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जगदीशबाबू को पहले-पहले नए शहर आकर कैसा लगता था?

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जगदीशबाबू अपने गांव से बहुत दूर के शहर में आए थे। वे अकेले थे। यहाँ का वातावरण उनके गांव के वातावरण से बिल्कुल भिन्न था। गाँव में यहाँ के चौक जैसी चहलपहल नहीं थी। वहाँ कैफे के जैसा शोरगुल नहीं था। उन्हें लगता था जैसे वे अपनेपन की सीमा से बहुत दूर आ गए हैं। इस तरह जगदीशबाबू को पहले-पहले नए शहर में आकर बहुत अकेलापन लगता था।



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