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Essay on bhartiyon ka ujjwal charitra

Answer» उज्ज्वल भविष्य के संकेत–इक्कीसवीं सदी भारत की होगी। भारत विश्व की महाशक्ति बनेगा। ऐसी घोषणाएँ भारत के राजनेताओं, अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों ने की है। अनेक विदेशी विद्वानों ने भी भारत के उज्ज्वल भविष्य की भविष्यवाणियाँ की हैं। क्या यह सपना सच होगा ? क्या वास्तव में हम महाशक्ति, विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग पर बढ़ रहे हैं ? इन प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है।प्रगति के आधार–भारत की चहुमुखी उन्नति के इन दावों और भविष्यवाणियों के पीछे कुछ ठोस आधार दिखायी देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। हमने अपने आपको विश्व का सबसे बड़ा और स्थिर लोकतंत्र साबित किया है। हमारी अर्थव्यवस्था निरन्तर प्रगति कर रही है। पिछली विश्वव्यापी मंदी को हमने अपनी सूझ–बूझ से परास्त किया है।हमारी अनेक कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों का अधिग्रहण करके भारत की औद्योगिक कुशलता का प्रमाण दिया है। हमारे शिक्षक, वैज्ञानिक और उद्योगपति विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं। विज्ञान, चिकित्सा, व्यवसाय, कला, सैन्य–शक्ति, शिक्षा और संस्कृति, हर क्षेत्र में हमने नए–नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। ये सभी बातें भारत के उज्ज्वल भविष्य में हमारा विश्वास दृढ़ करती हैं।विविध क्षेत्रों में प्रगति–इसमें संदेह नहीं कि भारत ने विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारे वैज्ञानिकों ने अनेक मौलिक खोजें की हैं। अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा, अस्त्र–शस्त्रों का विकास, औद्योगिक कुशलता, दूर–संचार, परमाण–शक्ति आदि क्षेत्रों में हमारी प्रगति उल्लेखनीय है। आर्थिक क्षेत्र में हमारी प्रगति का प्रमाण हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिरता और निरंतर विकास से मिलता है।जब विश्वव्यापी मंदी से संसार की बड़ी–बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ ढह रहीं थीं तब भारतीय अर्थव्यवस्था ने इससे अप्रभावित रहकर अपनी विश्वसनीयता प्रमाणित की। विदेशी निवेश का बढ़ना और विदेशी कम्पनियों का अधिग्रहण भी हमारी अर्थव्यवस्था की सफलता का प्रमाण देता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी हमने उल्लेखनीय प्रगति की है।बाधाएँ और निराकरण–भारत की प्रगति–यात्रा के मार्ग में अनेक बाधाएँ भी हैं। ढाँचागत सविधाओं का अभाव, गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, राजनीतिक अपराधीकरण, वोट की राजनीति, महिलाओं की उपेक्षा, आतंकवाद और नक्सलवाद आदि बाधाओं पर विजय पाए बिना हमारे सारे सपने अधूरे रह जायेंगे। चरित्र की दृढ़ता, पारदर्शिता और दृढ़ प्रशासन, जनता और सरकार का तालमेल आदि ऐसे उपाय हैं जिनसे हम इन बाधाओं को दूर कर सकते हैं।भारतीयों की भूमिका–भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में जनता की भी अनिवार्य भूमिका है। जाति, संप्रदाय, निजी स्वार्थ आदि को ठुकराकर आपसी सद्भाव स्थापित करना हर नागरिक का कर्त्तव्य है। सभी भारतीय जन संगठित होकर बुराइयों का विनाश करें और राष्ट्र की उन्नति में सहयोग करें तभी भारत विश्व की महाशक्ति बनेगा।


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