 
                 
                InterviewSolution
| 1. | निर्यात व्यापार के लिए विभिन्न प्रोत्साहनों को संक्षिप्त में समझाइये । | 
| Answer» निर्यात व्यापार के निम्नलिखित प्रोत्साहन है । (1) व्यापारी समझौते (सन्धिया) : व्यापारी सन्धियों के माध्यम द्वारा निर्यात प्रोत्साहन दिया जाता है । राजकीय दृष्टि से एक-दूसरे को अनुकूल हो ऐसे देश के राजनैतिक इस माध्यम द्वारा सन्धि करते है । इस व्यापारी सन्धि के अनुसार एक अथवा अधिक देश अन्य कोई एक या एक से अधिक देशों के उत्पाद और सेवाओं का आयात करेंगे अथवा उन्हें अग्रिमता देंगे ऐसे करार करते है । (2) वित्तीय और आर्थिक उत्तेजन प्रतिफल : वित्तीय और आर्थिक उत्तेजन प्रतिफल के माध्यम द्वारा निर्यात प्रोत्साहन दिया जाता है । यह माध्यम बहुत ही बड़े पैमाने में और दीर्घ समय से उपयोग होता है । इस योजना के अनुसार – (a) निर्यात कर्ता को निश्चित की गई दर पर प्रत्यक्ष प्रतिफल देना । (3) संकलित और सुग्रथित आर्थिक प्रोत्साहन : इस योजना में निश्चित की गई रकम की अथवा निश्चित किये गये उत्पादों का निर्यात किया जाये तो उनके बदले में प्राप्त विदेशी मुद्रा के निश्चित किए गए प्रमाण में आयात करने का अधिकार दिया जाता है । निर्यात का विश्वास देने के बदले में – (a) सस्ती दर पर जमीन प्राप्त करने उन पर निर्यात पात्र उत्पादों का उत्पादन करना । (4) वित्तीय सविधाएँ और सेवाएँ : वित्तीय सुविधाएँ और सेवाओं के माध्यम द्वारा निर्यात प्रोत्साहन दिये जाते है जैसे कि, (a) निर्यात कर्ताओं को उत्पादन का जिस दिन निर्यात करे उसी दिन बिल की रकम प्राप्त हो ऐसी व्यवस्था करना । (5) बिनआर्थिक सुविधाएँ : निर्यातकर्ताओं को प्रत्यक्ष आर्थिक मदद करने के बदले में बिनआर्थिक सुविधाओं द्वारा भी प्रोत्साहन दिया जाता है जैसे कि – (a) निर्यात के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना । (6) विशेष आर्थिक विस्तार : SEZ (Special Economic Zone) : विशेष आर्थिक विस्तार के बारे में कानून संसद द्वारा सन् 2005 में पारित किया गया था और 10 फरवरी सन् 2006 के दिन से लागू किया गया है । विशेष आर्थिक विस्तार यह एक ऐसा भौगोलिक विस्तार है कि जिसमें आर्थिक कानून देश में बनाये हुए अन्य कानूनों की अपेक्षाकृत अधिक उदार होते है । विशेष आर्थिक विस्तार की श्रेणी में अनेक विशिष्ट विस्तार शामिल किए जाते है जिसमें, (a) निर्यात प्रोसेसिंग विस्तार विशेष आर्थिक विस्तार में औद्योगिक इकाईयों की चीजवस्तुओं की निर्यात वृद्धि के लिए जरूरी प्रोत्साहन जैसे कि – कस्टम ड्युटी, केन्द्रीय आबकारी जकात, सेवा कर, केन्द्रीय विक्रय कर तथा सिक्योरिटी ट्रान्जेक्शन टेक्स में से मुक्ति प्रदान की जाती है । स्थानिक और विदेशी पूँजी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन देना तथा ऐसे विस्तार में ढाँचाकीय सुविधाओं का विकास करने के लिए प्रोत्साहन दिये जाते है । (7) निर्यात प्रक्रिया विस्तार (Export Processing Zone) : भारत सरकार ने निर्यात व्यापार के लिए अलग-अलग विस्तारों में निर्यात प्रक्रिया विस्तार की स्थापना की है । निर्यात वृद्धि द्वारा बड़े पैमाने में विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का यह प्रयत्न है । निर्यात प्रक्रिया विस्तार और मुक्त व्यापार विस्तार परस्पर पर्यायवाची है । भारत सरकार द्वारा निर्यात में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा घोषित की गई नीति के अन्तर्गत निम्न क्षेत्र (Zone) बनाए गए है । 
 द्वारिका के नजदीक कोसींद्रा एवं भरूच के नजदीक ऐसे मुक्त व्यापार क्षेत्र अनेक स्थानों पर स्थापित किये गये हैं । इन विस्तारों या क्षेत्रों का स्वरूप उसके छोटे पैमाने पर मुक्त व्यापार स्वरूप सा है, ऐसे स्थानों को चुंगी (जकात Excise), देश के अन्दर तथा विदेशों के साथ वित्तीय व्यवहार के नियमन एवं मजदूरों से सम्बन्धित कानून व नियमों से मुक्त किया गया है, इसके अलावा कारखाना चलाने के लिए बिजली, टेलिफोन तथा संदेशा-व्यवहार के साधनों, पानी इत्यादि की नियमित रूप से आपूर्ति का विश्वास दिया जाता है । इसको चिन्ता से मुक्त किया जाता है, निर्यात-सम्बन्धी सभी आवश्यक व सम्पूर्ण जानकारी, वाहन की सुविधा, अन्य देशों के उत्पाद की बाजार की स्थिति, निर्यात करने के लिए राजकीय सुविधा दी जाती है । अत: निर्यात-प्रक्रिया विस्तारों को, मुक्तता (स्वतंत्रता) का उद्देश्य निर्यातलक्षी होता है । ऐसे विस्तारों को निर्यात-अवरोधक-मुक्त रखा जाता है । | |