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भारत में चावल की खेती का भौगोलिक वर्णन कीजिए। याटिप्पणी लिखिए-पंजाब में चावल की खेती।याभारत में चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके वितरण एवं उत्पादन का उल्लेख कीजिए। याभारत में चावल की खेती का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए(क) उपयुक्त भौगोलिक देशाएँ,(ख) प्रमुख उत्पादक क्षेत्र,(ग) व्यापार। 

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भारत में चावल की खेती ईसा से 3,000 वर्ष पूर्व से की जा रही है। यहीं से इसका प्रचार विश्व के अन्य देशों में हुआ। यह भारत में लगभग तीन-चौथाई जनसंख्या का खाद्यान्न है। चीन के बाद भारत का चावल के उत्पादन में प्रथम स्थान है जहाँ विश्व उत्पादन का 21% चावल उत्पन्न किया जाता है। देश में वर्ष 2012 में 42.1 हेक्टेयर भूमि पर 104.3 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ। भारत में चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2,372 किग्रा था। जापान में चावल को प्रति हेक्टेयर उत्पादन 4,990 किग्रा है। हमारे यहाँ खाद्यान्नों के उत्पादन में लगी हुई भूमि के 35% भाग तथा कुल कृषि-योग्य भूमि के 25% भाग पर इसका उत्पादन किया जाता है।

आवश्यक भौगोलिक दशाएँ

Necessary Geographical Conditions
चावल के उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं –

⦁    तापमान – चावल उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु का पौधा है; अत: इसे ऊँचे तापमान की आवश्यकता होती है। बोते समय 20°सेग्रे तथा पकते समय 27°सेग्रे तापमान उपयुक्त रहता है। इसकी कृषि के लिए पर्याप्त प्रकाश आवश्यक होता है, परन्तु अधिक मेघाच्छादित मौसम एवं तेज वायु हानिकारक होती है।

⦁    वर्षा – चावल की कृषि के लिए 150 सेमी वर्षा आवश्यक होती है, परन्तु 60 से 75 सेमी वर्षा वाले भागों में सिंचाई के सहारे चावल का उत्पादन किया जाता है; जैसे–पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं पंजाब राज्यों में। चावल की खेती के लिए आवश्यक है कि खेतों में 75 दिनों तक जल भरा रहना चाहिए। भारत के चावल उत्पादन का 39.5% भाग सिंचाई के सहारे पैदा किया जाता है।

⦁    मिट्टी – चावल उपजाऊ चिकनी, कछारी अथवा दोमट मिट्टियों में उगाया जाता है। चावल का पौधा मिट्टी के पोषक तत्त्वों का अधिक शोषण करता है; अत: इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते रहना चाहिए। हरी खाद, हड्डियों की खाद, अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट आदि उर्वरक लाभकारी होते हैं।

⦁    मानवीय श्रम – चावल के खेतों की जुताई से लेकर कटाई तक अधिक संख्या में सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसी कारण विश्व में चावल उत्पादक क्षेत्र सघन बसे क्षेत्रों में पाये जाते हैं, क्योंकि यहाँ श्रमिक सस्ते एवं सरलता से पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हो जाते हैं।

भारत में चावल उत्पादक क्षेत्र
Rice Producing Areas in India

भारत में चावल का उत्पादन दक्षिणी एवं पूर्वी राज्यों में अधिक पाया जाता है। आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक
आदि राज्य प्रमुख चावल उत्पादक हैं जो मिलकर देश का 97% चावल उत्पन्न करते हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है –

(1) पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल चावल उत्पन्न करने वाला भारत का प्रथम राज्य है, जहाँ देश का 17.5% चावल उत्पन्न किया जाता है। प्रतिवर्ष बाढ़ों द्वारा उपजाऊ नवीन काँप मिट्टी प्राप्त हो जाने के कारण खाद देने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है, परन्तु कभी-कभी बाढ़ से इसकी फसल को हानि भी उठानी पड़ती है। कृषि-योग्य भूमि के 77% से भी अधिक भाग पर चावल की फसल उत्पन्न की जाती है। इस राज्य में चावल की तीन फसलें उत्पन्न की जाती हैं-

⦁    अमन–78%,
⦁    ओस-20% एवं
⦁    बोरो-2%। यहाँ चावल उत्पादन की सभी अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियां पायी जाती हैं। कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, बांकुडा, मिदनापुर, वीरभूमि, दिनाजपुर, बर्दमान एवं दार्जिलिंग प्रमुख चावल उत्पादक जिले हैं।

