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| 1. | चाय तथा खनिज तेल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का वर्णन कीजिए।याखनिज तेल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का वर्णन कीजिए। | 
| Answer» चाय का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय पदार्थ है। इसका उत्पादने उष्ण व उपोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में ही किया जाता है, जबकि इसकी माँग संसार के अधिकांश देशों में रहती है। संसार के विकसित राष्ट्रों में चाय का उत्पादन बिल्कुल नहीं होता, परन्तु उनकी ऊँची क्रयशक्ति तथा अधिक खपत के कारण वे राष्ट्र चाय के प्रमुख आयातक बन गए हैं। चाय के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ चाय के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – ⦁    चाय का 90% उत्पादन उष्णार्द्र जलवायु के देशों में किया जाता है, जबकि उसका.90% उपभोग ⦁ चाय की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण है। ⦁ संसार में लगभग 26 लाख टन चाय का उत्पादन होता है जिसमें से लगभग 47% (12.2 लाख टन) विश्व व्यापार में प्रयुक्त होगी। अत: चाय का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विकासशील देशों की निर्यात आय की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। ⦁ यूरोपीय साझा बाजार के सभी देशों का मुख्य आयात चाय ही होती है। ⦁ चाय के कुल निर्यात का लगभग 13.3% भारत, 12.2% श्रीलंका, 12% चीन, 11% कीनिया (अफ्रीका), 5% इण्डोनेशिया और 3.8% अर्जेण्टीना द्वारा किया जाता है। ⦁ कुल चाय आयात का 70% भाग ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, इराक, ईरान एवं मिस्र द्वारा किया जाता है तथा 5% जापान, 3% पोलैण्ड तथा 3% सऊदी अरब द्वारा किया जाता है। ⦁ चाय विकासशील एवं खेतिहर देशों की आय का मुख्य स्रोत बनी हुई है। इसे निर्यात कर ये देश ‘पर्याप्त विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं। ⦁ भारत और श्रीलंका के निर्यात व्यापार में चाय महत्त्वपूर्ण स्थान रहती है। ⦁ चाय की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत में ग्रेट ब्रिटेन का स्थान सर्वप्रथम है, अतः यह चाय का सबसे बड़ा ग्राहक है। ⦁ विश्व के कुल चाय व्यापार में भारत का योगदान लगभग 13% है। ⦁ चाय के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत के प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी श्रीलंका, इण्डोनेशिया, कीनिया तथा चीन हैं। खनिज तेल का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आधुनिक युग में खनिज तेल एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन है। अत: इसके संचित भण्डार एवं उत्पादन क्षेत्रों पर आर्थिक या राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक दाँव-पेंच चलते रहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु है। विश्व में ऐसे गिने-चुने देश हैं जो खनिज तेल के उत्पादन में स्वावलम्बी हैं और निर्यात करने की स्थिति में भी हैं। ऊर्जा संकट को ध्यान में रखते हुए खनिज तेल का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। (Characteristics of International Trade of Mineral Oil) ⦁ खनिज तेल का निर्यात करने वाले देश बहुत कम हैं, जबकि इसके आयातक देशों की सूची बहुत लम्बी है। ⦁ खनिज तेल का शोधन करने पर इससे अनेक उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं। इन पदार्थों पर बहुत-से महत्त्वपूर्ण उद्योग-धन्धे आधारित होते हैं, अतः सभी देश आवश्यकतानुसार खनिज तेल के आयात पर बल देते हैं। ⦁ खनिज तेल उत्पादकः खाड़ी देशों में कृषि, उद्योग तथा व्यापार पिछड़ी हुई दशा में हैं, अत: ये खनिज तेल का निर्यात कर अपनी अन्य आवश्यकता की वस्तुएँ आयात करने में सक्षम हो पाए हैं। ⦁ सभी औद्योगिक राष्ट्र खनिज तेल का भारी मात्रा में आयात करते हैं। ⦁ खनिज तेल को यदि भूमि से न निकाला जाए तो वह स्वत: ही स्थानान्तरित हो जाता है; अतः खनिज तेल उत्पादक देश इसके निर्यात द्वारा ही उत्पादन कर पाते हैं। ⦁ विकसित होते हुए परिवहन साधनों ने खनिज तेल के उपभोग को कई गुना बढ़ा दिया है; अत: सभी राष्ट्र खनिज तेल के आयात में वृद्धि कर रहे हैं। ⦁ विश्व में प्रतिवर्ष कुल लगभग 3 अरब टन खनिज तेल का उत्पादन होता है जिसके लगभग एक-तिहाई भाग (103 करोड़ टन) का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार होता है। तेल के बड़े आयातकों में संयुक्त राज्य अमेरिका (विश्व का 17%), जापान (14%) और पश्चिमी यूरोपीय देश (30%) हैं। ⦁ खनिज तेल के बड़े निर्यातकों में सऊदी अरब (18%), रूस (16%), मैक्सिको (6%), इराक (6%), ईरान (5.5.%), नाइजीरिया (5.2%), संयुक्त अरब अमीरात (52%), वेनेजुएला (4%), लीबिया (3.8%) और इण्डोनेशिया (3.7%) प्रमुख हैं। ⦁ संयुक्त राज्य अमेरिका खनिज तेल का संसार सबसे अधिक उपभोग करने वाला देश है। 46 करोड़ टन घरेलू उत्पादन के अतिरिक्त यह प्रतिवर्ष लगभग 18 करोड़ टन तेल का आयात करता है। रूस अपने 31.5 करोड़ टन उत्पादन में से लगभग 8 करोड़ टन खनिज तेल का निर्यात कर देता है। जापान एक महान औद्योगिक देश होने के कारण संसार का दूसरा बड़ा तेल आयातक देश बन गया है। ⦁ पश्चिमी यूरोप में केवल ब्रिटेन के अतिरिक्त सभी देशों का घरेलू उत्पादन न होने के कारण तथा इन विकसित राष्ट्रों में पेट्रोलियम की अधिक माँग होने के कारण खाड़ी देशों से खनिज तेल का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। | |