसीन अमीनो अम्ल में बदलने के लिए आवश्यक एक एंजाइम की कमी हो जाती है । परिणामस्वरूप फिनाइल ऐलेनीन एकत्रित होता जाता है और फिनाइल पाइरुविक अम्ल तथा अन्य व्युत्पन्नों में बदलता जाता है । इनके एकत्रीकरण से मानसिक दुर्बलता आ जाती है । वृक्क द्वारा कम अवशोषित हो सकने के कारण ये मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते है ।  | 
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| 2. | 
                                    कोई द्विगुणित जीन 6 स्थलों के लिए विषम युग्मजी है, कितने प्रकार के युग्मजों , का उत्पादन संभव है ? | 
                            
| Answer» कोई द्विगुणित जीव 6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी है अर्थात किसी संकर (Hybrid) में लक्षणों के तीन जोड़े लिए जाते है तो किसी एक जोड़े का लक्षण विसंयोजन दूसरे जोड़े से स्वतंत्र होता है । लम्बे , संकर गोल - पीले बीज वाले पौधे , इनकी जीन संरचना विषमयुग्मजी है `Tt" "Rr" "Yy` होती है । इसमें आठ प्रकार के युग्मक `TRY, TRy,TrY,tRY,tRy,trY,try` बनते है अर्थात `F_(1)` पीढ़ी के सदस्यों के जीन युग्मक निर्माण के समय स्वतंत्र होकर नए - नए संयोग बनाते है । | |
| 3. | 
                                    लिंग सहलग्नता क्या है ? | 
                            
| Answer» एक ही गुणसूत्र के उपस्थित जीन्स में यह प्रकृति होती है की वे मौलिक संयोजन में रहते है और एक ही युग्मक में प्रवेश करते है । जीन्स की इस प्रकृति को सहलग्नता कहते है । जबकि लिंग गुणसूत्रों पर पाये जाने वाले जीन्स का लिंग सहलग्न जीन्स तथा इनकी वंशागतिकी को लिंग सहलग्नता कहते है । | |
| 4. | 
                                    निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ( 1 ) एलिल ( 2 ) समयुग्मकी ( 3 ) विषमयुग्मकी ( 4 ) जीनोटाइप ( 5 ) फीनोटाइप । | 
                            
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                                   Answer» 1. एलील (Alleles) - बेटसन तथा सानडर्स ने एलील शब्द का प्रयोग प्रथम बार किया था एक ही गन के दो विभिन्न पर्यायी रूपों को व्यक्त करने वाले कारको को एक - दूसरे का एलील कहते है अथवा विपर्यायी लक्षणों के जोड़े को एलील कहते है जैसे लम्बेपन एवं बौनेपन को व्यक्त करने वाके दोनों कारक T एवं t एक दूसरे के एलील है TT में एक ही प्रकार के एलील है जबकि Tt में दोनों प्रकार के एलील है | 2. संयुग्मकी (Homozygous) - जब एक सूह को व्यक्त करने वाले दोनों कारक या एलील एकसमान होते है जैसे - TT एवं tt जनन के समय एक ही प्रकार के युग्मक बनते है इनमे स्व - परागण एवं अन्तः प्रजनन होता है । 3. विषमयुग्मकी (Heterozygous) - जब एक समूह को व्यक्त करने वाले दोनों कारक या एलील अलग - अलग होते है जैसे - Tt जनन के समय अलग अलग प्रकार के युग्मन बनते है । स्व - परागण होने पर प्रभावी एवं अप्रभावी लक्षण प्रकट होते है । 4. फीनोटाइप (Phenotype)- जब जीवो के आकार, आकृति, संरचना एकसमान होती है चाहे इसका जीन संगठन भिन्न हो । 5. जीनोटाइप (Genotype) जब जीवो का जीन संगठन सकसमान होता है चाहे उसकी संरचना में भिन्नता हो जीनोटाइप भी आपस में समानता प्रदर्शित करते है ।  | 
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| 5. | 
                                    बिंदु उत्परिवर्तन क्या है ? एक उदाहरण दीजिए । | 
                            
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                                   Answer» डी. एन. ए. के एकल क्षार युग्म ( बेस पेयर ) के परिवर्तन को बिंदु उत्परिवर्तन (Point Mutation) कहते है । उदाहरण दात्र कोशिका अरक्तता इस रोग में लाल रुधिर कणिकाएँ सामान्य न होकर हाँसिया के आकार का हो जाता है ।  | 
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| 6. | 
                                    पीले बीज वाले लंबे पौधों ( YyTt ) का संकरण हरे बीज वाले लंबे ( yy Tt ) पौधे से करने पर किस प्रकार के फीनोटाइप संतति की आशा की जा सकती है - | 
                            
