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गेहूँ उत्पादन के लिए कौन-सी भौगोलिक परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं? भारत के गेहूँ। उत्पादक क्षेत्रों को बताते हुए इसके व्यापार को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। याभारत में गेहूं की खेती का भौगोलिक विवरण दीजिए।

Answer»

ऐसा अनुमान किया जाता है कि भारत ही गेहूँ का जन्म-स्थान रहा है। चावल के बाद यह भारत का दूसरा महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। यह सबसे पौष्टिक आहार माना जाता है। विश्व के गेहूँ उत्पादन का 9.9% भाग ही भारत से प्राप्त होता है। वर्ष 2011-2012 में गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 3,140 किग्री था तथा गेहूं की कृषि 25.9 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर की गयी थी जिस पर 93.9 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। खाद्यान्नों के उत्पादन में लगी कुल भूमि के 18.7% भाग पर गेहूँ उगाया जाता है, जबकि यह देश की कृषि भूमि का 10% भाग घेरे हुए है। कुल खाद्यान्नों में गेहूं का भोग लगभग 29.9% है। भारत में गेहूं उत्पादन में वृद्धि एक सफले क्रान्ति है। वास्तव में हरित-क्रान्ति गेहूँ-क्रान्ति ही है। गेहूँ की कृषि में उन्नत एवं नवीन बीजों तथा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादन में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं, जिससे देश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ है तथा वर्तमान में निर्यात करने की स्थिति में आ गया है।

आवश्यक भौगोलिक दशाएँ

Necessary Geographical Conditions
गेहूँ उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं –

(1) तापमान – गेहूँ सम-शीतोष्ण जलवायु की प्रमुख उपज है। बोते समय 10° से 15° सेग्रे तथा पकते समय 20° से 28° सेग्रे तापमान की आवश्यकता पड़ती है। वास्तव में गेहूं के पकते समय अधिक गर्मी की आवश्यकता होती है। ओला, पाला, कोहरा, मेघपूर्ण वातावरण इसकी फसल के लिए हानिकारक होते हैं।

(2) वर्षा – गेहूँ की कृषि के लिए 50 से 75 सेमी वर्षा आदर्श मानी जाती है। इससे कम वर्षा वाले भागों में सिंचाई के सहारे गेहूं का उत्पादन किया जाता है। गेहूँ के बोते समय जल की अधिक आवश्यकता होती है, परन्तु अधिक वर्षा वाले भागों में गेहूं की फसल नहीं बोयी जाती, जबकि पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के शुष्क भागों में सिंचाई की सहायता से इसकी खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश में 42%, पंजाब एवं हरियाणा में 45% तथा राजस्थान में 45% गेहूं की फसल सिंचाई साधनों पर ही आधारित है। शीतकालीन चक्रवातीय वर्षा इसके लिए बहुत ही लाभदायक रहती है।

(3) मिट्टी – गेहूं की खेती के लिए हल्की दोमट यो गाढ़े रंग की मटियार मिट्टी उपयुक्त रहती है। यदि धरातल समतल मैदानी हो तो उसमें आधुनिक वैज्ञानिक कृषि-उपकरणों का प्रयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यूरिया, अंमोनियम सल्फेट, कम्पोस्ट आदि रासायनिक उर्वरक अधिक उपयोगी रहते हैं।

(4) मानवीय श्रम – गेहूं के खेतों को जोतने, बोने, निराई-गुड़ाई, काटने तथा दानों को भूसे से अलग करने की प्रक्रिया तक पर्याप्त मानवीय श्रम की आवश्यकता पड़ती है। जनाधिक्य के कारण यहाँ श्रमिक सस्ते और पर्याप्त संख्या में सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। इसीलिए भारतवर्ष के सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में गेहूं की कृषि की जाती है।

भारत में गेहूं उत्पादक राज्य
Wheat Producing States in India

गेहूँ अधिकांशत: उत्तरी एवं मध्य भारत की प्रमुख फसल है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान एवं बिहार राज्य मिलकर देश का 90% गेहूँ उत्पन्न करते हैं। भारत में गेहूँ उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं –

(1) उत्तर प्रदेश – इस राज्य में कृषि-योग्य भूमि के 32% भाग पर देश का 40% गेहूं उत्पन्न किया जाता है। गंगा-जमुना दोआब तथा गंगा-घाघरा क्षेत्र गेहूं-उत्पादन में प्रमुख स्थान रखते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिंचाई की सुविधाओं के कारण गेहूं का अच्छा उत्पादन होता है। मेरठ, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, इटावा, फर्रुखाबाद, बदायूँ, कानपुर देहात, फतेहपुर आदि जिले गेहूं के प्रमुख उत्पादक हैं।

