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‘बाजार दर्शन’ के आधार पर बाजार के जादू’ को स्पष्ट करते हुए उससे बचने के उपाय बताइए।

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‘बाजार दर्शन’ निबंध में जैनेन्द्र ने बाजार के जादू के बारे में बताया है। बाजार में जादू होता है। इसका तात्पर्य यह है कि बाजार अपनी प्रदर्शन दक्षता के कारण ग्राहकों को लुभाता है तथा उनको चीजें खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है। बाजार का आकर्षण अत्यन्त प्रबल होता है। उसमें पड़कर मनुष्य उन चीजों को भी खरीद लेता है, जो उसके लिए जरूरी नहीं होती।

बाजार का यह जादू उन लोगों पर ही होता है, जिनका मन खाली तथा जेब भरी होती है। आशय यह है कि जिनको बाजार जाने पर अपनी जरूरतों को ठीक से पता नहीं होता वे अपने पैसे के बल पर बाजार में प्रदर्शित आकर्षक किन्तु गैरजरूरी चीजों को खरीद लेते हैं। जो व्यक्ति अपनी जरूरतों के बारे में ठीक तरह जानता है, वह ऐसा नहीं करता । बाजार के जादू से बचने के लिए आवश्यक है। कि बाजार जाने से पहले सोचें कि हमें किस चीज की जरूरत है। इस प्रकार हम जरूरी चीज ही खरीदेंगे तथा बाजार के आकर्षण का प्रभाव हम पर नहीं पड़ेगा। हमें बाजार को आवश्यकता पूर्ति का स्थान मानना चाहिए। उसे अपनी क्रय-शक्ति को प्रदर्शन करने तथा अपने घमंड के प्रदर्शन का स्थान नहीं मानना चाहिए। ऐसा करके हम बाजार के जादू से बच सकेंगे तथा उसका सही उपयोग कर सकेंगे।



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