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भारत में कपास की खेती में सहायक भौगोलिक कारकों की विवेचना कीजिए तथा उसकी खेती के प्रमुख क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।याभारत में कपास की खेती का भौगोलिक विवरण लिखिए।याभारत की किसी एक रेशेदार (Fibre) फसल का भौगोलिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।

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रेशेदार फसलों में कपास, जूट, रेशम व फ्लेक्स आती हैं, परन्तु इनमें कपास सबसे महत्त्वपूर्ण है। कपास का जन्म-स्थान भारत को ही माना जाता है। यहीं से इसका पौधा चीन तथा विश्व के अन्य देशों में पहुँचा। आज भी कपास भारत की प्रमुख व्यापारिक फसल है। भारत का कपास के क्षेत्रफल की दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरा तथा उत्पादन की दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस एवं ब्राजील के बाद पाँचवाँ स्थान है। कपास सूती वस्त्र उद्योग एवं वनस्पति घी उद्योग के लिए कच्चे माल का प्रमुख स्रोत है। भारत विश्व की 8.2% कपास का उत्पादन करता है, जबकि यहाँ विश्व की कपास उत्पादक भूमि का 22% क्षेत्रफल विद्यमान है। देश में 91 लाख हेक्टेयर भूमि पर कपास का उत्पादन किया जाता है। वर्ष वर्ष 2011-2012 में यहाँ कपास का वार्षिक उत्पादन 35.2 मिलियन गाँठ (एक गाँठ = 170 किग्रा) हुआ था। कपास का औसत उत्पादन 189 किग्रा प्रति हेक्टेयर है

आवश्यक भौगोलिक दशाए Necessary Geographical Conditions

कपास उगाने के लिए निम्लिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता होती है –

(1) तापमान – कपास के पौधे के लिए 20° से 30° सेग्रे तापमान की साधारणतः आवश्यकता होती है। पाला एवं ओला इसके लिए हानिकारक होते हैं। अतः इसकी खेती के लिए 200 दिन पालारहित मौसम होना आवश्यक होता है। कपास की बौंडियाँ खिलने के समय स्वच्छ आकाश तथा तेज एवं चमकदार धूप होनी आवश्यक है जिससे रेशे में पूर्ण चमक आ सके।

(2) वर्षा – कपास की खेती के लिए साधारणतया 50 से 100 सेमी वर्षा पर्याप्त होती है, परन्तु यह वर्षा कुछ अन्तर से होनी चाहिए। अधिक वर्षा हानिकारक होती है, जबकि 50 सेमी से कम वर्षा वाले भागों में सिंचाई के सहारे कपास का उत्पादन किया जाता है।

(3) मिट्टी – कपास के उत्पादन के लिए आर्द्रतायुक्त चिकनी एवं गहरी काली मिट्टी अधिक लाभप्रद रहती है, क्योंकि पौधों की जड़ों में पानी भी न रहे और उन्हें पर्याप्त नमी भी प्राप्त होती रहे; इस दृष्टिकोण से दक्षिणी भारत की काली मिट्टी कपास के लिए बहुत ही उपयोगी है। भारी काली, दोमट, लाल एवं काली चट्टानी मिट्टी तथा सतलुज-गंगा मैदान की कछारी मिट्टी भी इसके लिए उपयुक्त रहती है।

(4) मानवीय श्रम – कपास की खेती को बोने, निराई-गुड़ाई करने और बौंडियाँ चुनने के लिए सस्ते एवं पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है। कपास चुनने के लिए अधिकतर स्त्रियाँ-श्रमिक उपयुक्त रहती हैं।

भारत में कपास का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 375 किग्रा है। कपास के उत्पादन के लिए दक्षिणी भारत की जलवायु उत्तरी भारत की अपेक्षा अधिक अनुकूल है, क्योंकि शीतकाल में उत्तरी भारत का तापमान तेजी से कम हो जाता है और भूमध्यसागरीय चक्रवातों के आ जाने से बादल छा जाते हैं तथा बौंडियों को खिलने के लिए पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती।

