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jungle Ki Suraksha essay Plz anyone

Answer» आधुनिकता के इस भंवर में आज जंगलों की रक्षा करना भी काफी मुश्किल हो गया है। दिन प्रतिदिन वनों का कटान हो रहा है, जिसकी वजह से भूस्खलन, आपदा जैसी समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है। इस समस्या से पहाड़ के निवासी ही प्रभावित होते हैं क्योंकि शहर वाले अपने घरों में आराम से रहते हैं और जो नेता लोग होते हैं वे आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में जल, जंगल, जमीन से पहाड़ वासियों का हक दिन-प्रतिदिन छिनता जा रहा है। वे पलायन करने पर मजबूर हो जा रहे हैं। उन्हें हर समय यही डर सताये रहता है कि कब कहॉ से जमीन खिसक जाय और कब जिंदगी समाप्त हो जायेगी। वनों की रौनक कटान के कारण खत्म हो गई है। पहाड़ के लोग मुख्यतः जंगलों पर ही निर्भर होते हैं, जगलों से ही उनकी कई समस्याओं का निदान होता है जैसे गाय के लिये चारा लाना हो, लकड़ी लानी हो या फिर कोई औषधि के लिये जड़ी-बूटी, सब जंगलों में ही मिलती हैं। अगर जंगल ही नष्ट कर दिये जायेंगे तो मनुश्य की परेशानियॉ कहॉ से हल हो पायेंगी। उजड़े हुये वनों को आबाद करने की ठोस नीति सामने न आने के कारण लोगों ने वनों को बचाने के लिये पुरातन तरीका खोज निकाला है। तमाम तरह के बदलावों के बावजूद प्रकृति से रिश्ता बनाये रखने वाले हमारे पारम्परिक रीति-रिवाजों के चलते ही प्रदेश में अब तक वनों का वजूद कायम है। उत्तराखण्ड में प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल और रखरखाव की अनेक परम्परागत विधियॉ अस्तित्व में हैं। इन्हीं में से एक अनूठी प्रथा वन क्षेत्र में देवताओं को अर्पित कर देने की है। वनों के आस-पास बसे देश के विभिन्न भागों और यूरोप के पुराने चरवाहे समाजों में प्रचलित ‘सेक्रेट ग्रूब्स‘ अर्थात पवित्र कुंज से मिलती-जुलती यह परम्परा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से विख्यात है। अतः सरकार और आम जनता को मिलकर वनों की रक्षा करनी चाहिए और पारम्परिक तौर-तरीकों को भी अपनाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये।


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