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Gandhi ji ne kilafat andolan ko samarthan q diya

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खिलाफत के मुद्दे ने गाँधीजी को एक अवसर दिया जिससे हिंदू और मुसलमानों को एक मंच पर लाया जा सकता था। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की कराड़ी हार हुई थी। ऑटोमन के शासक पर एक कड़े संधि समझौते की अफवाह फैली हुई थी। ऑटोमन का शासक इस्लामी संप्रदाय का खलीफा भी हुआ करता था। खलीफा की तरफदारी के लिए बंबई में मार्च 1919 में एक खिलाफत कमेटी बनाई गई। मुहम्मद अली और शौकत अली नामक दो भाई इस कमेटी के नेता थे। वे भी यह चाहते थे कि महात्मा गाँधी इस मुद्दे पर जनांदोलन करें। 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत के समर्थन में और स्वराज के लिए एक अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करने का प्रस्ताव पारित हुआ।


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