(2) उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड – इन राज्यों को देश के चावल उत्पादन में दूसरा स्थान है जहाँ देश का 12.2% चावल उत्पन्न किया जाता है। कृषि योग्य भूमि के 21% भाग पर इसकी खेती की जाती है, परन्तु इस राज्य की प्रति हेक्टेयर उपज कम है। देहरादून, पीलीभीत, सहारनपुर, देवरिया, गोण्डा, बहराइच, बस्ती, रायबरेली, बलिया, लखनऊ एवं गोरखपुर प्रमुख चावल उत्पादक जिले हैं। देहरादून का बासमती चावल अपने स्वाद एवं सुगन्ध के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

(3) आन्ध्र प्रदेश – आन्ध्र प्रदेश राज्य का चावल के उत्पादन में तीसरा स्थान है, जहाँ देश का 11.8% चावल उत्पन्न किया जाता है। इस राज्य की कृषि-योग्य भूमि के 24% भाग पर चावल की वर्ष में दो फसलें उत्पन्न की जाती हैं। यहाँ गोदावरी, कृष्णा, गण्टूर, विशाखापट्टनम्, श्रीकाकुलम, नेल्लोर, चित्तूर, कुडप्पा, कर्नूल, अनन्तपुर, पूर्वी एवं पश्चिमी गोदावरी चावल के प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

(4) तमिलनाडु – इस राज्य का भारत के चावल उत्पादन में चौथा स्थान तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादन के दृष्टिकोण से प्रथम स्थान है। कृषि योग्य भूमि के 38% भाग पर वर्ष में चावल की दो फसलें उत्पन्न कर देश के चावल उत्पादन का 9.1% भाग पूरा करता है। कोयम्बटूर, अर्कोट, तंजौर, नीलगिरि, थंजावूर चावल उत्पादन के प्रमुख जिले हैं।

(5) पंजाब – पंजाब भारत का पाँचवाँ बड़ा (8.6%) चावल उत्पादक राज्य है। यहाँ चावल के उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है। यद्यपि पंजाब राज्य की भौगोलिक दशाएँ चावल के उत्पादन के अधिक अनुकूल नहीं हैं, परन्तु कृत्रिम साधनों द्वारा पर्याप्त सिंचाई की सुविधाएँ, रासायनिक उर्वरकों का अधिकाधिक प्रयोग, कृषि में नवीन यन्त्रों का प्रयोग, उत्पादन की उच्च तकनीकी सुविधाओं के कारण यहाँ प्रति हेक्टेयर चावल उत्पादन में वृद्धि हुई है। इसे राज्य में गेहूं उत्पादक भूमि चावल उत्पादक भूमि में परिवर्तित होती जा रही है जिसका प्रमुख कारण गेहूं की अपेक्षा चावल से अधिक आर्थिक लाभ की प्राप्ति है। भटिंडा, लुधियाना, होशियारपुर, पटियाला, गुरदासपुर, संगरूर, अमृतसर, फिरोजपुर आदि जिले चावल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

(6) ओडिशा – ओडिशा भारत का 7.7% चावल का उत्पादन करता है जहाँ कृषि योग्य भूमि के 67% भाग पर चावल की दो फसलें तक उत्पन्न की जाती हैं। यहाँ चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम (केवल 960 किग्रा) है। प्रमुख उत्पादक जिले कटक, पुरी, सम्बलपुर, मयूरभंज, गंजाम, कोरापुट, कालाहांडी, बोलंगिरि, धेन्कानाल आदि हैं।

(7) बिहार – यह राज्य भी प्रमुख चावल उत्पादक है जहाँ देश के 6% चावल का उत्पादन किया जाता है। इस राज्य की कृषि-योग्य भूमि के 63% भाग पर चावल की वर्ष में तीन फसलें उत्पन्न की जाती हैं, परन्तु मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता के कारण सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है। गया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर एवं पूर्णिया प्रमुख चावल उत्पादक जिले हैं।

(8) अन्य राज्य – चावल के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, केरल आदि हैं। इन राज्यों में सिंचाई के सहारे चावल का उत्पादन किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य को चावल का कटोरा’ कहा जाता है।

व्यापार – चावल उत्पादक राज्यों में सघन जनसंख्या के कारण चावल का निर्यात नहीं किया जाता, परन्तु इसका व्यापार अन्तर्राज्यीय होता है। चावल के उत्पादन में वृद्धि होने पर सन् 1978 में 52,000 टन चावल इण्डोनेशिया को भेजा गया। विश्व के चावल निर्यात में भारत का भाग 2.58% है। सन् 1970-71 से भारत से चावल का निर्यात होता है। वर्तमान समय में उच्च-कोटि का चावल खाड़ी देशों एवं रूस को निर्यात किया जाता है।



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