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कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे । पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

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यह सच है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ में कई जगह इसका उल्लेख मिलता है। जो निम्नानुसार है

  1. बेटे का अग्निदाह अपनी पुत्रवधु से करवाया। सदियों से चली आ रही परंपरा का उन्होंने यहाँ खंडन किया। इस सामाजिक परंपरा को उन्होंने नकार दिया, जो स्त्रियों को श्मशान जाने से रोकती है।
  2. अपनी पुत्रवधु के लिए आदेश दिया कि उसकी दूसरी शादी करवा दी जाय । यहाँ पुनर्विवाह धार्मिक परम्परा के विरुद्ध है, इसे उन्होंने दृढ़ता के साथ नकार दिया।
  3. आम तौर पर साधु लोग भिक्षा मांगकर अपना गुजरान चलाते है। वे साधुओं द्वारा भिक्षा मांगकर भोजन करने की परंपरा के विरोधी थे। गंगा नदी स्नान करने जाते समय वे चार पाँच दिन तक कुछ नहीं खाते थे, केवल पानी पीकर रह जाते थे।


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