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प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति’ किसे कहा?

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काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार था। उसे मौर्य और गुप्त सम्राटों ने बनवाया था। वह उनकी कीर्ति का प्रतीक था, लेकिन अब वह खंडहर हो चुका था। उस भवन के शिखर खंडित हो चुके थे और अब वहाँ घास और झाड़ियाँ उग आई थीं। फिर भी उन टूटी हुई दीवारों और ईंटों में भारतीय शिल्पकला की भव्य झलक देखी जा सकती थी। इसे ही प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति’ कहा है



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