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कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है । ‘तो’ के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है – स्पष्ट कीजिए।

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कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है, जैसे कि –
“सही होते हुए भी दब जाना ‘बुरा तो है’
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना बुरा तो है।”

यहाँ ‘तो’ शब्द का भारपूर्वक प्रयोग हुआ है । ऐसा करने से बात पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती मगर उसमें किसी तरह की गुंजाईश अभी शेष है – ऐसा भाव निकलता है । प्रस्तुत कविता के संदर्भ में देखें तो कवि ने कुछ ऐसी स्थितियों हमारे सामने रखी हैं जो समाज के लिए बुरी है, खतरनाक है । तो शब्द के प्रयोग से यह ध्वनि निकलती है कि इतनी बुरी या इतनी खतरनाक नहीं है कि जिन्हें नियंत्रित न किया जा सके, जिनमें बदलाव न किया जा सके। ‘तो’ शब्द का प्रयोग पाठकों में जिज्ञासा उत्पन्न करता है और अंततः जिज्ञासा का शमन करता है।



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