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मृदा संरक्षण के तीन उपाय समझाओ

Answer» \tफसल चक्र का उपयोग करना चाहिये।\xa0\tप्रत्येक स्थान पर वृक्षारोपण करना चाहिये।\xa0\tमिट्टी के रासायनिक परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जायें।\xa0\tवृक्षों की कटाई एवं अनियंत्रित पशुचारण पर रोक लगाई जायें।\xa0\tतटबांध का निर्माण किया जाना चाहिये।\xa0\tभूमि के ढ़ालों पर समोच्चरेखीय जुताई की जानी चाहिये।\xa0\tउर्वरकों एवं खाद का समुचित प्रयोग किया जाना चाहियें।
मृदा अपरदन और संरक्षणमृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं। मृदा अपरदन के मुख्य कारण हैं; वनोन्मूलन, सघन कृषि, अति पशुचारण, भवन निर्माण और अन्य मानव क्रियाएँ। मृदा अपरदन से मरुस्थल बनने का खतरा रहता है।मृदा अपरदन को रोकने के लिए मृदा संरक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। पेड़ों की जड़ें मृदा की ऊपरी परत को बचाए रखती हैं। इसलिये वनरोपण से मृदा संरक्षण किया जा सकता है। ढ़ाल वाली जगहों पर समोच्च जुताई से मृदा के अपरदन को रोका जा सकता है। पेड़ों को लगाकर रक्षक मेखला बनाने से भी मृदा अपरदन की रोकथाम हो सकती है।


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