InterviewSolution
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                                    चलो मान लिया कि भारत जैसे देश में लोकतान्त्रिक राजनीति का तकाजा ही गठबन्धन बनाना है। लेकिन क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि हमारे देश में हमेशा से गठबन्धन बनते चले आ रहे हैं। अथवाराष्ट्रीय स्तर के दल एक बार फिर से अपना बुलन्द मुकाम हासिल करके दिखाएँगे। | 
                            
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Answer»  भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में गठबन्धन का दौर हमेशा से चला आ रहा है। यह बात कुछ हद तक सही है, लेकिन इन गठबन्धनों के स्वरूप में व्यापक अन्तर है। पहले जहाँ एक ही पार्टी के भीतर गठबन्धन (जैसे—कांग्रेस पार्टी में क्रान्तिकारी और शान्तिवादी, कंजरवेटिव और रेडिकल, गरमपन्थी और नरमपन्थी, दक्षिणपन्थी और वामपन्थी आदि) होता था अब पार्टियों के बीच गठबन्धन होता है। जहाँ तक राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व का सवाल है, वर्तमान दलीय व्यवस्था के बदलते दौर में अपना बुलन्द मुकाम पाना बहुत कठिन है। क्योंकि वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप बहुदलीय हो गया है, जिसमें राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों के महत्त्व को भी नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पा रहा और मिली-जुली सरकारों का निर्माण हो रहा है। भारत में नब्बे के दशक में गठबन्ध सरकारों का दौर शुरू हुआ और यह सिलसिला अभी तक जारी है।  | 
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