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‘बाजार दर्शन’ नामक निबन्ध में किस प्रकार के ग्राहकों के बारे में बताया गया है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?

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‘बाजार दर्शन’ निबन्ध में दो प्रकार के ग्राहकों के बारे में बताया गया है। एक प्रकार के वे ग्राहक होते हैं, जिनको पता नहीं होता है कि उनको किस चीज की जरूरत है। इसके कारण वे अनावश्यक चीजें बाजार से खरीदते रहते हैं। दूसरी श्रेणी के ग्राहक अपनी आवश्यकता के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। वे आवश्यक चीज को ही बाजार से खरीदते हैं और धन की बरबादी से बचते हैं। मैं स्वयं को दूसरी श्रेणी का सजग ग्राहक मानता हूँ। मैं अनाप-शानप चीजें नहीं खरीदता। मैं अपने पैसे का सदुपयोग करता हूँ तथा फिजूलखर्ची से बचता हूँ।



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