InterviewSolution
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निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए −पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी |
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Answer» इन पंक्तियों में व्यक्ति-व्यक्ति की रूचि और कार्यों में अंतर पर व्यंग्य किया गया है। कोई व्यक्ति मस्जिद में जाकर नमाज अदा करता है तो कोई वहीं पर जूतियाँ चुराता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने वाले भी होते हैं। इन सभी कामों को करने वाले आदमी ही करते हैं। मनुष्य के स्वभाव में अच्छाई बुराई दोनों होते हैं परन्तु वह किधर चले यह उस पर ही निर्भर करता है। |
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