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‘ममता’ कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

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प्रसाद जी अपने युग की परिस्थितियों, विशेषकर स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित हुए बिना न रह सके किंतु उन्होंने अंग्रेज़ों से सीधे विवाद को मोल नहीं लिया। हाँ अपने पात्रों एवं कथानकों द्वारा भारत के पूर्व गौरव को भारतीयों के सम्मुख रखकर उनमें राष्ट्रीय चेतना उजागर करने का प्रयास किया। ‘ममता’ कहानी भी इसी दिशा में एक कदम था। प्रसाद जी ने ममता को देशभक्त और राष्ट्रप्रेम से परिपूर्ण पात्र के रूप में चित्रित किया है। इसका प्रभाव हमें उस समय मिलता है जब वह यवनों द्वारा दी जाने वाली रिश्वत को लौटा देने का

आग्रह करती हुई अपने पिता से कहती है-‘हम ब्राह्मण हैं, इतना सोना लेकर क्या करेंगे? ………….विपद के लिए इतना आयोजन ? परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस? पिता जी क्या भीख भी न मिलेगी? क्या कोई हिंदू भू-पृष्ठ पर बचा न रह सकेगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके?’ ममता के इन शब्दों के द्वारा प्रसाद जी देश के उन गद्दारों को सचेत करना चाहते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए देशहित को भी बेचने से बाज़ नहीं आते। इसके साथ-साथ देशवासियों में देश के प्रति कुछ करने की भावना जगाना चाहते हैं।



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