(2) पंजाब – पंजाब राज्य 21% गेहूं का उत्पादन कर देश में दूसरा स्थान रखता है। यहाँ कृषि-योग्य भूमि के 12.5% भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। इस राज्य में गेहूं की प्रति हेक्टेयर उपज सर्वाधिक (3,690 किग्रा) है। मिट्टी की उर्वरता, सिंचाई की सुविधा, आधुनिक एवं वैज्ञानिक कृषि-यन्त्रों का प्रयोग तथा शीतकालीन वर्षा के कारण गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भारत में सबसे अधिक है। अमृतसर, लुधियाना, गुरदासपुर, पटियाला, जालन्धर, भटिण्डा, संगरूर एवं फिरोजपुर प्रमुख गेहूँ उत्पादक जिले हैं।

(3) हरियाणा – इस राज्य में कुल कृषि-योग्य भूमि के लगभग 6% भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। यहाँ भारत का 11.5% गेहूं उत्पन्न किया जाता है। गेहूं उत्पादन में इस राज्य का भारत में तीसरा स्थान है। रोहतक, अम्बाला, करनाल, जींद, हिसार तथा गुड़गाँव जिलों में सिंचाई के सहारे गेहूँ का उत्पादन किया जाता है। भाखड़ा-नाँगल योजना की सहायता से गेहूं के उत्पादक क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ाया जा रहा है।

(4) मध्य प्रदेश – गेहूँ के उत्पादन में मध्य प्रदेश राज्य का चौथा स्थान है तथा यहाँ देश का 8.6% गेहूँ उगाया जाता है। इस राज्य में कृषि-योग्य भूमि के 16% भाग पर गेहूं की खेती की जाती है। यहाँ मैदानी क्षेत्रों में ताप्ती, नर्मदा, तवा, गंजल, हिरन आदि नदियों की घाटियों तथा मालवा के पठार पर काली मिट्टी के क्षेत्रों में गेहूं का उत्पादन किया जाता है।

(5) अन्य राज्य – अन्य गेहूँ उत्पादक राज्यों में राजस्थान महत्त्वपूर्ण है, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 37 लाख मीटरी टन गेहूं का उत्पादन किया जाता है। श्रीगंगानगर, भरतपुर, भीलवाड़ा, अलवर, टोंक, चित्तौड़गढ़, उदयपुर एवं सवाईमाधोपुर जिले प्रमुख गेहूँ उत्पादक हैं। गुजरात में माही एवं साबरमती नदियों की घाटियों में; महाराष्ट्र में खानदेश एवं नासिक जिले; कर्नाटक में बेलगाम, धारवाड़, रायचूर एवं बीजापुर जिलों में गेहूं का उत्पादन किया जाता है। पश्चिम बंगाल एवं बिहार राज्यों की जलवायु गेहूँ। उत्पादन के अधिक अनुकूल नहीं है; अत: बहुत कम क्षेत्र में ही गेहूं का उत्पादन किया जाता है।

व्यापार – विभाजन से पहले भारत भारी मात्रा में गेहूं का निर्यात करता था, परन्तु 1947 ई० में पश्चिमी पंजाब का गेहूँ उत्पादक क्षेत्र पाकिस्तान में चले जाने के कारण निर्यात बन्द कर दिया गया। इसके साथ ही देश में जनसंख्या की उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण भी गेहूं का निर्यात बन्द करना पड़ा। वर्ष 1971-72 से प्रारम्भ हरित-क्रान्ति ने धीरे-धीरे देश को गेहूँ उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है। छठी योजना में देश में गेहूं का निर्यात नहीं किया गया वर्ष 1984-85 में फसल अच्छी होने के कारण रूस को 10 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था। वर्ष 1988-89 में गेहूं के उत्पादन में कमी के कारण देश ने 30 लाख टन गेहूं का विदेशों से आयात किया था, परन्तु वर्तमान समय में देश गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।

यदि देश के गेहूँ उत्पादन में इसी गति से वृद्धि होती रही तो शीघ्र ही भारत की गणना विश्व के प्रमुख गेहूँ निर्यातक देशों में की जाने लगेगी।



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