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                                   Answer» Suppose T= tall, t=dwarf, Y = yellow, y = green `{:("Tall Yellow " xx " Tall Green"," Parents",),(" TtyY Ttyy","F1 Generation",),(" TYTy TyTy","Gametes will be",):}` `{:(,"TY","Ty","ty","ty","Progeney Result"),("Ty","TTYy","TTyy","TtYy","TtYy","6=Tall Yello (TTYy)"),("Ty","TTYy","TTyy","TtYy","Ttyy","6=Tall Green(Ttyy)"),("ty","TtYy","Ttyy","ttYy","ttyy","2=Dwarf Yellow (TTYy)"),("ty","TtYy","Ttyy","ttYy","ttyy","2=Dwarf Green ( ttyy)"):}` इनमे लंबे-हरे 6 फीनोटाइप होंगे तथा बौने हरे 2 फीनोटाइप होंगे ।  | 
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| 7. | 
                                    निम्न को समझाइए- ( i ) सुगुणिता ( Euploidy ) तथा ( ii ) असुगुणिता ( Ancuploidy ) । | 
                            
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                                   Answer» (i) सुगुणिता - द्विगुणित जीव में गुणसूत्रों के एक या अधिक सेटों के जुड़ने या हानि को सुगुणिता कहते है । ये दो प्रकार के होते है - (ii) असगुणिता - ऐसी भुगुणनिता जिसके द्वारा गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन सम्पूर्ण जेनोम में न होकर गुणसूत्रों की कुछ संख्या तक सीमित रहती है । कायिक गुणसूत्र संख्या में एक या अधिक गुणसूत्रों की कमी अथवा अधिकता को असगुणिता कहते है । उदाहरण यदि n = 7 है , तो 2n = 15 या 2n = 13 का होना ।  | 
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| 8. | 
                                    क्रिस-क्रॉस वंशागति की परिभाषा दीजिए। | 
                            
| Answer» अप्रभावी लिंग - सहलग्न लक्षण का पिता से पुत्री और उसके बाद पुत्री के पोतें में पहुँचना क्रिस- क्रॉस वंशागति कहलाती है । | |
| 9. | 
                                    ऐसा क्यों है X क्रोमोसोम के एक एलिल या दोष मादा में प्रकट नहीं होता है ? | 
                            
| Answer» मादा में दो लिंग X क्रोमोसोम होते है उनमें से यदि एक दोषयुक्त X सेक्स क्रोमोसोम हो , तो सामान्य X सेक्स क्रोमोसोम दूसरे दोषयुक्त क्रोमोसोम के प्रभाव को दबाए रखता है ।इसी कारण से दोष मादा में प्रकट नहीं होते । | |
| 10. | 
                                    मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुए ? | 
                            
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                                   Answer» मेण्डल को अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे को चुनने से निम्न लाभ हुए - 1. मटर का पौधा एक वर्षीय एक वर्षीय होता है । 2. मटर के पुष्प द्विलिंगी होता है । 3. मटर के पुष्प में स्वपरागण की अधिकता होती है । 4. स्वनिषेचन होने के कारण मटर में गुणों की शुद्धता कई पीढ़ियों तक बनी रहती है । 5. मेण्डल ने मटर कई विभिन्न किस्मों में विपर्यायी लक्षण चुने थे ।  | 
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| 11. | 
                                    विपुंसन क्या है ? | 
                            
| Answer» पुष्पों से परागकोषों को निकाल देना विपुंसग कहलाता है । | |
| 12. | 
                                    ऐलील किसे कहते हैं? | 
                            
| Answer» एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक - दूसरे का एलील कहते है । | |
| 13. | 
                                    जिन क्रोमोसोमों की सेक्स निर्धारण में कोई भूमिका नहीं होती उन्हें क्या कहते हैं ? | 
                            
| Answer» सेक्स के निर्धारण में कोई भूमिका न रखने वाले क्रोमोसोम ऑटोसोम (Autosomes) कहलाते है । | |
| 14. | 
                                    बहुप्रभाविता से क्या तात्पर्य है ? | 
                            
| Answer» जब एक जीन एक से अधिक गुणों को प्रभावित करे तो इसे बहुप्रभाविता कहते है । | |
| 15. | 
                                    सहलग्नता ( Linkage ) किसे कहते हैं ? | 
                            
