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मोह और प्रेम में अंतर होता है । भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

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मोह और प्रेम दोनों में अंतर है। मोह में व्यक्ति की स्वार्थभावना छिपी होती है, जिसमें व्यक्ति अपना हित-अहित नहीं देख पाता। प्रेम शुद्ध सात्विक भावना है, जिसमें स्वार्थ की भावना नहीं होती। भगत कबीर पंथी थे। वे प्रेम और मोह के भाव को भलिभाँति जानते थे। जब उनके बेटे की मृत्यु हुई तो बेटा खोने के कारण रोये बिलखे नहीं बल्कि उसी तल्लीनता से गाते रहे।

उनके अनुसार आत्मा परमात्मा से मिल गई तो दुःख नहीं बल्कि उत्सव मनाने को कहते हैं। दूसरा प्रसंग वहाँ है जहां वे मोह नहीं प्रेम दर्शाते हैं । अपनी पुत्रवधू को उसके भाई के हवाले कर उसे पुर्नविवाह की सलाह देते हैं। यदि उनके भीतर मोह की भावना होती तो वे अपना स्वार्थ साधने के लिए अपनी पूत्रवधू को अपने साथ रखते । जिससे वह उन्हें, भोजन आदि बनाकर देती, उनका ख्याल रखती।

किन्तु यहाँ पर भी पुत्रवधू से मोह नहीं निःस्वार्थ प्रेमभावना के कारण अपने सुखों का त्याग कर उसे पुनर्विवाह करने को कहते हैं। वे अपनी पुत्रवधू के भविष्य को अपने से अधिक महत्त्व देते हैं। अत: इन दो प्रसंगों के आधार पर कह सकते हैं कि मोह और प्रेम में अंतर होता है।



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