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“धरती का हृदय धुला’ और ‘दादुर का कंठ खुला’ से क्यो आशय है?

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धरती को हृदय धुला’ से कवि का आशय यह है कि बादलों के बरसने से प्यासी धरा तृप्त हो गई, धूल चंदन रूपी कीचड़ बन गई, क्योंकि भूमि जोतने योग्य बन गई। ‘दादुर का कंठ खुला से कवि का आशय है-बादलों के बरसने से प्रसन्न मेंढक टर्र-टर्र कर गाने लगे।



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