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भारत में गन्ने की खेती का विवरण लिखिए।याभारत में गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए एवं इसके उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए। याभारत में गन्ने की खेती की विवेचना निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए –(क) उपयुक्त भौगोलिक दशाएँ,(ख) उत्पादक क्षेत्र। 

Answer»

गन्ना भारत की प्रमुख मुद्रादायिनी फसल है। भारत को ही गन्ने का जन्म-स्थान होने का गौरव प्राप्त है। गन्ना उत्पादक क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है, जबकि गन्ना उत्पादन में ब्राजील के बाद भारत का प्रथम स्थान है। विश्व गन्ना उत्पादन का 35% क्षेत्रफल भारत में पाया जाता है। भारत में गन्ने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अन्य गन्ना उत्पादक देशों की अपेक्षा कम है तथा रंस की मात्रा भी कम होती है। देश में प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन 67 टन है, जबकि चीन में 70 टन है। वर्ष 2011-12 में

357.7 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन हुआ। गन्ने की मिलों से प्राप्त शीरे से शराब, ऐल्कोहल तथा रबड़ बनाई जाती है। इससे प्राप्त खोई को गत्ता बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
अनुकूल भौगोलिक दशाएँ

Favourable Geographical Conditions
गन्ने की कृषि के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएँ प्रमुख स्थान रखती हैं –

(1) जलवायु – गन्ना उष्णार्द्र जलवायु का पौधा है, परन्तु अर्द्ध-उष्ण कटिबन्धीय भागों में भी इसकी खेती की जाती है। भारत में इसकी खेती 8° उत्तरी अक्षांश से 37°उत्तरी अक्षांशों के मध्य की जाती है। इसके लिए निम्नलिखित जलवायुविक दशाएँ उपयुक्त रहती हैं –

(i) तापमान – गन्ने की फसल को तैयार होने में लगभग एक वर्ष का समय लग जाता है। अंकुर निकलते समय 20°सेग्रे तापमाने की आवश्यकता होती है। इसकी खेती 40 सेग्रे से अधिक एवं 8°सेग्रे से कम तापमान में नहीं हो पाती। अत्यधिक शीत एवं पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है।

(ii) वर्षा – गन्ना 150 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में भली-भाँति पैदा किया जा सकता है। यदि वर्षा की मात्रा इससे कम होती है तो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि नहरों एवं नलकूपों से सिंचित क्षेत्र गन्ने के महत्त्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र बन गये हैं। ग्रीष्म ऋतु में कम-से-कम चार बार सिंचाई और गुड़ाई करने से एक पौधे में कई अंकुर निकल आते हैं और वह भूमि में भली प्रकार जम जाता है।

(2) मिट्टी – गन्ने की कृषि के लिए उपजाऊ दोमट तथा नमीयुक्त मिट्टी उपयुक्त होती है। दक्षिण की लावायुक्त काली मिट्टी में भी गन्ना पैदा किया जाता है। गन्ने को पर्याप्त खाद की आवश्यकता पड़ती है। इसी कारण चूने एवं फॉस्फोरस वाली मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है।

(3) मानवीय श्रम – गन्ने को रोपने, निराई-गुड़ाई काटकर बण्डल बनाने तथा समय-समय पर सिंचाई करने के लिए पर्याप्त संख्या में सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसी कारण गन्ने का उत्पादन सघन जनसंख्या वाले प्रदेशों में अधिक किया जाता है।
समुद्री पवनों के प्रभाव से गन्ना अधिक रसीला तथा मिठासयुक्त हो जाता है। इस प्रकार अनुकूल भौगोलिक दशाएँ भारत के तटीय क्षेत्रों में अधिक मिलती हैं। इसी कारण उत्तरी भारत की अपेक्षा यहाँ गन्ने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अधिक होता है तथा गन्ना अधिक रसीला एवं मीठा होता है।

