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भारत में कहवा की कृषि का भौगोलिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।याभारत में कहवा उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए तथा इसके उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों को बताइए।याभारत में कहवा की खेती का विवरण निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए –(अ) उत्पादक क्षेत्र, (ब) उत्पादन, (स) निर्यात।

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भारत में सन् 1830 से कहवा की कृषि व्यवस्थित रूप से की जाती है तथा इसका विस्तार कर्नाटक के अन्य जिलों, केरल एवं तमिलनाडु में हो गया था। विश्व उत्पादन का 2.8% कहवा ही भारत से प्राप्त हो पाता है, परन्तु स्वाद में उत्तम होने के कारण इसका अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में ऊँचा मूल्य मिलता है। इसी कारण देश के उत्पादन का लगभग 70% भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। देश में इस समय लगभग कहवा के 52,000 बागान हैं जिनमें 2.5 लाख लोग लगे हैं। वर्ष 2011-2012 में 3 लाख टन कहवे का उत्पादन हुआ था।

अनुकूल भौगोलिक दशाएँ

Favourable Geographical Conditions
कहवा के उत्पादन के लिए अग्रलिखित भौगोलिक परिस्थितियाँ अनुकूल रहती हैं –

⦁    तापमान – कहवा के उत्पादन के लिए औसत वार्षिक तापमान 20° से 30° सेग्रे आवश्यक होता है। कहवे का पौधा अधिक धूप को सहन नहीं कर पाता। इसी कारण इसे छायादार वृक्षों के साथ उगाया जाता है।

⦁    वर्षा – कहवे के लिए 150 से 250 सेमी वर्षा पर्याप्त रहती है। जिन क्षेत्रों में वर्षा का वितरण समान होता है, वहाँ 300 सेमी वर्षा पर्याप्त रहती है। सामान्यतया इसकी खेती 900 से 1,800 मीटर ऊँचाई वाले भागों में छायादार वृक्षों के साथ की जाती है।

⦁    मिट्टी – इसके लिए वनों से साफ की गयी भूमि उपयुक्त रहती है, क्योंकि इसमें उपजाऊ तत्त्व अधिक मिलें रहते हैं। कहवे के लिए दोमट एवं ज्वालामुखी उद्गार से निकली लावा मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है जिनमें क्रमश: जीवांश एवं लोहांश मिले होते हैं।

⦁    मानवीय श्रम – कहवे के पौधों को लगाने, निराई-गुड़ाई करने, बीज तोड़ने, सुखाने, पीसने आदि कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में सस्ते एवं कुशल श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इन कार्यों के लिए बच्चे एवं स्त्रियाँ श्रमिक अधिक उपयुक्त रहते हैं।
भारत में कहवा उत्पादक क्षेत्र

Coffee Producing Areas in India
भारत में कहवे का उत्पादन करने वाले राज्य निम्नलिखित हैं –

⦁    कर्नाटक – कर्नाटक राज्य का कहवा के उत्पादन में प्रथम स्थान है (देश के उत्पादन का 70%)। यहाँ कहवे के 4,600 बाग हैं। इस राज्य के दक्षिणी एवं दक्षिणी-पश्चिमी भागों में कादूर, शिमोगा, हासन, चिकमंगलूर एवं मैसूर जिलों के पहाड़ी क्षेत्रों में 1,200 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में कहवे का उत्पादन किया जाता है।

⦁    केरल – कहवा के उत्पादन में केरल राज्य का दूसरा स्थान है जहाँ देश का 20% कहवा उत्पन्न किया जाता है। यहाँ 58,000 हेक्टेयर भूमि कहवा के उत्पादन में लगी हुई है जिस पर 33,600 टन कहवे का वार्षिक उत्पादन होता है। केरल के प्रमुख उत्पादक जिले–कोजीकोड़, कन्नानोर, बयनाड़ तथा पालघाट प्रमुख हैं।

⦁    तमिलनाडु – कहवा के उत्पादन में इस राज्य का देश में तीसरा स्थान है। यहाँ 21,700 हेक्टेयर भूमि पर 15,200 टन कहवा उगाया जाता है। तमिलनाडु के उत्तर में अर्कोट जिले से लेकर दक्षिण-पश्चिम में तिरुनलवेली तक इसका विस्तार है। नीलगिरि प्रमुख कहवा उत्पादक जिला है। कोयम्बटूर, मदुराई, पेरियार, सलेम, रामनाथपुरम् अन्य प्रमुख केहवा उत्पादक जिले हैं।

⦁    अन्य राज्य – महाराष्ट्र में रत्नागिरि, सतारा एवं कनारा जिलों तथा आन्ध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम जिले में भी कहवे का उत्पादन किया जाता है।

निर्यात – देश में कहवा उत्पादन का 30% उपभोग घरेलू रूप में किया जाता है तथा शेष 70% ब्रिटेन, रूस, कनाडा, स्वीडन, नार्वे, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रेलिया, पोलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैण्ड्स, बेल्जियम एवं इराक को निर्यात कर दिया जाता है। वर्ष 2010-11 में 203.8 लाख टन कहवे का निर्यात किया गया। भारत विश्व व्यापार का 1.41% कहवा निर्यात करता है।



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