 
                 
                InterviewSolution
| 1. | निम्नलिखित अवतरणों के आधार पर उनके साथ दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-बहुत-से लोग ऐसे होते हैं, जिनके घड़ी-भर के साथ से भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है; क्योंकि उतने ही बीच में ऐसी-ऐसी बातें कही जाती हैं, जो कानों में न पड़नी चाहिए, चित्त पर ऐसे प्रभाव पड़ते हैं, जिनसे उसकी पवित्रता का नाश होता है। बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है। बुरी बातें हमारी धारणा में बहुत दिनों तक टिकती हैं। इस बात को प्राय: सभी लोग जानते हैं कि भद्दे व फूहड़ गीत जितनी जल्दी ध्यान पर चढ़ते हैं, उतनी जल्दी कोई गम्भीर या अच्छी बात नहीं।(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स) 1. किस बात को प्रायः सभी लोग जानते-समझते हैं ?2. किन लोगों के क्षणमात्र के साथ से भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और क्यों ?[घड़ी-भर = थोड़ी देर। भ्रष्ट होना = पतन होना। चित्त = मन। अटल भाव = न हटने वाली भावना। भद्दे व फूहड़ = बेढंगा और अश्लील, जिसमें कला-सुरुचि आदि का अभाव हो। | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित एवं हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिन्दी’ के गद्य-खण्ड में संकलित ‘मित्रता’ नामक निबन्ध से अवतरित है। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या – प्रस्तुत गद्यांश में शुक्ल जी ने बुरी संगति को व्यक्ति की उन्नति में बाधक बताते हुए कहा है कि समाज में अनेकानेक लोग इस प्रकार के होते हैं जिनके साथ थोड़ी देर के लिए भी रह लेने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का पतन हो जाता है। ऐसे लोग उस थोड़ी-सी देर में ही ऐसी-ऐसी बातें कह डालते हैं, जो सामान्य व्यक्ति के तो सुनने लायक भी नहीं होती। ऐसी बातों से व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर इतने बुरे प्रभाव पड़ते हैं कि उससे उसके हृदय की पवित्रता; अर्थात् मन के अच्छे भाव समाप्त हो जाते हैं। द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या – शुक्ल जी का कहना है कि बुरी आदतें या भावना व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में स्थायी रूप से विराजमान रहती हैं और बहुत समय तक स्थिर रूप में जमी रहती हैं। अपनी बात को और अधिक पुष्ट करते हुए लेखक कहते हैं कि इस बात का तो सामान्य लोगों ने भी अनुभव किया होगा कि बेढंगे और अश्लील गीत जितने शीघ्र व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में अपनी पैठ (पहुँच) बनाते हैं, उतनी शीघ्र कोई अच्छी या लाभकर बात नहीं। (स) 1. भद्दे व अश्लील गीत जितने शीघ्र याद हो जाते हैं उतनी शीघ्र कोई अच्छी बात याद नहीं होती। इस बात को प्रायः सभी लोग जानते-समझते हैं। | |