| Answer» एक ही क्रोमोसोम पर मौजूद जीन्स में एक साथ वंशागत होने की प्रकृति को सहलग्नता तथा इस परिघटना को सहलग्नता कहते है । | |
| 16. | 
                                    बहुजीनी लक्षण से आप क्या समझते हैं ? | 
                            
| Answer» ऐसे लक्षण जो दो या दो से अधिक जींस से प्रभावित होते है भुजीनी लक्षण (Polyygenic traits) कहलाते है । | |
| 17. | 
                                    टर्नर सिन्ड्रोम में आनुवंशिक व्यवस्था क्या होती है ? | 
                            
| Answer» 44 ऑटोसोम + XO क्रोमोसोम । | |
| 18. | 
                                    किएज्मा किसे कहते हैं ? | 
                            
| Answer» जिस बिंदु पर क्रासिंग - ओवर होता है उसे किएज्मा (Chiasma) कहते है । | |
| 19. | 
                                    कोई द्विगुणित जीन 6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी है, कितने प्रकार के युग्मकों का उत्पादन संभव है ? | 
                            
| Answer» Correct Answer - 64 | |
| 20. | 
                                    क्रॉसिंग - ओवर किसे कहते हैं ? | 
                            
| Answer» उस भौतिक आदान - प्रदान को जो समजात जोड़े के क्रोमोसोमों के असहजात क्रोमैटिडों के अंशों के बीच होता है क्रॉसिंग - ओवर कहलाता है । | |
| 21. | 
                                    उस पौधे का नाम बताइए जो अपने फूलों के रंग के प्रति अपूर्ण प्रभाविता दिखाता है । | 
                            
| Answer» Correct Answer - मिराबिलिस जलापा । | |
| 22. | 
                                    जीन म्यूटेशन क्या है ? जीन म्यूटेशन के क्या कारण है ? समझाइए । | 
                            
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                                   Answer» जीन की संरचना या संख्या में परिवर्तन के कारण जीन न्यूटेशन होता है । आण्विक स्तर पर सूक्ष्म परिवर्तन को जीन उत्परिवर्तन कहते है यह उत्परिवर्तन द्वारा एन्जाइम के संश्लेषण को नियंत्रित करता है के अंदर बेस श्रृंखला में परिवर्तन के कारण यह उत्परिवर्तन होता है । ये उत्परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं - 1. त्वरित उत्परिवर्तन ( Spontaneous mutation )- जब जीन की संरचना वायुमण्डल के प्रभाव से बदल जाती है तो उसे त्वरित उत्परिवर्तन कहते हैं । 2. उत्प्रेरित उत्परिवर्तन ( Induced mutation )- जब जीन की संरचना में एक्स-रे , अल्ट्रावायलेट , गामा एवं रासायनिक पदार्थों के कारण परिवर्तन होता है, तो उसे उत्प्रेरित उत्परिवर्तन कहते हैं । उत्परिवर्तन के कारण - (i ) बीडल एवं टाटम के अनुसार , भौतिक तथा रासायनिक बल उत्परिवर्तन में महत्वपूर्ण है । ( ii ) मुलर (Muller , 1927 ) के अनुसार रेडियोधर्मिता के कारण उत्परिवर्तन उत्पन्न होते हैं । (iii ) रेसावस्की के अनुसार एक्स-रे उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है । ( iv ) जनन कोशिका चक्र में तापक्रम के बढ़ने एवं घटने का प्रभाव पड़ता है । (v ) सिनेप्सिस के समय असामान्यता उत्पन्न होने के कारण । (vi ) प्रतिरक्षी पदार्थ भी उत्परिवर्तन का कारण होते हैं ।  | 
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| 23. | 
                                    मेण्डल के नियमों का महत्व लिखिए । | 
                            
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                                   Answer» (i) संकरण का उपयोग करके उपर्युक्त लक्षण वाली संतति को प्राप्त किया जा सकता है । (ii) मेंडलवाद के आधार पर अशुद्ध एवं सुद्ध पौधों का चुनाव किया जा सकता है । (iii) वंशानुक्रम रोगों की खोज एवं उसका निवारण किया जा सकता है । (iv) संकरण के द्वारा संतानों के भावी गुण का पता लगाया जा सकता है । (v) रोग प्रतिरोधी फसलों को तैयार किया जा सकता है । (vi) अनाज की उच्च किस्में प्राप्त की जा सकती है । (vii) प्रभावी एवं अप्रभावी लक्षणों का पता लगाया जा सकता है ।  | 
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