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खीलाफत अदोलन

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प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध किया था. तुर्की के खलीफा को मुस्लिमों के धार्मिक प्रधान के रूप मे देखा जाता था. उन दिनों यह अफवाह फैली थी कि तुर्की पर ब्रिटिश सरकार अपमानजनक शर्तें लाद रही है. इसी के विरोध स्वरूप 1919-20 में अली बंधु, मालैाना आजाद, हसरत मोहानी तथा हकीम अजमल खान के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया. इनकी तीन मांगें थीं – मुसलमानों के पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान खलीफा का नियंत्रण रहे.खलीफा के अधीन इतना भूभाग रहे कि वह इस्लाम की रक्षा कर सके.जारीजात उल अरब (अरब, सीरिया, इराक तथा फिलिस्तीन) पर मुसलमानों की संप्रभुता बनी रहे.


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