InterviewSolution
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भारत के सीमेण्ट उद्योग का विस्तपूर्वक वर्णन कीजिए।याभारत में सीमेण्ट उद्योग कहाँ स्थापित हैं ? एक भौगोलिक टिप्पणी लिखिए।याभारत में सीमेण्ट उद्योग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-(क) केन्द्र, (ख) उत्पादन तथा (ग) व्यापार |
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Answer» भारत में सीमेण्ट उद्योग किसी भी विकासोन्मुख राष्ट्र के लिए सीमेण्ट का अत्यधिक महत्त्व है। प्रत्येक प्रकार के भवन-निर्माण में इसकी आवश्यकता होती है। भारत में संगठित रूप से सीमेण्ट तैयार करने का प्रथम प्रयास चेन्नई में 1904 ई० में किया गया था, परन्तु इसमें पूर्ण सफलता नहीं मिल सकी। इस उद्योग का वास्तविक विकास 1914 ई० में हुआ, जब कि मध्य प्रदेश में कटनी, राजस्थान में लखेरी-बूंदी तथा गुजरात में पोरबन्दर में तीन कारखाने स्थापित किये गये। सीमेण्ट वर्तमान युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए सीमेण्ट उद्योग का विकास अति आवश्यक है। यह अनेक उद्योगों के विकास की कुंजी है। भारत संसार का चौथा बड़ा सीमेण्ट उत्पादक देश है। अप्रैल, 2003 ई० को देश में 124 बड़े सीमेण्ट संयन्त्र थे, जिनकी संस्थापित क्षमता लगभग 14 करोड़ टन थी। सीमेण्ट अनुसन्धान संस्थान ने देश में लघु सीमेण्ट संयन्त्र लगाने के सुझाव दिये हैं। इससे प्रेरित होकर विभिन्न राज्यों में 300 लघु संयन्त्र स्थापित किये हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 111 लाख टन वार्षिक है। 31 मार्च, 2012 तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार देश में 173 बड़े सीमेंट संयंत्र हैं जिनकी स्थापित क्षमता 294.04 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जबकि 350 छोटे सीमेण्ट संयंत्र हैं। जिनकी स्थापित क्षमता 11.10 मिलियन टन/वर्ष है और कुल स्थापित क्षमता 305.14 मिलियन टन प्रतिवर्ष कुछ बड़े सीमेण्ट संयंत्रों का स्वामित्व केन्द्र और राज्य सरकारों के पास है। उत्पादन एवं वितरण सीमेण्ट उद्योग देशभर में विकेन्द्रित है। अधिकांश कारखाने देश के पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों में विकसित हुए हैं, जब कि सीमेण्ट की अधिकांश माँग उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में अधिक है। तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश राज्य देश का 74% सीमेण्ट उत्पन्न करते हैं, जब कि कुल उत्पादित क्षमता का 86% भाग इन्हीं राज्यों में केन्द्रित है। अग्रलिखित राज्यों का सीमेण्ट उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान है 1. मध्य प्रदेश – सीमेण्ट उत्पादन की दृष्टि से इस राज्य का भारत में प्रथम स्थान है। यहाँ सीमेण्ट के आठ विशाल कारखाने तथा कई लघु संयन्त्र कार्यरत हैं। मध्य प्रदेश राज्य देश का 15% सीमेण्ट उत्पन्न कर प्रथम स्थान पर है। इस राज्य में सीमेण्ट उद्योग के लिए आधारभूत सामग्री स्थानीय रूप से उपलब्ध है तथा कोयला झारखण्ड से मँगवाया जाता है। इस राज्य के कटनी, कैमूर, सतना, जबलपुर, बनमोर, नीमच एवं दमोह में सीमेण्ट के प्रमुख कारखाने हैं। 2. तमिलनाडु – यहाँ सीमेण्ट के 8 बड़े कारखाने हैं, जो देश का 12% सीमेण्ट उत्पन्न करते हैं। सीमेण्ट उत्पादन में इस राज्य का दूसरा स्थान है। चूना-पत्थर की पूर्ति स्थानीय क्षेत्रों के साथ-साथ कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश राज्यों से भी की जाती है। तुलुकापट्टी, तिलाईयुथू, तिरुनेलवेली, डालमियापुरम, राजमलायम, संकरी दुर्ग एवं मधुकराई प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक केन्द्र हैं। 