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‘बादल को घिरते देखा है’ शीर्षक कविता का सारांश लिखिए।

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‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में हिमालय पर्वत पर स्थित कैलास पर्वत की चोटी पर घिरते बादलों के सौन्दर्य को वर्णन किया गया है। कवि के अनुसार निर्मल, चाँदी के समान सफेद और बर्फ से मण्डित पर्वत-चोटियों पर घिरते हुए बादलों से सम्पूर्ण वातावरण अत्यन्त मनोहारी दिखायी देने लगता है। कैलाश पर्वत पर छाये बड़े-बड़े बादल; तूफानी हवाओं से गरज-गरजकर दो-दो हाथ करते हैं। यद्यपि तूफानी हवाएँ अन्ततः बादलों को उड़ा ले जाती हैं, फिर भी बादल अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहता है। आकाश में बादल छा जाने से किन्नर प्रदेश की शोभा अद्वितीय हो जाती है। सैकड़ों छोटे-बड़े झरने अपनी कल-कल ध्वनि से देवदार के वन को गुंजित कर देते हैं। इन वनों में किन्नर और किन्नरियाँ विलासितापूर्ण क्रीड़ाएँ करने लगती हैं।



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