भारत में कपास उत्पादक क्षेत्र
Cotton Producing Areas in India

भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु, मिट्टी एवं उत्पादन की भौगोलिक दशाएँ पायी जाती हैं तथा कृषित भूमि के 5% भाग पर ही कपास का उत्पादन किया जाता है, परन्तु देश में कपास उत्पादक क्षेत्रफल में वृद्धि होती जा रही है। वर्ष 2011-12 में 9.1 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर 35.2 मिलियन गाँठ कपास का उत्पादन किया गया। गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश राज्य मिलकर देश की 65% कपास का उत्पादन करते हैं। तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब व राजस्थान अन्य प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं। कपास के उत्पादन में लगी कुल भूमि का 28% क्षेत्र सिंचित है। प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों का विवरण निम्नवत् है –

(1) पंजाब एवं हरियाणा – कपास के उत्पादन में पंजाब राज्य का प्रथम तथा हरियाणा का छठा स्थान है। पंजाब में कपास का प्रति हेक्टेयर उत्पादन देश में सर्वाधिक (386 किग्रा) है। यहाँ कपास में 6% कृषित भूमि लगी है तथा देश की 20.4% कपास उगायी जाती है। इन दोनों राज्यों में कपास का उत्पादन सिंचाई के सहारे किया जाता है। पंजाब में अमृतसर, जालन्धर, लुधियाना, पटियाला, नाभा, संगरूर एवं भटिण्डा तथा हरियाणा में गुड़गाँव, करनाल, रोहतक एवं जींद आदि जिले प्रमुख कपास उत्पादक हैं।

(2) महाराष्ट्र – कपास के उत्पादन में महाराष्ट्र राज्य का देश में दूसरा स्थान है जहाँ लगभग 16.3% कपास का उत्पादन किया जाता है। इस प्रदेश की काली मिट्टी एवं सागरीय नम जलवायु का प्रभाव कपास के उत्पादन में बड़ा ही सहायक है। अकोला, अमरावती, बुलडाना, नागपुर, वर्धा, चन्द्रपुर, छिन्दवाड़ा, साँगली, बीजापुर, नासिक, शोलापुर, यवतमाल, जलगाँव, पुणे तथा परेभनी प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

(3) गुजरात – गुजरात की उत्तम काली मिट्टी में देश का 28% कपास उत्पादक क्षेत्र फैला है तथा यह तीसरा स्थान प्राप्त किये हुए है। यहाँ देश का 13% कपास उत्पादित होता है। अहमदाबाद, मेहसाना, बनासकांठा, भड़ौंच, वड़ोदरा, खेड़ा, पंचमहल, साबरकाँठा, सूरत एवं पश्चिमी खानदेश जिले कपास के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

(4) आन्ध्र प्रदेश – इस राज्य का भारत के कपास उत्पादन में चौथा स्थान है। यहाँ देश की लगभग 12% कपास पैदा की जाती है। गुण्टूर, कुडप्पा, कर्नूल, पश्चिमी गोदावरी, कृष्णा, महबूबनगर, अदिलाबाद एवं अनन्तपुर जिले कपास के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

(5) अन्य राज्य – भारत में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश कपास के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। उत्तर प्रदेश देश की लगभग 1% कपास का उत्पादन करता है जहाँ गंगा-यमुना, दोआब में कपास का उत्पादन किया जाता है। रुहेलखण्ड एवं बुन्देलखण्ड सम्भागों में सिंचाई द्वारा छोटे रेशे वाली कपास का उत्पादन किया जाता है।

व्यापार

देश में कपास के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ यह कपास का निर्यात भी करने लगा है। छोटे रेशे वाली घटिया कपास का निर्यात जापान, ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका को किया जाता है। थोड़ी मात्रा में कपास का निर्यात जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैण्ड्स, न्यूजीलैण्ड, इंग्लैण्ड, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया को किया जाता है।



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