3. आन्ध्र प्रदेश – आन्ध्र प्रदेश में सीमेण्ट के 11 कारखाने एवं 12 लघु संयन्त्र हैं, जो गुण्टूर, कर्नूल, नालगोण्डा, मछलीपत्तनम्, हैदराबाद एवं विजयवाड़ा में केन्द्रित हैं। इस राज्य में चूना-पत्थर के विशाल भण्डार पाये जाते हैं, इसी कारण इस राज्य की सीमेण्ट उत्पादन क्षमता 45 लाख टन तक पहुँच गयी है। सीमेण्ट उत्पादन में इस राज्य का तीसरा स्थान है। 4. राजस्थान – सीमेण्ट के उत्पादन में राजस्थान राज्य का चौथा स्थान है। यहाँ अरावली पहाड़ियों में । चूने-पत्थर व जिप्सम के पर्याप्त भण्डार हैं। ऐसी सम्भावना है कि भविष्य में राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सीमेण्ट उत्पादक राज्य हो जाएगा। यहाँ सीमेण्ट उत्पादन के 10 कारखाने हैं, जिनमें देश का 10% सीमेण्ट निर्मित किया जाता है। लखेरी (बूंदी), सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू,. निम्बाहेड़ा एवं उदयपुर सीमेण्ट उत्पादन के प्रमुख केन्द्र हैं। 5. झारखण्ड – झारखण्ड सीमेण्ट उत्पादक राज्यों में एक विशेष स्थान रखता है। यहाँ डालमियानगर, सिन्द्री, बनजोरी, चौबासा, खलारी, जापला एवं कल्याणपुर प्रमुख केन्द्र हैं। 6. कर्नाटक – इस राज्य में बीजापुर, भद्रावती, गुलर्गा, उत्तरी कनारा, तुमुकुर एवं बंगलुरु प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक केन्द्र हैं। यहाँ सीमेण्ट उत्पादन के 6 बड़े संयन्त्र स्थापित किये गये हैं। 7. गुजरात – गुजरात राज्य में सीमेण्ट के 8 कारखाने हैं। सीमेण्ट उद्योग का प्रारम्भ इसी राज्य से किया गया था। सिक्का (जामनगर), अहमदाबाद, राणाबाव, बड़ोदरा, पोरबन्दर, सेवालिया, ओखामण्डल एवं द्वारका प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक केन्द्र हैं। 8. छत्तीसगढ़ – यहाँ सीमेण्ट के कुछ कारखाने हैं जिनमें दुर्ग व गन्धार के कारखाने मुख्य हैं। 9. अन्य राज्य – हरियाणा में सूरजपुर एवं डालमिया-दादरी; केरल में कोट्टायम; उत्तर प्रदेश में चुर्क एवं चोपन; ओडिशा में राजगंगपुर एवं हीराकुड; जम्मू-कश्मीर में वुयान तथा असम में गौहाटी अन्य प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक केन्द्र हैं। व्यापार भारत के सीमेण्ट उद्योग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ कुल उत्पादन-क्षमता का 84% सीमेण्ट को उत्पादन किया जाता है। सन् 1965 ई० में इस उद्योग के विकास एवं विस्तार हेतु सीमेण्ट निगम की स्थापना की गयी थी। इस निगम का प्रमुख कार्य कच्चे माल के नये क्षेत्रों का पता लगाना तथा इस उद्योग से सम्बन्धित समस्याओं को हल करना था। वर्तमान समय में हम सीमेण्ट उत्पादन में आत्म-निर्भर हो गये हैं। वर्ष 2004-05 में 78.3 लाख टन सीमेण्ट का निर्यात भी किया गया था। बांग्लादेश, इण्डोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, म्यांमार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान आदि हमारे सीमेण्ट के प्रमुख ग्राहक हैं। वर्ष 2010-11 के दौरान सीमेंट उत्पादन (अप्रैल, 2011 से मार्च, 2012 तक) 224.49 मिलियन टन हुआ और 2010-11 की इसी अवधि तुलना में 6.55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। भारत ने अप्रैल, 2011-12 के दौरान 3.86 मिलियन टन सीमेंट और खंगरों का निर्यात किया है। इस क्षेत्र में प्रचुर माँग और ज्यादा लाभ उद्योग के विकास के अनुकूल है। यह उद्योग 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान लगभग 100 मिलियन टन की क्षमता वृद्धि की योजना थी लेकिन इस अवधि के दौरान क्षमता वृद्धि 126.25 मिलियन टन की हुई। |
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