भारत में गन्ने के उत्पादक क्षेत्र
Sugarcane Producing Areas in India

यद्यपि उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में गन्ना उत्पादन के लिए भौगोलिक सुविधाएँ अधिक अनुकूल हैं तथापि गन्ना उत्तरी भारत में ही अधिक पैदा किया जाता है। उत्तर प्रदेश राज्य देश का 54%, पंजाब तथा हरियाणा 15% तथा बिहार 12% गन्ने का उत्पादन करते हैं। पिछले दो दशकों से दक्षिणी राज्यों के गन्ना उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है। देश के दक्षिणी राज्यों में आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज उत्तरी राज्यों की अपेक्षा अधिक है। इसी कारण नवीन चीनी मिलों की स्थापना इन्हीं राज्यों में अधिक की गयी है। भारत में गन्ना उत्पादन के प्रमुख प्रदेश निम्नलिखित हैं –

(1) उत्तर प्रदेश – भारत के गन्ना उत्पादन में इस राज्य का प्रथम स्थान है, जो देश का 45 से 55% तक गन्ना उत्पन्न करता है। देश के गन्ना उत्पादक क्षेत्रफल का 54% भाग भी इसी राज्य में केन्द्रित है। यहाँ गन्ना उत्पादन की सभी भौगोलिक सुविधाएँ प्राप्त हैं। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन के दो महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं। पहला क्षेत्र तराई प्रदेश में है जो रामपुर से प्रारम्भ होकर बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, खीरी, लखीमपुर, मुरादाबाद, गोण्डा, फैजाबाद, आजमगढ़, जौनपुर, बस्ती, बलिया, गोरखपुर तक फैला : है। दूसरा प्रमुख क्षेत्र गंगा-यमुना नदियों के दोआब में विस्तृत है। यह क्षेत्र मेरठ से वाराणसी होता हुआ इलाहाबाद तक फैला है। यहाँ का गन्ना मोटा, रसदार तथा प्रति हेक्टेयर उत्पादन में भी अधिक होता है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, देवरिया, शाहजहाँपुर, हरदोई आदि प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं।

(2) महाराष्ट्र – देश में इस राज्य का गन्ना उत्पादन में दूसरा स्थान है। यहाँ देश का 13% गन्ना उगाया जाता है। यहाँ गन्ने का क्षेत्र नासिक के दक्षिण में गोदावरी नदी की ऊपरी घाटी में स्थित है। साँगली, सतारा, नासिक, पुणे, अहमदनगर एवं शोलापुर प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं। यहाँ वर्षभर तापमान सम रहने के कारण गन्ने से अधिक रस की प्राप्ति होती है।

(3) तमिलनाडु – इस राज्य का गन्ने के क्षेत्रफल एवं प्रति हेक्टेयर उत्पादन की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोयम्बटूर में गन्ने की एक अनुसन्धानशाला स्थापित की गयी है। देश का लगभग 11% गन्ना इसी राज्य में उत्पन्न किया जाता है। यहाँ कोयम्बटूर, रामनाथपुरम्, तिरुचिरापल्ली, उत्तरी एवं दक्षिणी अर्कोट तथा मदुराई जिलों में गन्ने की खेती विशेष रूप से की जाती है।

(4) आन्ध्र प्रदेश – यह राज्य गन्ने का प्रमुख उत्पादक है, जहाँ देश का लगभग 5% गन्ना उत्पन्न किया जाता है। यहाँ मन्ने की खेती गोदावरी एवं कृष्णा नदियों के डेल्टा में की जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र में नहरों द्वारा सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएँ प्राप्त हैं।

(5) पंजाब एवं हरियाणा – भारत में ये दोनों प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य हैं जहाँ सिंचाई की सहायता से गन्ना उगाया जाता है। हरियाणा में गुड़गाँव, हिसारं, करनाल, अम्बाला, रोहतक प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं। पंजाब राज्य में पटियाला, संगरूर, फिरोजपुर, जालन्धर, अमृतसर एवं गुरदासपुर प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं। दोनों राज्य सम्मिलित रूप से देश का 15% गन्ना उगाते हैं।

(6) अन्य राज्य – कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा ओडिशा में भी गन्ने का उत्पादन किया जाता है।

भारत में जितना भी गन्ना उत्पन्न होता है उसका 45% खाण्डसारी एवं गुड़ बनाने में, 35% सफ़ेद चीनी बनाने में तथा शेष चूसने, रस निकालने एवं बीज के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।



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