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बाजार को “शैतान का जाल’ क्यों कहा गया है?अथवाबाजार के आकर्षण का क्या दुष्प्रभाव होता है?

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जिस प्रकार चतुर शिकारी जाल फैलाकर अपने शिकार को उसमें फंसाता है उसी प्रकार सुसज्जित बाजार ग्राहक को आकर्षित करता है। यह मूक आकर्षण मनुष्य के मन में चाह अथवा अभाव उत्पन्न करता है। व्यक्ति सोचता है-यहाँ अपरिमित है, उसके पास बहुत सीमित है। अपनी जरूरतों का ठीक से पता न होने से मनुष्य इस आकर्षण में हँसकर अनावश्यक चीजें खरीद लेता है।

इच्छाओं के वेग से वह व्याकुल हो उठता है। उसका मन तृष्णा, असन्तोष और ईर्ष्या से भर उठता है। उसकी व्याकुलता उसको पागल बना देती है तथा वह सदा के लिए बेकार हो जाता है।



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