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इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-बादल का कोप नहीं रीता,जाने कब से वो बरस रहाललचाई आँखों से नाहक,जाने कब से तू तरस रहा

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ये पंक्तियाँ पपीहे को इंगितकर लिखी गई हैं। कवि कहता है कि बादल का कोप रीता नहीं है यानी वह लगातार बरस रहा है और बहुत समय से बरस रहा है लेकिन पपीहे की प्यास अभी भी नहीं बुझ रही। वह तो ललचाई आँखों से अभी भी स्वाति नक्षत्र में बरसनेवाली उस एक बूंद की प्रतीक्षा में प्यासा है।



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