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पैसा पावर है। उसकी यह पावर कब प्रमाणित होती है?अथवा‘पर्चेजिंग पावर के प्रयोग का रस’ क्या है?

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पैसा अर्थात् धन में क्रय शक्ति होती है। बाजार में पैसा देकर उसके बदले में कोई चीज खरीदी जा सकती है। पास में धन न हो, तो कुछ भी खरीदना सम्भव नहीं है। जितना जेब में पैसा होगा उतनी ही चीजें खरीदी जा सकेंगी। बैंक का हिसाब देखकर पैसे की शक्ति देखी जा सकती है। मकान-कोठी आदि अचल सम्पत्ति बिना देखे ही दिखाई देती है। पैसे की पावर का रस या आनन्द उसके प्रयोग में है। यदि आसपास सामान जमा नहीं है तो पैसे के पावर का कोई प्रमाण नहीं है।



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